लोकसभा चुनाव से पहले टेंशन में कांग्रेस… आखिर क्यों पीछे हो रही है कांग्रेस ?

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आखिर कांग्रेस में क्यों सबकुछ ठीक नहीं ?Congress in tension before elections

बीजेपी के आगे कांग्रेस लगातार हो रही कमजोर 

इंडिया गठबंधन भी बिखरने लगा है

विधानसभा चुनावों में हुई हार से भी कांग्रेस परेशान

राहुल गांधी की यात्रा से कितना होगा फायदा ?

देश में लोकसभा चुनाव की हलचल तेज है… बीजेपी ने इस बार 400 पार का टारगेट सेट किया है.. पीएम मोदी खुद चुनावी मैदान में है। उधर कांग्रेस को चुनाव से पहले ही एक के बाद झटके लग रहे हैं… कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का पार्टी से मोह भंग हो रहा है.. वहीं इंडिया गठबंधन से भी कुछ साथी छिटक गए हैं.  कांग्रेस ने पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में जीत की उम्मीद में 2024 के लोकसभा चुनावों समेत अपना पूरा भविष्य दांव पर लगा दिया था.. उन्हें लगा कि कुछ हिंदी राज्यों में जीत हासिल हो जाएगी.. लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं था, क्योंकि कई चीजें एक साथ दांव पर लगाना कभी अच्छा नहीं होता.. कांग्रेस को उम्मीद थी कि उनकी जीत से उनके साथी दलों को भी फायदा होगा, लेकिन अब ऐसा नहीं लग रहा है. पार्टी में फूट पड़ गई है, कई नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं और उनके सहयोगी दल भी उनसे दूरियां बना रहे हैं.. Congress in tension before elections

कुछ दलों ने कांग्रेस को नजरअंदाज कर दिया है, भले ही वे पहले कांग्रेस का साथ दे रहे थे..हालांकि, ऐसा करने के पीछे केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों का दबाव भी एक कारण है, लेकिन असल समस्या ये है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव हार गई.. अगर महाराष्ट्र के नेता अशोक चव्हाण और राजस्थान के आदिवासी नेता महेंद्रजीत मालवीय बीजेपी की तरफ देख रहे हैं और टीएमसी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियां भी कांग्रेस से दूरी बनाए हुए हैं, तो इसकी वजह ये है कि कांग्रेस अपने ही भीतर टूट रही है.. गलत रणनीतियों और घमंड की वजह से पार्टी इस हाल में पहुंच गई है.. दरअसल 2019 में मोदी के दोबारा चुनाव जीतने के बाद से कांग्रेस को लगातार नुकसान उठाना पड़ा है.. पार्टी के कई मजबूत नेता और जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर चले गए.. पिछले साढ़े तीन साल में कांग्रेस हर राज्य चुनाव हारती रही.. थोड़ी राहत तब मिली जब दिसंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश में पार्टी जीत गई.. ये उसी समय हुआ जब मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी अध्यक्ष बने और राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा शुरू की… -Congress in tension before elections

कर्नाटक में जीत ने कांग्रेस को अपने संगठन को दोबारा बनाने, राज्यवार रणनीति बनाने और गठबंधन तय करने का एक सुनहरा मौका दिया.. जीत का समय नेतृत्व दिखाने और पार्टी को मजबूत बनाने का होता है, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ता है.. लेकिन पुरानी समझ को नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस ने सिर्फ दिसंबर के चुनाव पर ध्यान देने का फैसला किया.. राहुल गांधी ने रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, लेकिन पार्टी ने संगठन को ठीक करने की तरफ ध्यान नहीं दिया.. दिसंबर में जब कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा, तब तक राज्य इकाइयों ने संगठन को मजबूत करने में कोई खास काम नहीं किया था… खरगे के अध्यक्ष बनने के एक साल बाद भी एआईसीसी में बदलाव नहीं किया गया था, जिससे पार्टी में उत्साह नहीं दिखा.. जल्दबाजी में किए गए अधिकांश बदलावों से पार्टी को अब भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.. अब बात गठबंधन की करते हैं..

कर्नाटक जीत के बाद जब कांग्रेस का भाग्य फिर से अच्छा लगने लगा, तो राहुल गांधी की लंबी दाढ़ी और अडानी-मोदी पर उनके हमले सुर्खियों में छाए रहे। लेकिन असली मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया। इंडिया ब्लॉक चाहता था कि सीटों का बंटवारा हो और पूरे देश में मिलकर चुनाव लड़ा जाए। लेकिन कांग्रेस ने इस पर टाल-मटोल की, क्योंकि उसे लगा कि मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़-राजस्थान-तेलंगाना चुनाव जीतने के बाद वो बेहतर सौदा कर सकती है.. चुनाव हारने के बाद, सहयोगी दलों ने कांग्रेस को रैलियों और सीट-बंटवारे में देरी करने के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिससे गठबंधन की रफ्तार धीमी हो गई.. नीतीश कुमार और आरएलडी बीजेपी के साथ चले गए..

ममता बनर्जी और नेशनल कॉन्फ्रेंस अब कांग्रेस के साथ नहीं जुड़ना चाहते। यहां तक कि महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी, जहां शरद पवार और उद्धव ठाकरे गठबंधन के लिए तैयार हैं, और झारखंड और बिहार में झामुमो और आरजेडी के तेजस्वी यादव के साथ, कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। अब कोई भी गठबंधन देरी से होगा, जबकि बीजेपी पहले से ही अपनी रणनीति और चुनाव अभियान पर जोर दे रही है.. हालांकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जारी है लेकिन इस यात्रा से उम्मीद कम ही नजर आ रही है.. अब लोकसभा चुनाव तक कैसी तस्वीर रहती है ये तो आने वाला वक्त ही बातएगा….

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