दिलचस्प है चुनाव चिह्नों की कहानी, कब मिला कांग्रेस को पंजा और बीजेपी को कमल-Congress-BJP latest news

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देश में हो रहे हैं लोकसभा चुनाव-Congress-BJP latest news

दिलचस्प है चुनाव चिह्नों की कहानी

कब मिला कांग्रेस को पंजा और बीजेपी को कमल?

क्या है पार्टियों को चुनाव चिन्ह मिलने की कहानी ?

कई बार बदला कांग्रेस और बीजेपी का चुनाव चिन्ह-Congress-BJP latest news

देश में लोकसभा चुनाव जारी हैं… कई पार्टियां अपनी-अपनी किस्मत आजमा रही हैं.. लेकिन आज हम आपको बताएंगे पार्टियों को मिलने वाले चुनाव चिन्ह के बारे में… क्या आपने कभी सोचा है कि कांग्रेस पार्टी को हाथ का निशान और बीजेपी को कमल का चिन्ह कब मिला.. नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR NEWS.. पहले लोकसभा चुनाव से ही देश में चुनाव चिह्नों का इस्तेमाल हो रहा है.. -Congress-BJP latest news

बीजेपी और कांग्रेस के चुनाव चिह्नों के पीछे की कहानी दिलचस्प है..दोनों ही दलों के चुनाव चिह्न तीन-तीन बार बदल चुके हैं.. हालांकि बीजेपी का गठन 1980 में हुआ था.. इससे पहले जनता पार्टी और जनसंघ हुआ करते थे.. देश के दो बड़े दल बीजेपी और कांग्रेस के चुनाव चिह्न के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है.. साल 1951-52 में पहली बार देश में लोकसभा चुनाव आयोजित किए थे.. उस वक्त भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चुनाव चिह्न दो बैलों की जोड़ी थी.. बता दें कि पहले लोकसभा चुनाव से ही चुनाव चिह्नों का इस्तेमाल किया जा रहा है.. Congress-BJP latest news

इसकी एक वजह यह है कि उस वक्त देश में साक्षरता बेहद कम थी। ऐसे में लोगों के लिए चिह्न के माध्यम से प्रत्याशी को पहचानना आसान था.. अब आपको बताते हैं कांग्रेस को हाथ का पंजा निशान कब और कैसे मिला.. देश के पहले लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चुनाव चिह्न दो बलों की जोड़ी थीजनसंघ को दीपक चुनाव चिह्न मिला था। बीजेपी और कांग्रेस के चुनाव चिह्न तीन-तीन बार बदल चुके हैं। 1952 से 1969 तक दो बैलों की जोड़ी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चुनाव चिह्न रहा है.. लेकिन इंदिरा गांधी को कांग्रेस ने 12 नवंबर 1969 को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। इसके बाद इंदिरा ने कांग्रेस (आर) के नाम से नए दल का गठन किया। पार्टी को ‘दूध पीता बछड़ा’ चुनाव चिह्न मिला..

1971 से 1977 तक यही चुनाव चिह्न रहा.. 1977 में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (आर) से अलग होकर कांग्रेस (आई) नाम से नई पार्टी बनाई..इसके बाद उन्होंने हाथ के पंजे को अपना चुनाव चिह्न बनाया.. तब से कांग्रेस का यही चुनाव निशान है.. वहीं जनसंघ से बीजेपी तक तीन बार बदल चुका है चुनाव चिन्ह.. 21 अक्टूबर 1951 को अखिल भारतीय जनसंघ का गठन किया गया था। दिल्ली के कन्या माध्यमिक विद्यालय परिसर में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन किया गया था। इसमें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में अखिल भारतीय जनसंघ की नींव रखी गई थी..जनसंघ का झंडा आयताकार भगवा ध्वज था..

इसी ध्वज पर अंकित दीपक को चुनाव चिह्न की मंजूरी मिली.. आपातकाल के बाद 1977 में जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ.. इस वक्त नया चुनाव  चिह्न ‘हलधर किसान’ मिला.. इसके ठीक तीन साल बाद 6 अप्रैल 1980 को बीजेपी की स्थापना हुई… इसके बाद बीजेपी को ‘कमल चुनाव’ चिह्न मिला.. अब आपको ये भी बताते हैं कि किन-किन दलों को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था… देश के पहले लोकसभा चुनाव में 29 राजनीतिक दलों ने ‘राष्ट्रीय पार्टी’ का दर्जा मांगा था। हालांकि इनमें से केवल 14 को ही यह दर्जा दिया गया था..

मगर चुनाव नतीजे आने पर सिर्फ चार दल ही ‘राष्ट्रीय पार्टी’ का दर्जा बचाने में सफल रहे.. जिनमें  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और अखिल भारतीय जनसंघ.. तो ये थी कांग्रेस औऱ बीजेपी को चुनाव चिन्ह मिलने की कहानी…. ऐसी ही खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ..

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