ताइवान को घेरकर चीन का युद्धाभ्यास, नया राष्ट्रपति मिलने से क्यों बौखलाया चीन ? -china taiwan war update 

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बौखलाए चीन ने शुरू किया भयानक मिलिट्री ड्रिल-china taiwan war update

जवाब देने दौड़ी ताइवान आर्मी

ताइवान को मिला नया राष्ट्रपति, चीन बौखलाया-china taiwan war update

दुनिया में एक और युद्ध की तस्वीर बनने लगी है. साउथ चाइन सी की परत जंग की आहट से तप रही है. चीन और ताइवान एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. दोनों में तनातनी सातवें आसमान पर है. कब युद्ध छिड़ जाए, कोई नहीं जानता… नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR NEWS… ताइवान को नया राष्ट्रपति मिले अभी चार दिन भी नहीं हुए कि चीन बौखला गया है. चीन ने प्रलयंकारी हथियारों से ताइवान के दरवाजे पर दस्तक दे दी है. ताइवान को चारों ओर से घेर कर ड्रैगन ने खतरनाक मिलिट्री ड्रिल शुरू कर दी है. उधर ताइवान भी चीन को करारा जवाब देने को तैयार है. उसने भी अपनी आर्मी को रवाना कर दिया है.-china taiwan war update

चीन की बौखलाहट इस वजह से है, क्योंकि ताइवान को लाई चिंग-ते के रूप में नया राष्ट्रपति मिला है. उन्होंने शपथ लेते ही चीन को हड़का दिया था. लाई चिंग-ते चीन के कट्टर विरोधी माने जाते हैं..ऐसा पहली बार है जब चीन ताइवान के खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास कर रहा है..इससे पहले तक वह सिर्फ ताइवान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता आया है.. दरअसल, ताइवान में इस साल जनवरी में हुए राष्ट्रपति चुनाव से पहले चीन ने उम्मीदवार लाई चिंग ते को अलगाववादी कहा था। साथ ही ताइवानियों को चेतावनी दी थी कि अगर वे सैन्य संघर्ष से बचना चाहते हैं, तो सही विकल्प चुनें..

हालांकि, चीन की धमकी के बावजूद ताइवान में चीनी विरोधी नेता लाई चिंग-ते को जीत हासिल हुई। उनकी शपथ के बाद चीनी सेना के प्रवक्ता कर्नल ली शी ने कहा था कि ताइवानियों को इसकी सजा मिलेगी..शी ने कहा था कि चीन की थल सेना, नौसेना और वायु सेना इस संयुक्त अभ्यास से ताइवान की आजादी को बढ़ावा देने वाले अलगाववादियों को जवाब देंगे। इस अभ्यास में लड़ाकू विमान और नौसेना के कई युद्धपोत शामिल हैं..

चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, चीनी सेना के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने यह युद्धाभ्यास स्थानीय समयानुसार सुबह 7:45 शुरू किया। चीन ने इस अभ्यास को ‘जॉइंट स्वॉर्ड-2024A’ नाम दिया है। इसके अलावा ताइवान के आसपास के द्वीपों किनमेन, मात्सु, वुकिउ और डोंगयिन में भी अभ्यास किया जा रहा है..  वहीं ताइवान के राष्ट्रपति ने कहा है कि चीनी सैन्य अभ्यास रोकें, इलाके में शांति की जरूरत है.. ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने चीन से सैन्य अभ्यास रोकने को कहा है। लाई ने चीन से अपील की है कि वह अपने आक्रोश को रोककर पूरे इलाके में शांति बनाए रखने की कोशिश करे। लाई के मुताबिक जिन द्वीपों के पास अभ्यास चल रहा है वे ताइवान के हैं।

वहीं, ताइवानी सेना को भी अलर्ट पर रखा गया है, जिससे पूरे इलाके में शांति बनी रहे..राष्ट्रपति बनने के बाद लाई चिंग-ते ने भी अपने पहले संबोधन में कहा था कि ताइवान स्वतंत्र देश है, जो देश की संप्रभुता बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकता है। ताइवान सरकार अपने लोकतंत्र और आजादी को लेकर कोई भी समझौता नहीं करेगी..इसके अगले ही दिन चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने ताइवान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, “ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते और उनके साथियों ने अपनी हरकतों से देश ही नहीं बल्कि हमारे पूर्वजों को भी धोखा दिया है।

“…वांग यी ने आगे कहा, “ताइवान को चीन में मिलाने से हमें कोई नहीं रोक सकता। वह अपनी मातृभूमि में जरूर मिलेगा। तब ताइवान में आजादी की मुहिम चलाने वाले अलगाववादियों को कीलों से शर्म के पिलर पर लगा दिया जाएगा।”..  आपको बता दें कि इससे पहले चीनी सेना के 96 साल पूरे होने पर भी युद्धाभ्यास हुआ था.. पिछले साल अगस्त में भी चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक ताइवान पर हमले के लिए ट्रेनिंग करते नजर आए थे.. PLA के 96 साल पूरे होने पर चीन ने स्टेट मीडिया CCTV पर एक डॉक्यूमेंट्री जारी की थी। इसका नाम झू मेंग या चेसिंग ड्रीम्स था..इसमें चीनी सेना किसी भी पल जंग के लिए तैयार नजर आई थी। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, 8 ऐपिसोड की डॉक्यूमेंट्री का मकसद ताइवान की डिफेंस फोर्स के सामने PLA के आत्मविश्वास को दिखाना था..

चीन अपने इस सैन्य अभ्यास को ताइवान की आजादी चाहने वालों के लिए जवाब बता रहा है. चीन ताइवान के नए राष्ट्रपति को अलगाववादी मानता है. दरअसल, चीन ताइवान पर अपना दावा करता है. वह ताइवान की आजादी को कुचलने की हर संभव कोशिश करता है. हालांकि, चीन के इस सैन्य ड्रील के खिलाफ ताइवान भी पूरी तरह तैयार है. उसने अपनी आर्मी को चीनी कोस्ट की ओर रवाना कर दिया है. ताइवान का कहना है कि उसकी सेना अपने देश की रक्षा करने के लिए सक्षम है. चीन की किसी भी नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ताइवाइन की सेना ने मोर्चा संभाल लिया है.

वहीं आपको बता दें कि अमेरिका ने 1979 में चीन के साथ रिश्ते बहाल किए और ताइवान के साथ अपने डिप्लोमैटिक रिश्ते तोड़ लिए। हालांकि चीन के ऐतराज के बावजूद अमेरिका ताइवान को हथियारों की सप्लाई करता रहा। अमेरिका भी दशकों से वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है, लेकिन ताइवान के मुद्दे पर अस्पष्ट नीति अपनाता है..राष्ट्रपति जो बाइडेन फिलहाल इस पॉलिसी से बाहर जाते दिख रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि अगर ताइवान पर चीन हमला करता है तो अमेरिका उसके बचाव में उतरेगा। बाइडेन ने हथियारों की बिक्री जारी रखते हुए अमेरिकी अधिकारियों का ताइवान से मेल-जोल बढ़ा दिया है..

इसका असर ये हुआ कि चीन ने ताइवान के हवाई और जलीय क्षेत्र में अपनी घुसपैठ आक्रामक कर दी है। NYT में अमेरिकी विश्लेषकों के आधार पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सैन्य क्षमता इस हद तक बढ़ गई है कि ताइवान की रक्षा में अमेरिकी जीत की अब कोई गारंटी नहीं है.. चीन के पास अब दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है और अमेरिका वहां सीमित जहाज ही भेज सकता है.अगर चीन ने ताइवान पर कब्जा कर लिया तो पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपना दबदबा दिखाने लगेगा। इससे गुआम और हवाई द्वीपों पर मौजूद अमेरिका के मिलिट्री बेस को भी खतरा हो सकता है..  चीन इस अभ्यास में अपने बेड़े के खतरनाक और प्रलयंकारी हथियारों का यूज कर रहा है. हालांकि, यह ताइवान के लिए कुछ नया नहीं है.

ताइवान को धमकाने के लिए चीन अक्सर यह टैक्टिस अपनाता आया है.. इसी तरह की अंतर्राषट्रीय खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ..

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