“AIRR News: Child Sexual Abuse – A Horrifying and Morally Repugnant Crime”-Child Sexual news 

0
59
Child Sexual news
Child Sexual news

 “AIRR News: Child Sexual Exploitation – A Moment of Introspection for Society”“-Child Sexual news

Extra : बाल यौन शोषण, समाज का आत्ममंथन, न्याय प्रणाली, अधिकार, AIRR न्यूज़, Child Sexual Exploitation, Society’s Introspection, Justice System, Rights, AIRR News”-Child Sexual news

एक समाज की नैतिकता और मानवता की परीक्षा तब होती है जब वह अपने सबसे कमजोर और असहाय सदस्यों की रक्षा करने में सफल रहता है। बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना हर समाज का प्राथमिक कर्तव्य होना चाहिए। लेकिन जब वही समाज अपने ही भीतर एक भयानक अपराध की गवाही देता है, तो सवाल उठता है कि क्या हम सच में अपने कर्तव्यों को निभा रहे हैं? दिल्ली की एक अदालत द्वारा एक 33 वर्षीय व्यक्ति को अपनी नाबालिग सौतेली बेटी के साथ बार-बार बलात्कार और गर्भवती करने के अपराध में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के मामले ने एक बार फिर इस सवाल को उठाया है। –Child Sexual news

इस मामले में अभियुक्त की अशिक्षा को कोई माफी का आधार नहीं माना गया और उसे “कठोर सजा” दी गई ताकि समाज में यह स्पष्ट संदेश जा सके कि ऐसे भयानक कृत्यों को सहन नहीं किया जाएगा। जज बबीता पुनिया ने इस मामले को “नैतिक रूप से घृणित” बताते हुए सख्त सजा की आवश्यकता पर जोर दिया। 

यह मामला केवल एक अपराध नहीं है, बल्कि हमारे समाज के उन अंधेरे कोनों की ओर इशारा करता है जहां मासूमियत और भरोसे का बेरहमी से शोषण होता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या हमारी न्याय प्रणाली और समाज मिलकर इन कमजोर वर्गों को सही मायने में सुरक्षा प्रदान कर पा रहे हैं? आइये इस विषय को गहराई से समझते है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

आज हम बात करेंगे एक भयावह और नैतिक रूप से घृणित अपराध के बारे में, जहां एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग सौतेली बेटी के साथ बार-बार बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने के आरोप में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

दिल्ली की एक अदालत ने एक 33 वर्षीय व्यक्ति को अपनी नाबालिग सौतेली बेटी के साथ बार-बार बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने के जुर्म में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला 2019 का है, जब आरोपी ने अपनी सौतेली बेटी के साथ कई बार बलात्कार किया। पीड़िता की गर्भावस्था के बाद मामला सामने आया, जब उसे गर्भपात कराना पड़ा। 

विशेष पब्लिक प्रॉसीक्यूटर श्रवण कुमार बिश्नोई ने अदालत से सबसे कठोर सजा की मांग की, ताकि समाज में यह स्पष्ट संदेश जा सके कि ऐसे भयानक अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अदालत ने अभियुक्त की अशिक्षा को किसी भी प्रकार की माफी का आधार मानने से इंकार कर दिया। 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने कहा, “अशिक्षा को विशेष रूप से ऐसे मामलों में माफी का आधार नहीं माना जा सकता। यह न केवल कानूनी रूप से दंडनीय है, बल्कि नैतिक रूप से भी घृणित है।” 

आपको बता दे कि यह मामला केवल एक अपराध नहीं है, बल्कि हमारे समाज के उन अंधेरे कोनों की ओर इशारा करता है जहां मासूमियत और भरोसे का बेरहमी से शोषण होता है। इस घटना का विश्लेषण और इतिहास को समझना महत्वपूर्ण है ताकि हम यह जान सकें कि हमारे समाज में ऐसी घटनाएं क्यों और कैसे होती हैं।

बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामले हमारे समाज में नए नहीं हैं। कई सालों से, बच्चों के खिलाफ यौन शोषण की घटनाएं होती रही हैं, लेकिन अधिकतर मामले रिपोर्ट नहीं किए जाते या समाज में छिपाए जाते हैं। 2012 में निर्भया कांड के बाद से भारत में यौन अपराधों के खिलाफ सख्त कानून बनाए गए, लेकिन बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों में अभी भी सुधार की आवश्यकता है।

ऐसे में बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों से निपटने के लिए भारत में 2012 में पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज) एक्ट लागू किया गया था। इस कानून के तहत बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार के यौन शोषण को सख्ती से दंडित किया जाता है। लेकिन इस कानून के बावजूद, ऐसे मामलों में कमी नहीं आई है।

जैसे इस मामले में, अपराधी ने अपनी ही सौतेली बेटी के साथ बलात्कार किया। यह केवल एक यौन शोषण का मामला नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्ति के भरोसे और सुरक्षा का उल्लंघन भी है। बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों में अक्सर अपराधी वही होते हैं जो बच्चों के करीबी होते हैं, जैसे कि परिवार के सदस्य, दोस्त या पड़ोसी।

ऐसे में समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है कि वह ऐसे मामलों को गंभीरता से ले और पीड़ितों को न्याय दिलाने में सहायता करे। समाज को बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों को छिपाने के बजाय उन्हें उजागर करना चाहिए और पीड़ितों को समर्थन देना चाहिए।

बाकि भारत में बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के कई मामले सामने आते रहते हैं। उदाहरण के लिए, 2018 में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक 8 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का मामला भी काफी चर्चित रहा, जिसमें एक भाजपा विधायक आरोपी था।

तो इस तरह यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने समाज के सबसे कमजोर सदस्यों को सुरक्षा प्रदान कर पा रहे हैं? न्याय प्रणाली और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों में सख्त से सख्त सजा हो और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। ताकि हमारा समाज सुरक्षित हो सके।  आज के लिए इतना ही बाकि अन्य जानकारियों भरे विषयो के लिए जुड़े रहिये हमारे साथ। नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

#Child Sexual Exploitation# Society’s Introspection#Justice System#Rights# AIRR News

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER.

Never miss out on the latest news.

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

RATE NOW

LEAVE A REPLY

We cannot recognize your api key. Please make sure to specify it in your website's header.

    null
     
    Please enter your comment!
    Please enter your name here