The Charismatic Leader Lalduhoma: The Power Behind ZPM’s Victory in Mizoram Assembly Elections on December 4th

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The Charismatic Leader Lalduhoma: The Power Behind ZPM’s Victory in Mizoram Assembly Elections on December 4th

करिश्माई नेता लालडुहोमा: 4 दिसंबर को मिजोरम विधानसभा चुनाव में जेडपीएम की जीत के पीछे की शक्ति

4 दिसम्बर में आये मिजोरम विधानसभा चुनावो के नतीजों ने सबको चौका दिया है और साथ ही सबके मन में एक ही सवाल है की मिजोरम में सत्ता हासिल करने वाली ZPM को यहाँ तक पहुंचाने वाले लालदुहोमा कौन है ?

आज की इस वीडियो में हम इन्ही करिश्माई नेता की बात करेंगे जो एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री थे और अब मिजोरम के मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार बनके सत्ता पे बैठे। आपको बता दे कि उनका जन्म 19 नवंबर 1937 को मिजोरम के लुंगलेई जिले के एक गांव में हुआ था।जिनकी प्रारंभिक शिक्षा लुंगलेई में और बाद में शिल्लोंग में उच्च शिक्षा पूरी हुई । अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने 1958 में मिजोरम पुलिस में नौकरी शुरू की और 1966 में उन्हें डीएसपी का पद मिला।

अच्छी खासी पुलिस कि नौकरी और रुतबे के बीच लालदुहोमा का राजनीती में आना भी काम रोचक नहीं रहा 1984 के वो दौर सबको याद है जब भारत कि प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने सत्ता संभाली हुई थी और उनकी ख्याति ऐसी थी कि लालदुहोमा ने अपनी पुलिस की नौकरी छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए । जानकारों कि माने तो राजनीती में उनका आना उनका इंदिरा गांधी से प्रेरित होना ही था। 

आपको बता दे कि ये वो समय था जब मिजोरम में आंतरिक विद्रोह प्रबल थे ऐसे में इस समस्या को खत्म करने का जिम्मा लालदुहोमा को दिया गया, इसके बाद उन्होंने विद्रोही नेता लालडेंगा से लंदन में शांति वार्ता की और उन्हें भारत लौटने के लिए मनाया। उनके प्रयासों से मिजोरम में शांति की स्थापना हुई और उन्हें राजनीतिक और रणनीतिक तौर पर नायक के रूप में मान्यता मिली। 

इसके बाद लालदुहोमा ने 1984 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में लुंगलेई से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। बाद में उन्हें मिजोरम राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष और कांग्रेस पार्टी के राज्य अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया। उन्होंने शांति वार्ता को जारी रखा और लालडेंगा को भारत लौटने के लिए राजी किया। लेकिन जिस दिन इंदिरा गांधी की हत्या हुई उसी दिन लालडेंगा कि मुलाक़ात तय थी लेकिन उनकी मौत ये मुलाक़ात नहीं हो पायी। इंदिरा की मौत के बाद कांग्रेस पार्टी से लालदुहोमा के संबंध बिगड़ गए । इसी बीच उन्हें 1984 के लोकसभा चुनाव में मिजोरम से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुना गया था इसी बीच कांग्रेस 1985 में दल-बदल विरोधी कानून लाई थी और ये वही कानून था जिसके उल्लंघन के निशाने पर बाद में लालदुहोमा भी आए। साल 1988 उन्हें राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने को कहा गया था। जिससे नाराज होकर उन्होंने 1986 में कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया। जिसके बाद उनकी लोकसभा की सदस्य्ता 1985 में आये दल बदल कानून की वजह से चली गयी। 

आपको बता दे कि इसके बाद लालदुहोमा ने 1986 में एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल ‘जोरम नेशनलिस्ट पार्टी  का गठन किया। उन्होंने इस पार्टी के तहत 1987 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में भाग लिया लेकिन कोई सीट नहीं जीत सके। उन्हें 1988 में लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने दल-बदल विरोधी कानून का उल्लंघन किया था। उन्होंने अपने फैसले पर गर्व व्यक्त किया और कहा कि वे अपने राज्य के लिए शांति का मार्ग चुनेगे । 

लालदुहोमा ने 1998 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में फिर से भाग लिया और इस बार उन्होंने एक सीट जीती। उन्होंने मिजोरम के विकास और शांति के लिए कई पहलें कीं। उन्होंने मिजोरम के लिए एक विशेष राज्य दर्जा की मांग की और केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहायता और स्वायत्तता की गुहार लगाई। उन्होंने राज्य की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए भी कदम उठाए।

लालदुहोमा के नेतृत्व में जोरम नेशनलिस्ट पार्टी ने 2003 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में फिर से भाग लिया लेकिन इस बार उन्होंने सिर्फ दो सीटें जीतीं। उन्होंने अपनी पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम किया और 2008 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में फिर से लड़ा। उन्होंने तुइचांग सीट से चुनाव जीता । 

Lalduhoma ने 2013 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में भी भाग लिया लेकिन उन्होंने अपनी सीट खो दी। उन्होंने अपनी पार्टी के साथ मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के साथ एक गठबंधन बनाया और 2018 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में फिर से उतरा। उन्होंने आइजोल वेस्ट और सेरछिप सीट दोनों जगह से चुनाव लड़ा और दोनों ही जगह से जीता। उन्होंने सेरछिप सीट को इसलिए चुना क्योंकि इस सीट पर वो वर्तमान मुख्यमंत्री ललथनहवला को 410 वोटों से हराकर चुनाव जीते थे। उन्होंने अपनी पार्टी के साथ जोरम पीपुल्स मूवमेंट का गठन किया और उसके अध्यक्ष बने । 

Lalduhoma ने 2018 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन इसी बीच उनका गठबंधन जोरम पीपुल्स मूवमेंट का 2019 में चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन हो गया।इसके बाद सितंबर 2020 में, सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट ने लालदुहोमा पर आरोप लगाया था कि एक निर्दलीय उम्मीदवार होते हुए भी एक रजिस्टर्ड राजनीतिक दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट के शीर्ष नेता के रूप में काम कर रहे थे , और इसी मामले पर संज्ञान लेते हुए विधानसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। खास ब खास बात यह है कि Lalduhoma ने अपनी सीट खोने के बाद भी राजनीति में हार नहीं मानी। उन्होंने अपने गठबंधन के साथी और अन्य राजनीतिक दलों के साथ मिलकर लड़ाई जारी रखी। उन्होंने मिजोरम के लोगों को एक नया विकल्प देने का दावा किया और उनके हितों की रक्षा करने का वादा किया। उन्होंने अपनी पार्टी के लिए एक नया चुनाव चिन्ह भी चुना, जो एक बाघ का चेहरा था। उन्होंने कहा कि बाघ उनकी पार्टी की शक्ति और साहस का प्रतीक है। 

Lalduhoma के नेतृत्व में जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने 2018 में मिजोरम विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और उन्होंने आठ सीटें जीतीं थी । उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए एक गठबंधन बनाने का प्रयास किया, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके। उन्होंने विपक्ष का नेतृत्व करते हुए मुख्यमंत्री पु जोरामथांगा की सरकार को लगातार चुनौती दी। उन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति, कोरोना महामारी, राज्य की सीमा विवाद, और अन्य मुद्दों पर भी सरकार की आलोचना की। 

Lalduhoma ने 2021 में मिजोरम विधानसभा की उपचुनाव में फिर से भाग लिया और उन्होंने सेरछिप सीट से चुनाव जीता। इसके बाद 2023 में, पार्टी ने नवगठित लुंगलेई नगर परिषद में सभी 11 वार्ड जीते ।उन्होंने अपनी जीत को जनता के विश्वास का परिणाम बताया और कहा कि वे राज्य के विकास और शांति के लिए काम करते रहेंगे। उन्होंने अपने विरोधियों को भी बधाई दी और उनसे सहयोग का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वे राज्य के लिए एक नई राजनीति लाने का प्रयास कर रहे हैं, जो जनता की भलाई के लिए है।

उन्ही के प्रयास थे कि काफी कम समय में ही उनकी पार्टी ने दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा और कांग्रेस को शिकस्त दी।  ताजे परिणामो में ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंटइ मिजोरम कि 40 में से 27  सीटों पर प्रचंड बहुमत प्राप्त करके सबको चकित कर दिया।

धन्यवाद् 

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