चार धाम यात्रा का बढ़ता क्रेज़ 

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पिकनिक स्पॉट बन गए हैं चार धाम –Char Dham Yatra latest update

राज्य सरकार ने लिए कड़े फैसले 

 चार धाम यात्रा पर असर डाल रहा सोशल मीडिया –Char Dham Yatra latest update

Uttarakhand में इस वक़्त क्या चल रहा है जवाब है चार धाम यात्रा का सुरूर चल रहा है Uttarakhand में चार धाम यात्रा इस वक़्त चरम पर है हर कोई श्रद्धालु सिर्फ और सिर्फ चार धाम यात्रा जाकर भगवन के दर्शन करना चाहता है और इसे लेकर खतरा  भी देखने को मिल रही हैं और जब बात खतरों की होती है   तो आप व्यवस्था का इंतजाम भी देखने को मिलता है अब चार धाम आस्था के बीच  केंद्र सरकार  और फिर राज्य सरकार की  कुछ जिम्मेदारियां भी होती है… –Char Dham Yatra latest update

जिन सब के बीच  अब Uttarakhandकी चार धाम यात्रा के बीच  दुखी  करने वाली खबर सामने आई  है यह दिल को दुखने वाली ख़बरें हैं जहाँ पर बढ़ती हुई   भीड़ के बिच 11  श्रद्धालुओं की मौत हो गई है आपको बता दें की यह मौत भगदड़ की वजह से हुई है तस्वीरें में  सामने निकल आया  है और  वह हम सभी ने देखा है  बहुत दिनों से  केदारनाथ धाम जाने के लिए श्रद्धालुओं का एक लम्बा हुजूम जो है वह आपको देखने को मिला होगा वैसे ही केदारनाथ की यात्रा बहुत ही ज्यादा कठिन होती है..

अब इस पर  लोगों की राय  क्या कहती है चार धाम आस्था का केंद्र या फिर सिर्फ घूमने की जगह या फिर आज के समय में पड़ता असर  कितना सही या गलत है और यात्रा में राजनितिक खंड पहल  हो रही है अब आपको बता दें की कई तरह के सवाल जो  है  वह लिहाज़ा खड़े हो रहे हैं सबसे पहला सवाल जो है वह यह है की चार धाम आस्था आस्था का केंद्र  है या फिर सिर्फ एक पिकनिक स्पॉट बन कर रह गया है जिस तरह से चार धाम यात्रा में लगातार श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है और इसी बीच  लगातार एक तरफ तो तस्वीरें भी सामने आ  रही हैं की लोग रॉल्स बना रहे हैं-Char Dham Yatra latest update

लोग सोशल मीडिया पर  अपलोड करने के लिए तरह तरह की तस्वीरें खिंच रहे हैं और लोगों के बीच  में सोशल मीडिया का बढ़ता हुआ क्रैश कहीं न कहीं चार धाम यात्रा की व्यवस्था के ऊपर चोट करता हुआ भी नजर आया है undefined एक तरफ तो यात्रा को लेकर तैयारियां चल रही हैं तो वही दूसरी तरफ श्रद्धालुओं का बढ़ता हुजूम.. सरकारी तंत्र की व्यवस्थाओं पर  धौंक मारता हुआ दिखाई दे रहा है अब ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं मतलब सबसे पहला सवाल तो यही है की आख़िरकार श्रद्धालुओं में चार धाम यात्रा को लेकर इतना ज्यादा क्रेज़  सिर्फ और सिर्फ उनकी आस्था है

या सिर्फ और सिर्फ सोशल मीडिया के प्रति बढाती हुई उनकी दीवानगी और ऐसे में राज्य सरकार  क्या कुछ कदम उठा सकती है तो राज्य सरकार  ने पहला कदम भी उठाया 200  मीटर के एरिया में मोबाइल फ़ोन को बन कर दिया गया है..

अब ऐसे में अगर किसी श्रद्धालु की सच्चे मन से आता है तभी वह चार धाम यात्रा के दर्शन करने के लिए आएगा इस तरह से सरकार का  मानना है की यात्रियों की संख्या में कुछ प्रतिशत तक छटनी  भी हो सकती है और राज्य सरकार  को कुछ हद तक राहत  भी मिल सकती है अब सरकार  के इस फैसले को लेकर कई  तरह के प्रतिक्रिया आ  रही हैं जिनका  इंतज़ार करना बाकि है लेकिन भीड़ का जिस तरह से आलम बढ़ रहा है वह राज्य सरकार  के लिए चिंता का विषय भी है और ऐसे में राज्य सरकार  को इस मामले पर  बेहतरीन तौर पर  मंथन करने की भी जरुरत है 

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Ques-  1-क्या चार धाम यात्रा सिर्फ पिकनिक स्पॉट बन कर रह गया है ? 

2- आपके हिसाब से धामों में रील्स बनाना सही है ? 

3- क्या केदारनाथ की लोकप्रियता सोशल मीडिया की वजह से बढ़ी है ? 

4- आपके हिसाब से किस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए ?

5–क्या आपने  Uttarakhand के चारो धामों के दर्शन किये हैं ?

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 राजनीती के दंगल में महिलाओं के हिस्सेदारी को लेकर हमेशा से ही प्रश्न चिन्ह खड़े होते रहे हैं। महिलाओं की  हिस्सेदारी सिर्फ और सिर्फ कहने बस भर के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि उसको धरातल पर  उतारना  भी चाहिए और अमल भी करना चाहिए इसी तरह का एक कानून भी निकल कर सामने आया था नारी शक्ति वंदन अधिनियम जिसको केंद्र सरकार  लोकसभा में और फिर उसके बाद राज्यसभा में पास किया उसके बाद जिस तरह से राष्ट्रपति की मुहर के बाद यह कानून बन गया उसके बाद से ही लगातार महिलाओं के वर्ग में एक ख़ुशी साफ़ तौर पैर देखने को मिली थी हालांकि  पहले भी कई बार यह सवाल उठते रहे हैं की महिला वर्ग आज़ादी से पहले भी काफी हद तक सकिर्य  था महिलाओं की हिस्सेदारी और उसके बाद महिलाओं की आत्मनिर्भरता हमेशा से ही कायम रही है आज़ादी के युद्ध का जिक्र किया जाए या फिर तमाम युद्ध जिनमें महिलाओं की भागीदारी साफ़ तौर पर  देखने को मिली है न सिर्फ हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी महिलाओं ने एक उच्च पद को हमेशा से ही हासिल कर रखा है अगर बात की जाए ब्रिटेन की  तो ब्रिटेन  की रानी एलिज़ाबेथ का जिक्र हो तो वह शक्तिशाली नेत्रियों में गिनी जाती हैं. तो हमारे भारत में यह कमल इंदिरा गाँधी हैं ,,, जो की हमारे देश की पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं और साथ ही साथ प्रतिभा पाटिल जो राष्ट्रपति का पदभार संभाल  चुकी हैं और अभी हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी इस लिस्ट में शामिल हैं जिन्होंने अपने कर्मों से यह साबित किया है की महिलाएं न सिर्फ घरों तक सिमित हैं बल्कि महिलाएं देश को भी चलाने  में पूरी तरह से सक्षमता के सामने आती है.. लेकिन सवाल यही उठता है की महिलाओं की राजनीती में हिस्सेदारी से आख़िरकार फर्क किसे पड़ता है.. क्या महिलाएं एक मास लेवल पर  ऑडियंस को प्रभावित कर सकती है क्या वोटर्स को प्रभावित करने में महिला उम्मीदवारों का दबदबा रहता है और महिलाएं के तरह से राजनीती में अपना दबदबा कायम कर सकती हैं वह भी उस हालत में जब आज के समय पर  ही देखा जाए तो दागी उम्मीदवारों की संख्या कई ज्यादा है यानि की कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हमारे उम्मीदवार के लिस्ट में शामिल हैं जिनके सर पर कई तरह के क़ानूनी आरोप लगे हुए हैं जो की बिहार से बाहुबली.. तो वही जौनपुर से धनञ्जय सिंह अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारते हुए नजर आये थे पहले जिनका नाम श्री कला रहती है उन्होंने अपने बाहुबली के डैम पर  अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने  की कोशिश की थी लेकिन मायावती जो की खुद एक महिलाएं को टिकट दे दिया उनका दवा था की हमारी तरफ से किसी भी तरह के बाहुबली या फिर अपराधी का समर्थन नहीं किया जाएगा… लेकिन इधर श्री कला का टिकट कटा उधर धनञ्जय सिंह की बीजेपी के सांठ  गांठ हो गई धनञ्जय सिंह का साफ़  कहना है की किसी भी तरह से उनकी पार्टी उनके नेता उनसे जुड़े हुए कार्यकर्त्ता और उनके समर्थक जितने भी उनके समर्थक हैं सभी के सभी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की मदद करेंगे न सिर्फ इसमें जौनपुर का नाम शामिल है बल्कि उसे लोकसभा सीट का भी नाम शामिल है जिसको लेकर हमेशा से ही राजनीती में चर्चा चरम पर  रही है उसका नाम है मछली शहर मछली शहर में आपको बता दें की पिछली बार भी बसपा विधायकों की तरफ से ही खास तौर पर  दबदबा देखने को मिला था बसपा के कार्यकर्ताओं का यहाँ पर …तो वही मछली शहर के लोकसभा चुनाव को लेकर अब अटकलें लगाई जा रही हैं की बसपा के प्रत्याशी की यहाँ से छुट्टी होने वाली है साथ ही इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों की तरफ से भी कोई खासा स्वराज नहीं की गई है तो साफ़ तौर पैर देखने को मिल रहा है की इस बार यह सीट बीजेपी के कहते में जाती हुई दिख रही है और खास तौर पैर बाहुबली धनञ्जय सिंह की तरफ से जो समर्थन मिला है उसके बाद से तो यह थी पूरी तरह से बीजेपी के दबदबे में पहुँच रही है लेकिन मुद्दा यह है की महिलाओं ने राजनीती में… अपना दबदबा कायम किया है और सवाल ये उठता है की क्या महिलाओं की भागीदारी से जन  सरोकार  पर एक बेड  इम्पैक्ट पड़ता है वह देखना बेहद जरुरी हो जाता है तो आपको बता दें की जिस तरह से महिलाओं की भागीदारी न सिर्फ हमारे घरों में हमारे स्कूलों में हमारे दफ्तरों में हमारे आसपास हमारे वर्ग क्षेत्र में यहाँ तक की चाय की गुमटियों पैर भी महिलाओं की जिस तरह से भागीदारी देखने को मिलती है उसी तरह से यह सवाल भी कहीं न कहीं साफ़  ही हो जाता है की जब महिलाएं हर एक क्षेत्र में बेहतर कर सकती हैं महिलाएं घर के चूल्हे से लेकर डस्टर की उलझन तक को सँभालने में पूरी तरह से सक्षम है तो इसी तरह से महिलाओं का राजनीती में उतरना एक मास लेवल पर  पूरे  देश और दुनिया को एक अच्छा सन्देश देता हुआ नजर आता है
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