19 नवंबर, 2021 को तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष एन Chandrababu Naidu ने Andhra Pradesh विधान सभा से एक भावनात्मक विदाई ली, वादा करते हुए कि वे केवल सत्ता में वापस आने के बाद ही दोबारा प्रवेश करेंगे। इकत्तीस महीने बाद, नायडू ने अपना वादा पूरा किया और मुख्यमंत्री के रूप में राज्य विधानसभा में लौटे।-Chandrababu Naidu news update
इस घटना ने न केवल राजनीतिक जगत को हिला कर रख दिया बल्कि आम जनता के दिलों में भी कई सवाल खड़े कर दिए। क्या नायडू का यह कदम एक राजनीतिक रणनीति थी या यह वास्तव में उनके व्यक्तिगत अपमान का परिणाम था? क्या उनके इस वादे का पालन करने से उनकी पार्टी को राजनीतिक लाभ हुआ? और सबसे महत्वपूर्ण, Andhra Pradesh की राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-Chandrababu Naidu news update
एन Chandrababu Naidu, जो 2021 में विपक्ष के नेता थे, उन्होंने Andhra Pradesh विधान सभा से विदाई ली थी। यह विदाई उस समय की सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्यों द्वारा उनके खिलाफ लगातार अपमानजनक टिप्पणी करने के कारण हुई थी। नायडू ने महाभारत का संदर्भ देते हुए कहा था कि जिस तरह भगवान कृष्ण भी कौरवों को द्रौपदी का अपमान करने से नहीं रोक पाए थे, उसी तरह वाईएसआर कांग्रेस की सभा में भी जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं है।-Chandrababu Naidu news update
उनके इस बयान के बाद, उस समय के स्पीकर तम्मिनेनी सीताराम ने माइक बंद कर दिया और सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों ने नायडू की टिप्पणियों को ‘नाटक’ करार दिया। इस घटना के दो साल बाद, नायडू की पार्टी ने Andhra Pradesh में जोरदार वापसी की और टीडीपी प्रमुख ने शुक्रवार को विधायक के रूप में शपथ ली।
16वीं Andhra Pradesh विधान सभा का उद्घाटन सत्र शुक्रवार को शुरू हुआ, जिसमें 172 नव-निर्वाचित विधायकों ने शपथ ली। शपथ ग्रहण के बाद, प्रो टेम स्पीकर ने सदन को शनिवार सुबह 10:30 बजे तक स्थगित कर दिया। इस सत्र में स्पीकर और उप स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ।
वेसे एन Chandrababu Naidu का राजनीतिक सफर संघर्षों और सफलताओं से भरा हुआ है। उन्होंने Andhra Pradesh की राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है। नायडू का यह कदम उनके राजनीतिक कौशल और रणनीति का एक और उदाहरण है। उन्होंने यह साबित किया है कि वे न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं बल्कि जनता के मुद्दों को लेकर भी गंभीर हैं।
ऐसे में नायडू की सत्ता में वापसी का Andhra Pradesh की राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। उनकी पार्टी ने न केवल सत्ताधारी पार्टी को चुनौती दी है बल्कि जनता के विश्वास को भी जीतने में सफल रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में नायडू की यह वापसी राज्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाती है।
आपको बता दे कि एन Chandrababu Naidu की राजनीतिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण मोड़ आए हैं। 1995 में, उन्होंने अपने ससुर और पार्टी के संस्थापक एनटी रामाराव को हटाकर मुख्यमंत्री पद हासिल किया था। इसके बाद, उन्होंने 2004 तक मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की। नायडू ने अपने कार्यकाल में Andhra Pradesh को आईटी हब के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2014 में, Andhra Pradesh के विभाजन के बाद, नायडू ने फिर से मुख्यमंत्री पद संभाला। उनके कार्यकाल में अमरावती को नई राजधानी के रूप में विकसित करने का प्रयास किया गया। हालांकि, 2019 में, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की और नायडू को विपक्ष में बैठना पड़ा।
इसके बाद नायडू का 2021 में विधान सभा से विदाई लेना और फिर सत्ता में वापस आना उनके राजनीतिक कौशल और दृढ़ संकल्प का उदाहरण है। उनका यह कदम एक मजबूत संदेश देता है कि वे न केवल अपने वादों पर खरे उतरते हैं बल्कि अपने विरोधियों को भी चुनौती देने में सक्षम हैं।
नायडू की सत्ता में वापसी से Andhra Pradesh की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के खिलाफ उनकी जीत ने यह साबित किया है कि जनता का विश्वास अभी भी उनके प्रति बना हुआ है। इसके साथ ही, उनकी वापसी से राज्य में नई नीतियों और विकास योजनाओं की शुरुआत हो सकती है।
नायडू की इस वापसी में कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों और घटनाओं का योगदान रहा है। उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में जोरदार अभियान चलाया, जिससे जनता का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ। इसके अलावा, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की नीतियों और कार्यों के प्रति जनता की असंतुष्टि ने भी नायडू की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसी तर्ज पर नरेंद्र मोदी का 2014 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उभरना और फिर 2019 में सत्ता में दोबारा आना भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है। मोदी ने अपने दृढ़ संकल्प और कार्यों के माध्यम से जनता का विश्वास जीतने में सफलता पाई। उनके शासनकाल में कई महत्वपूर्ण नीतियों और योजनाओं की शुरुआत हुई।
ऐसे ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी 2021 में सत्ता में वापसी की। भाजपा के खिलाफ उनकी जीत ने यह साबित किया कि वे एक मजबूत नेता हैं और जनता का विश्वास उनके प्रति बना हुआ है। उनके नेतृत्व में राज्य में कई विकास योजनाओं की शुरुआत हुई।
तो इस तरह एन Chandrababu Naidu की सत्ता में वापसी ने Andhra Pradesh की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा है। उनकी दृढ़ता और राजनीतिक कौशल ने यह साबित किया है कि वे एक सच्चे नेता हैं। उनकी यह जीत न केवल उनके लिए बल्कि उनकी पार्टी और समर्थकों के लिए भी महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में नायडू की यह वापसी राज्य के विकास और राजनीति को किस दिशा में ले जाती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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