Breaking News: Home Minister Amit Shah’s Rally Heats Up Politics in Bengal – Allegations, Reactions and More
ब्रेकिंग न्यूज़: गृह मंत्री अमित शाह की रैली से Bengal में गरमाई राजनीति – आरोप, प्रतिक्रियाएँ और बहुत कुछ
लोकसभा चुनावो की आहट से पुरे भारत की राजनीती गरमाई हुई है , और इसी गर्माहट ने बुधवार , २९नवम्बर २०२३ को गृह मंत्री अमित शाह के कलकत्ता में हुई बड़ी रैली के सम्बोधन के जरिये Bengal की राजनीती में भी हलचल मचा दी है।
अपने इस सम्बोधन में शाह ने कहा कि , “टीएमसी सांसदों ने रिश्वत और उपहार स्वीकार करके संसद की गरिमा को समाप्त कर दिया है। ” उन्होंने यह भी कहा कि “टीएमसी सांसदों ने संसद की गरिमा को कलंकित भी किया है।”
आगे उन्होंने कहा कि, “टीएमसी के भ्रष्टाचार के कारण पश्चिम बंगाल की प्रतिष्ठा को बदनाम किया है।”
2026 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस सरकार को हटाने की बात करते हुए अमित शाह ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावो के लिए बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव पर भी उन्होंने बात की , “आने वाले लोकसभा चुनाव में Bengal की जनता TMC को सबक सिखाएगी ।”
इसके बाद उन्होंने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के, पिछले महीने टीएमसी सदस्य के खिलाफ दायर, एक शिकायत याचिका की भी बात की , जिसमें दुबे ने मोइत्रा पर आरोप लगाया था कि, उसने व्यापारी दर्शन हीरानंदानी के कारोबारी फायदे के लिए , अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने वाले प्रश्न सदन में उठाने के लिए व्यापारी से रिश्वत ली थी ।
आपको बता दे कि ,लोकसभा आचार समिति, जिसका नेतृत्व भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर कर रहे थे, ने मोइत्रा के खिलाफ आरोपों पर अपनी रिपोर्ट को स्पीकर के कार्यालय को पेश कर दिया है , जिसे समिति ने मंजूरी भी दे दी है। ताकि मोइत्रा के कॅश फॉर क्वारी के लिए रिश्वत मामले को संसद में उठा सके।
भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए , मोइत्रा ने इस निर्णय को “कंगारू कोर्ट द्वारा पूर्व-निर्धारित मैच” कहकर खारिज कर दिया और इसे “संसदीय लोकतंत्र की हत्या ” कह दिया ।
आपको बता दे कि इसी मुद्दे पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर नए आपराधिक कानूनों को जल्दबाजी में न लागू करने की मांग की है और पहले उन पर सहमति से बात करने और चर्चा करके लागु करने की बात की है। वह यह तर्क देती हैं कि मौजूदा कानूनों को बिना उचित परामर्श के बदलने से राजनीति पर इसके दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे।
ममता का ये पत्र उस समय भेजा गया था जब भारतीय दंड संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को बदलने के लिए केंद्र सरकार ने तीन विधेयकों का मसौदा तैयार किया था । जिन्हें आगामी सर्दियों के सत्र में संसद में पारित करने की उम्मीद है।
“मैं दृढ़ता से मानती हूं कि ये बहुत महत्वपूर्ण विधान हैं जो हमारे दंड-आपराधिक न्यायशास्त्र की नींव बनाते हैं। ऐसा होने पर, मौजूदा आपराधिक-दंड संविधानों को पुनर्निर्माण करने का प्रस्ताव और उन्हें नए संविधानों से बदलने का प्रस्ताव हमारी राजनीति पर दूरगामी दीर्घकालिक प्रभाव डालने वाला है,” मुख्यमंत्री बनर्जी ने शाह को लिखे अपने पत्र में कहा था ।
आगे उन्होंने तर्क दिया कि ये परिवर्तन देश में सार्वजनिक जीवन को भी प्रभावित करेंगे। “मैं आशा करती हूं कि विषय की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, आप प्रस्तावित विधेयकों पर सभी के बीच सहमति बनाने का प्रयास करेंगे, बजाय इसके कि उन्हें उनके वर्तमान रूप में जल्दबाजी में पारित करने की, जिसके पास भविष्य में गंभीर प्रकार के संभावनाओं का होना है,” उन्होंने कहा।
आपको याद होगा कि , INDIA गठबंधन ने प्रस्तावित कानूनों का विरोध किया था और उन्होंने इस पर पहले ही बयान दिए हैं। अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने सुझाव दिया है कि विधेयकों को अगले साल नई सरकार आने के बाद पुनः देखा जाए। विपक्षी सदस्यों ने भी संसदीय स्थायी समिति में आपराधिक विधेयकों के खिलाफ असहमति नोट दिए हैं।
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