Arvind Kejriwal Big Breaking: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी नीति घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल पर ED को मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ED का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।
ED के अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप
ED ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ED ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।
आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया है। पार्टी का कहना है कि इस कथित घोटाले की 2 साल से जांच चल रही है, लेकिन अब तक एक भी पैसा बरामद नहीं हुआ है। AAP ने कहा कि बीजेपी का असली मकसद किसी भी तरह से केजरीवाल और पार्टी को परेशान करना है।
जुलाई 2022 में तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने दिल्ली की आबकारी नीति 2021-2022 में कथित अनियमितताओं की CBI जांच की सिफारिश की थी। केजरीवाल को मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सितंबर में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। इस मामले के राजनीतिक असर पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
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