इजराइली सेना की K-9 unit के जांबाज़ सैनिक, आतंकियों को किए चीथड़े
इजराइली सेना के ये वो नायक हैं जिसकी गैंग ने हमास के भेड़ियों का चुन-चुन कर सफाया कर दिया…मासूम इजराइल नागरिकों की जान लेने आए हमास के आतंकियों का काम तमाम कर दिया…इजराइल में घुसने के बाद के हमास के आतंकी जिस तरह से इजराइल नागरिकों पर कहर बनकर टूटे थे…उन्हें इस बात का तनिक भी अंदेशा नहीं था कि उनका शिकार करने इजराइली सेना की एक खूंखार टुकड़ी आ गई है…
इजराइली सीमा में घुसने के बाद जो हमास खुद को मजबूत समझ रहा था…हर तरफ खून की होली खेल रहा था…मासूम बच्चों की जान ले रहा था…महिलाओं से सामूहिक रेप कर रहा था…उस हमास को इजराली सेना की इस खास टुकड़ी ने हलाल कर दिया…7 अक्टूबर को इजराइल में धोखे से घुसे हमास के आतंकियों का इजराइली सेना के नायकों ने एक झटके में काम तमाम कर दिया…
इजरायल की K-9 unit के कुत्तों ने 200 लोगों को बचाया…10 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया…इसके अलावा उन्होंने आतंकियों को खोजने में मदद भी की…वो आतंकी जो लोगों की आड़ में घरों में छिपे बैठे थे…उनका पता लगाकर मौत के घाट उतारने में सैनिकों की मदद की…इजरायली सेना के मुताबिक इन शिकारी कुत्तों को गाजा के पास की कम्युनिटी में तैनात किया गया था…हमले की सूचना मिलते ही आतंकियों का खात्मा करने के लिए सैनिकों के साथ इजराइली सेना की ये खास यूनिट पहुंच गई
गाजा पट्टी के पास कफर अजा इलाके में हमास के आतंकी IDF पर हमले के लिए घात लगाकर बैठे थे… K-9 unit में शामिल नारू नाम के एक कुत्ते ने सैनिकों को अलर्ट कर दिया… K-9 unit के एक डॉग नारू से मिली मदद के बाद इजराइली सेना ने आतंकियों पर अचानक हमला किया, जिससे उन्हें संभलने का मौका नहीं लगा और सब के सब आतंकी मारे गए…ये वही इलाका है जहां हमास के आतंकियों ने छोटे-छोटे बच्चों का गला काटकर हत्या कर दी थी…
इसी तरह एक दूसरे रेसक्यू मिशन के दौरान चार्ली नाम के एक K-9 ने हमास के एक लीडर को सूंघ लिया और उस पर हमला कर दिया…जिसके बाद इजराइली सेना के जवानों ने हमास के उस कमांडर को मौत के घाट उतार दिया…इजराइली सेना की K9 UNIT के इन जांबाजों ने हमले के बाद…दुकानों…घरों…सड़कों और दूसरे सार्वजनकि स्थानों पर आतंकियों और विस्फोटकों का पता लगाने में मदद की…
इजराइली सेना की इस खास यूनिट में शामिल होने के लिए खास ट्रेनिंग होती है …डॉग्स की ब्रीड और IQ लेवल का पता लगाने के बाद ही उन्हें ओबेडिएंस ट्रेनिंग दी जाती है…इस ट्रेनिंग के बाद ही इन डॉग्स की पहचान पेट्रोल डॉग्स, माइन डिटेक्शन डॉग्स, सर्च एंड रेस्क्यू डॉग की तरह होती है…यह सब उनकी भर्ती प्रक्रिया में शामिल होता है…सेना में डॉग्स एक डिटेक्टिव की तरह ही काम करते हैं…इनके जरिए बड़ी-बड़ी घटनाओं के कारणों का पता लगाने का काम किया जाता है…मुसीबत के समय इन डॉग्स को कमांड देने की जरूरत नहीं पड़ती, बिना किसी दिशा निर्देश के ही ये अपना काम शुरू कर देते हैं…
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