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Varalaxmi Sarathkumar & Nicholai Sachdev’s Grand Wedding | Meeting PM Modi & Nirmala Sitharaman | AIRR News

 

हर किसी की जिंदगी में एक ऐसा समय आता है जब एक नई शुरुआत का इंतजार होता है। एक ऐसा पल, जो जिंदगी में एक नया मोड़ लाता है, और वही पल है शादी का। भारतीय समाज में शादी सिर्फ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों, दो संस्कृतियों और दो विचारधाराओं का संगम होता है। इसी पृष्ठभूमि में, दक्षिण भारतीय सिनेमा की मशहूर अदाकारा वरलक्ष्मी सरथकुमार और गैलरिस्ट निकोलाई सचदेव की शादी की खबरें आजकल सुर्ख़ियों में हैं। इनकी शादी न सिर्फ एक पारिवारिक समारोह है, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक घटना भी है, जिसे सभी का ध्यान खींचा है। –Varalaxmi Sarathkumar news

अब यह सवाल उठता है कि एक सिनेमा अदाकारा और एक गैलरिस्ट का मिलन कैसे हुआ? क्या होता है जब एक सिनेमा की दुनिया से जुड़ी हस्ती और एक कला की दुनिया से जुड़ी हस्ती एक साथ आते हैं? आइए, जानते हैं इस विषय से जुड़ी विस्तृत जानकारी और समझते हैं इसकी गहराई को।

नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।

वरलक्ष्मी सरथकुमार, जो दक्षिण भारतीय सिनेमा में अपने दमदार अभिनय के लिए जानी जाती हैं, जल्द ही निकोलाई सचदेव से शादी करने जा रही हैं। यह समारोह 2 जुलाई को थाईलैंड में आयोजित किया जाएगा। इस शादी की खासियत यह है कि यह एक भव्य और शानदार आयोजन होगा, जिसमें भारतीय और विदेशी संस्कृतियों का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलेगा। 

वरलक्ष्मी सरथकुमार ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की तस्वीरें साझा की हैं। इन तस्वीरों में वे एक सुंदर नीले और हरे साड़ी में नजर आ रही हैं, जिसमें उनकी खूबसूरती और शालीनता झलक रही है। उनके साथ उनके पिता सरथकुमार और राधिका सरथकुमार भी मौजूद थे। –Varalaxmi Sarathkumar news

इस मुलाकात के दौरान, वरलक्ष्मी ने प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अपनी शादी के रिसेप्शन में आने का निमंत्रण दिया। यह मुलाकात न सिर्फ एक औपचारिकता थी, बल्कि यह दर्शाती है कि वरलक्ष्मी अपने परिवार और अपने व्यक्तिगत जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों को सभी के साथ साझा करना चाहती हैं।

शादी की तैयारियों की बात करें तो यह एक बेहद ही शानदार और भव्य समारोह होने जा रहा है। थाईलैंड की प्राकृतिक सुंदरता और वहां का सांस्कृतिक परिवेश इस शादी को और भी खास बनाने वाला है। इस मौके पर वरलक्ष्मी और निकोलाई के परिवार के साथ-साथ फिल्म और कला जगत की कई मशहूर हस्तियां भी शामिल होंगी। -Varalaxmi Sarathkumar news

आपको बता दे कि वरलक्ष्मी सरथकुमार ने मार्च में निकोलाई सचदेव से सगाई की थी। निकोलाई, जो मुंबई से हैं, एक गैलरिस्ट हैं और कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके हैं। इनकी मुलाकात और सगाई की खबरें भी काफी चर्चा में रही थीं।-Varalaxmi Sarathkumar news 

इस शादी के लिए वरलक्ष्मी ने कई प्रमुख हस्तियों को व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण भेजा है। इनमें रजनीकांत, कमल हासन, रवि तेजा, प्रसांत वर्मा, बाला, वामशी पेडिपल्ली, थमन एस और गोपीचंद मलिनेनी जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा, नयनतारा, विग्नेश शिवन, किच्छा सुदीप और सिद्धार्थ जैसे मशहूर अभिनेता और निर्देशक भी इस खास मौके पर शामिल होने जा रहे हैं।

बात करे वरलक्ष्मी सरथकुमार की तो उनका जन्म 5 मार्च 1985 को चेन्नई में हुआ था। वे एक प्रसिद्ध अभिनेता सरथकुमार और राधिका सरथकुमार की बेटी हैं। वरलक्ष्मी ने अपनी शिक्षा सेंट माइकल्स अकादमी, चेन्नई से की और बाद में स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से माइक्रोबायोलॉजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अभिनय की दुनिया में कदम रखने से पहले उन्होंने एक्टिंग का प्रशिक्षण भी लिया।

वही वरलक्ष्मी ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 2012 में आई फिल्म ‘पोधा पोडी’ से की थी। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया, जैसे ‘मद्रास’, ‘सरकार’, ‘विक्रम वेधा’, और ‘संडक्कोज्ही 2‘। उनके अभिनय की तारीफ हर किसी ने की है और वे दक्षिण भारतीय सिनेमा में एक मजबूत और प्रभावशाली अभिनेत्री के रूप में उभरी हैं।

ऐसे ही निकोलाई सचदेव भी एक प्रसिद्ध गैलरिस्ट हैं और मुंबई से हैं। वे कला के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। निकोलाई का कला के प्रति जुनून और समर्पण उन्हें एक अद्वितीय व्यक्ति बनाता है। उनकी और वरलक्ष्मी की मुलाकात कला और सिनेमा के संगम के रूप में देखी जा सकती है।

वरलक्ष्मी और निकोलाई की शादी थाईलैंड में आयोजित की जा रही है। इस शादी को बेहद ही भव्य और शानदार बनाने के लिए सभी तैयारियां की जा रही हैं। थाईलैंड की प्राकृतिक सुंदरता और वहां का सांस्कृतिक परिवेश इस शादी को और भी खास बनाने वाला है। 

तो इस तरह वरलक्ष्मी सरथकुमार और निकोलाई सचदेव की शादी न सिर्फ एक व्यक्तिगत और पारिवारिक उत्सव है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक घटना भी है। यह शादी हमें यह समझने का अवसर देती है कि कैसे कला और सिनेमा के दो अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े व्यक्ति एक साथ आकर अपने जीवन को एक नया आयाम दे सकते हैं। यह एक ऐसा मिलन है जो न सिर्फ उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करेगा, बल्कि उनके प्रशंसकों और समाज को भी एक नई दिशा देगा।

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Extra : वरलक्ष्मी सरथकुमार शादी

निकोलाई सचदेव वरलक्ष्मी

PM मोदी से मुलाकात

निर्मला सीतारमण वरलक्ष्मी

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क्या गठबंधन के दबाव में बिहार, आंध्र को मिलेगा विशेष दर्जा?  

 

क्या दबाव में है मोदी सरकार ?-chandrababu naidu demand news

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू बना रहे दबाव

विशेष राज्य के दर्जे के लिए बना रहे दबाव-chandrababu naidu demand news

आखिर क्यों चाहिए bihar, andhra को विशेष राज्य का दर्जा?

JDU और TDP है सत्ताधारी NDA का हिस्सा-chandrababu naidu demand news

बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग लंबे समय से चली आ रही है.. हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के बाद इस मांग ने और गति पकड़ ली है.;. इसकी प्रमुख वजह ये है कि दोनों ही राज्यों के सत्ताधारी दल अब केंद्र की सत्ता में भी साथी हैं… आज के वीडियों में हम आपको बताएंगे कि आखिर दोनों राज्य क्यों विशेष राज्य की मांग कर रहे हैं.. नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR NEWS.. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश की जदयू और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी केंद्र के सत्ताधारी NDA गठबंधन का हिस्सा हैं.. लोकसभा में तेदेपा के 16 सांसद हैं और वो बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी है.. लोकसभा में 12 सांसदों के साथ जद(यू) भाजपा की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है, जबकि लोजपा के 5 सांसद हैं.. केंद्रीय मंत्रिपरिषद में तेदेपा और जद (यू) के दो-दो सदस्य भी हैं.. अब आपको बताते हैं कि विशेष राज्य का दर्जा क्या है और इसके लिए क्या प्रावधान हैं.-chandrababu naidu demand news

विशेष राज्य का दर्जा, भारत में उन राज्यों को दिया जाता है जो आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से पिछड़े होते हैं.. ये दर्जा प्राप्त होने पर उन्हें केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहायता और रियायतें मिलती हैं… संविधान में विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है.. ये दर्जा राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा प्रदान किया जाता है.. केंद्र सरकार राज्यों को इस आधार पर अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है ताकि वे अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधार सकें..

भारत में साल 1969 में गाडगिल कमेटी की सिफारिशों के तहत विशेष राज्य के दर्जे की संकल्पना अस्तित्व में आई थी.. इसी साल असम, नगालैंड और जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था.. वर्तमान में भारत में 11 राज्यों को इस तरह की विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया है. इनमें असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना शामिल हैं… अब आपको बताते हैं कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से क्या फायदा होता है.. विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने से संबंधित राज्य को कई फायदे होते हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करना होता है

पहला फायदा वित्तीय सहायता और अनुदान है.. विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्रीय योजनाओं के लिए अधिक वित्तीय सहायता मिलती है.. सामान्यतः केंद्रीय योजनाओं में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी क्रमशः 60% और 40% होती है, लेकिन विशेष राज्य के लिए यह 90% केंद्र और 10% राज्य होती है..

केंद्र प्रायोजित योजनाओं के मामले में विशेष दर्जा रखने वाले राज्यों को 90 फीसदी धनराशि मिलती है जबकि अन्य राज्यों के मामले में यह अनुपात 60 से 70 फीसदी है.. इन राज्यों को अधिकतर सहायता अनुदान के रूप में दी जाती है, जिससे उनके ऋण बोझ में कमी आती है.. दूसरा फायदा कर यानी टैक्स संबंधी रियायतें… विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्रीय करों और शुल्कों में अधिक हिस्सा दिया जाता है, जिससे उनकी राजस्व स्थिति मजबूत होती है..

केंद्रीय बजट में इन राज्यों को अधिक धनराशि आवंटित की जाती है, जिससे विभिन्न विकास कार्यों को तेजी से पूरा किया जा सके.. तीसरा फायदा औद्योगिक प्रोत्साहन है.. इन राज्यों में उद्योगों को स्थापित करने के लिए विशेष रियायतें और प्रोत्साहन दिए जाते हैं, जैसे टैक्स में छूट, सब्सिडी आदि.. इससे औद्योगिक विकास को गति मिलती है। निवेशकों को विशेष राज्य में निवेश के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से विशेष योजनाएं और प्रोत्साहन दिए जाते हैं.. वहीं बुनियादी ढांचे का विकास

होना.. बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष राज्य को केंद्र सरकार से अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिलती है.. इसमें सड़कें, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं आदि शामिल हैं.. इन राज्यों के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाती हैं जो उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करती हैं… वहीं प्राकृतिक आपदाओं में राहत दी जाती है.. विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को प्राकृतिक आपदाओं के समय में तेजी से राहत और पुनर्वास सहायता मिलती है.

विशेष राज्य के पास आपदा प्रबंधन के लिए अलग से फंड उपलब्ध कराया जाता है, जिससे आपदाओं से निपटने में आसानी होती है.. एक और फायदा होता है सामाजिक विकास का… शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेष योजनाएं और परियोजनाएं चलाई जाती हैं, जिससे राज्य की सामाजिक स्थिति में सुधार होता है..

गरीबी उन्मूलन के लिए विशेष योजनाओं का संचालन किया जाता है, जिससे गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को सहायता मिलती है.. इन राज्यों को देश के सकल बजट का 30% हिस्सा मिलता है.. इसके अलावा विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर में रियायतें मिलती हैं.. कुल मिलाकर विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने से राज्य को आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण मदद मिलती है, जिससे राज्य की समग्र स्थिति में सुधार होता है और वहां के निवासियों का जीवन स्तर ऊंचा उठता है…

अब आपको बताते हैं कि बिहार को क्यों चाहिए विशेष श्रेणी का दर्जा… दरअसल साल 2000 में तत्कालीन बिहार राज्य को दो राज्यों बिहार और झारखंड में विभाजित किया गया था.. झारखंड प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है. इसके अलग होने की वजह से बिहार की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई. नीतीश कुमार कई वर्षों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं.. बिहार भारत के सबसे गरीब राज्यों में आता है. बिहार का आर्थिक विकास अन्य राज्यों की तुलना में धीमा है..

औद्योगिकीकरण की कमी और रोजगार के सीमित अवसर यहां की मुख्य समस्याएं हैं.. कई विकास के मापदंडों पर बिहार अन्य राज्यों से पीछे है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे आदि.. बिहार में हर साल बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे आर्थिक और मानव संसाधनों का भारी नुकसान होता है..इसके अलावा, बिहार की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन यहां की कृषि उत्पादकता भी अन्य राज्यों की तुलना में कम है. अब आंध्र प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा क्यों चाहिए ये भी आपको बताते हैं..

साल 2014 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश राज्य को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना नाम से दो राज्यों में बांटा गया था… तेलंगाना के अलग होने के बाद, आंध्र प्रदेश को अपनी नई राजधानी बनाने की आवश्यकता पड़ी.. ये एक महंगा और समयसाध्य प्रक्रिया है.. तेलंगाना के नए राज्य बनने के बाद, आंध्र प्रदेश को वित्तीय असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है, जिससे विकास कार्यों में कठिनाई हो रही है..

बता दें कि आंध्र प्रदेश के वित्तीय केंद्र राजधानी हैदराबाद को तेलंगाना के हिस्से में देने के बदले में पांच वर्षों के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया.. इसके विरोध में चंद्रबाबू नायडू ने 2018 में एनडीए छोड़ दिया था..हालांकि वो एक बार फिर से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा हैं और खुद राज्य के मुख्यमंत्री हैं.. अब क्या नीतीश और चंद्रबाबू विशेष राज्य को लेकर दबाव बना रहे हैं..ये बड़ा सवाल है.. ऐसी ही सियासी खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ..

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Historic Verdict of Varanasi Court: Hindus Allowed to Worship in Gyanvapi Mosque |

 

वाराणसी की अदालत ने Gyanvapi Mosque के अंदर ‘व्यास का टेखाना’ क्षेत्र में हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी है। इस फैसले का विरोध करते हुए, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यह पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है और इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। इस घटना के पीछे के तथ्य और प्रभाव को जानने के लिए, आइए देखते हैं AIRR न्यूज कि ये विशेष रिपोर्ट।

वाराणसी की अदालत ने Gyanvapi Mosque के अंदर ‘व्यास का टेखाना’ क्षेत्र में हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी है। इस फैसले का विरोध करते हुए, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यह पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है और इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। इस घटना के पीछे के तथ्य और प्रभाव को जानने के लिए, आइए देखते हैं AIRR न्यूज कि ये विशेष रिपोर्ट।

नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। 

Gyanvapi Mosque के नीचे कुल चार ‘तहखाने’ हैं, जिनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के कब्जे में है, जो वहां रहते थे। व्यास ने याचिका दायर की थी कि, वंशानुगत पुजारी के रूप में, उन्हें तहखाने में प्रवेश करने और पूजा फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाए। वाराणसी की अदालत ने बुधवार को हिंदु भक्तों को मस्जिद के अंदर ‘व्यास का टेखाना’ क्षेत्र में पूजा करने की अनुमति दी है। अदालत ने जिला प्रशासन से अगले सात दिनों में आवश्यक व्यवस्था करने को कहा है। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधि वकील विष्णु शंकर जैन ने इस बारे में कहा है कि, “पूजा सात दिनों के भीतर शुरू हो जाएगी। हर किसी को पूजा करने का अधिकार होगा।”

आपको बता दे कि अदालत द्वारा पूजा की अनुमति देने के बाद, वकील सोहन लाल आर्य ने कहा, “हम आज बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं। कल का फैसला अदालत का अभूतपूर्व था। व्यवस्था तो कर दी गई है लेकिन अभी तक भक्तों के लिए व्यास का टेखाना खोला नहीं गया है। ” 

अदालत के आदेश पर बोलते हुए, मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जाएंगे। अखलाक अहमद ने कहा, “हम इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जाएंगे। आदेश ने 2022 की आयुक्त द्वारा पेश की रिपोर्ट, एएसआई की रिपोर्ट और 1937 के फैसले को नजर अंदाज कर दिया है, जो हमारे पक्ष में था। हिंदू पक्ष की तरफ से कोई सबूत पेश नहीं किया हुआ जिससे साबित हो कि 1993 से पहले यहाँ पूजा हुई थी। साथ ही वहां कोई मूर्ति भी नहीं है।”

एक और वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि वे इस आदेश को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा की , “यह कोई आदेश नहीं है। जिला मजिस्ट्रेट और जिला अध्यक्ष दोनों मिलकर काम कर रहे हैं। हम इसे कानूनी रूप से लड़ेंगे। यह राजनीतिक फायदे के लिए हो रहा है। वही रणनीति अपनाई जा रही है, जो बाबरी मस्जिद के मामले में की गई थी। आयुक्त की रिपोर्ट और एएसआई की रिपोर्ट पहले कहती थी कि अंदर कुछ नहीं है। हम इस फैसले से बहुत नाराज हैं।”

आपको बता दे की इस विवाद का इतिहास बहुत पुराना है। 1991 में, व्यास परिवार ने याचिका दायर की थी कि उन्हें तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने दावा किया था कि वहां शिवलिंग और वेद व्यास की मूर्ति है। इस पर, मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने विरोध किया था और कहा था कि वहां कोई ऐसी चीज नहीं है। 2022 में, अदालत ने एक वकील आयुक्त नियुक्त किया था, जिसने तहखाने का मुआयना किया था और रिपोर्ट में कहा था कि वहां कोई शिवलिंग या मूर्ति नहीं है। उसने केवल कुछ पुरानी किताबें और चीजें पाई थीं। उसी साल, एएसआई ने भी एक खुदाई करके रिपोर्ट दी थी, जिसमें कहा गया था कि वहां कोई प्राचीन धार्मिक अवशेष नहीं मिले हैं।

ऐसे में इस फैसले से वाराणसी में धार्मिक तनाव बढ़ सकता है। इससे पहले, 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, Gyanvapi Mosque को भी विवादित बनाया गया था। कुछ हिंदू संगठनों ने दावा किया था कि मस्जिद के नीचे काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेष हैं। उन्होंने मस्जिद को तोड़ने और मंदिर को पुनर्निर्माण करने की मांग की थी। इस पर, सरकार ने 1991 में पूजा स्थल अधिनियम बनाया, जिसने 15 अगस्त 1947 के बाद के किसी भी धार्मिक स्थान के स्वामित्व और व्यवस्था को अचल बना दिया था। इस अधिनियम के तहत, Gyanvapi Mosque को मुस्लिमों का ही माना गया था।

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक स्थानों के आसपास के क्षेत्रों को लेकर विवाद अभी भी जारी हैं। इस फैसले को लेकर मुस्लिम पक्ष ने अपनी असंतुष्टि जताई है और कहा है कि यह पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है। और वे इसके खिलाफ उच्च अदालत में जाएंगे। वहीं, हिंदू पक्ष ने इसे एक ऐतिहासिक फैसला बताया है और कहा है कि उन्हें अपने धर्म का अभ्यास करने का अधिकार मिला है। इस फैसले का आगे क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना होगा। इसके लिए, हमें अब इंतजार करना होगा कि उच्च अदालत का क्या कहना है।

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज। 

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Navsariના ઉપરવાસમાં ભારે વરસાદ, નદીઓના પાણી રસ્તા પર ફરી વળ્યા

 

નવસારીના ઉપરવાસમાં ભારે વરસાદના કારણે રોડ પર પાણી ફરી વળ્યા છે અને નદીઓમાં નવા નીરની આવક નોંધાઈ છે, નવસારીના 4, જલાલપોરનો 1 માર્ગ, ગણદેવીના 2, ચીખલીના 15 ગામનો રોડ બંધ થયો છે, ખેરગામના 7 અને વાંસદાના 24 રસ્તા બંધ થયા છે.

નવસારી જિલ્લા સહિત ઉપરવાસમાં ભારે વરસાદ

નવસારી જિલ્લા સહિત ઉપરવાસમાં ભારે વરસાદ પડયો છે, નદી અને કોતરોના પાણી રસ્તા ઉપર ફરી વળતા જિલ્લાના 54 માર્ગો બંધ થયા છે, નવસારીના 4 જલાલપોરનો 1 ગણદેવીના 2 ચીખલીના 15 ખેરગામના 7 સહિત વાંસદા તાલુકાના 24 રસ્તાઓ થયા બંધ અને જિલ્લાના 54 માર્ગો બંધ થતા લોકોને ભારે હાલાકી પડી રહી છે.

નવસારી જિલ્લાની નદીઓ બે કાંઠે વહેતી થઇ

ઉપરવાસમાં ભારે વરસાદથી નદીઓ બે કાંઠે વહેતી થઈ છે, તડકેશ્વર મંદિરમાં કાવેરી નદીના પાણી ભરાયા છે અને મંદિરમાં પાણી ભરાતા શિવાલય જળમગ્ન બન્યું છે, કાવેરી, ખરેરા નદીમાં પાણીની ભારે આવક થઈ છે, ચીખલી, ખેરગામ, વાંસદા તાલુકામાં વરસાદ વરસી રહ્યો છે.

SDRFની એક ટીમ નવસારી જિલ્લામાં એલર્ટ

નવસારી જિલ્લા સહિત ઉપરવાસ ભારે વરસાદ ને પગલે જિલ્લા વહીવટી તંત્ર સતર્ક બન્યું છે. જિલ્લા હાલ ભારે વરસાદને પગલે ઘણા માર્ગો બંધ થયા છે. ત્યારે SDRFની એક ટીમ જિલ્લામાં તૈનાત કરી દેવામાં આવી છે. 24 સભ્યોની ટીમ આપાતકાલીન સ્થિતિને પહોંચી વળવા તમામ સાધનો સાથે સજ્જ છે.

 

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Patan: માખણિયા STPપ્લાન્ટથી સિંચાઈની કેનાલ સુધી ટ્રીટેડ પાણીના નિકાલ બાબતે મુખ્યમંત્રીને રજૂઆત

 

પાટણ શહેરમાં અમૃત-2.0 અંતર્ગત માખણિયા STP પ્લાન્ટથી સિંચાઈ ની કેનાલ સુધી ટ્રીટેડ પાણીના નિકાલ બાબતે મંગળવારે પાલિકા પ્રમુખ સહિત ની ટીમે ગુજરાત પ્રદેશ ભાજપના પૂવૅ મહામંત્રી અને તાજેતરમાં જેઓની હુડકો ના સ્વતંત્ર ડિરેક્ટર તરીકે નિયુકત કરવામાં આવી છે તેવા પાટણના કે. સી. પટેલને સાથે રાખીને મુખ્યમંત્રીને રજુઆત કરવામાં આવી છે.

આ રજુઆતમાં પાલિકા પ્રમુખે જણાવ્યું છે કે હાલમાં પાટણ શહેરમાં અમૃત-2.0 અંતર્ગત જી.યુ.ડી.સી મારફ્ત પાટણ શહેરના ભુગર્ભ ગટરની કામગીરી ચાલુમાં છે. આ સુંદર કામગીરીમાં માખણિયા STP પ્લાન્ટથી સિંચાઈની કેનાલ સુધી ટ્રીટેડ પાણીના નિકાલ લાઇન નાંખવાની કામગીરીનો સમાવેશ કરવામાં આવેલ છે. હાલમાં પાટણ શહેરનું ભુગર્ભ ગટરનું પાણી વિવિધ પંમ્પીંગ સ્ટેશન મારફ્ત માખણિયા ખાતે STP પ્લાન્ટમાં લઈ જવામાં આવે છે. STP પ્લાન્ટમાં ટ્રીટેડ થયેલું પાણી બાજુમાં આવેલ ઓકસીડેશન પોન્ડની જગ્યામાં નાંખવામાં આવે છે. સદર ઓકસીડેશન પોન્ડની જગ્યાની ક્ષમતા કરતાં ભુગર્ભ ગટરનું પાણી વધારે આવતું હોવાથી ઓકસીડેશન પોન્ડનાં પાળા ઉપર ઓવરફ્લો થઈ પાણી આજુબાજુના ખેડૂતોનાં ખેતરમાં જાય છે, જેના કારણે ખેડૂતોને ખેતીના પાકને વારંવાર નુકશાન થતું હોય છે. જેના નિવારણ માટે STP પ્લાન્ટથી ટ્રીટેડ થયેલા પાણીને રાઈઝીંગ લાઇન મારફ્ત સિંચાઈની કેનાલમાં નાંખવામાં આવે તો કાયમી સદર પ્રશ્નોનું નિરાકરણ આવી શકે તેમ છે, તો અમૃત-2.0માં સદર રાઇઝીંગ લાઇનનો સમાવેશ કરવામાં આવેલ છે, જેની કામગીરી સત્વરે જી.યુ.ડી.સીને કામગીરી હાથ ધરવા આદેશ થવા તેઓએ વિનંતી સહ જણાવ્યું હોવાનું પાલિકા પ્રમુખ હિરલબેન પરમારે જણાવ્યું હતું.

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Panchmahal:લુણાવાડા ખાતે સંવિધાન હત્યા દિવસ નિમિત્તે વિશેષ કાર્યક્રમ યોજાયો

 

લુણાવાડા ડો. બાબાસાહેબ આંબેડકર ભવન ખાતે સાંસદ રાજપસિંહ જાદવ અને જિલ્લા પંચાયત પ્રમુખ બાબુભાઈ પટેલની પ્રેરક ઉપસ્થિતિમાં કાર્યક્રમ યોજાયો

કટોકટી લગાવ્યાના 50 વર્ષ પૂર્ણ થવા પર મહીસાગર જિલ્લાના લુણાવાડા તાલુકાના મોટા સોનેલ, ડો. બાબાસાહેબ આંબેડકર ભવન ખાતે પંચમહાલ સાંસદ રાજપસિંહ જાદવ અને જિલ્લા પંચાયત પ્રમુખ બાબુભાઈ પટેલની પ્રેરક ઉપસ્થિતિમાં સંવિધાન હત્યા દિવસ નિમિત્તે સંવિધાન અને લોકશાહીના મૂલ્યોનું સ્મરણ કરવા કાર્યક્રમ યોજાયો.

આ પ્રસંગે સાંસદ રાજપસિંહ જાદવે જણાવ્યું હતું કે, આજથી બરાબર 50 વર્ષ પહેલાં, 1975 માં, ભારતના લોકશાહી ઇતિહાસનો એક કાળો અધ્યાય લખાયો હતો. આજના દિવસે, તત્કાલીન સરકારે દેશભરમાં કટોકટી લાદી હતી, જેને આપણે ‘સંવિધાન હત્યા દિવસ’ તરીકે પણ યાદ કરીએ છીએ. વડાપ્રધાન નરેન્દ્રભાઈ મોદીના 2047 ના વિકસિત ભારતના વિઝન સાથે જોડાઈને આપણે બંધારણના મૂલ્યોનું જતન કરવું જોઈએ તેમ જણાવ્યું હતું. આ પ્રસંગે જિલ્લા પંચાયત પ્રમુખ બાબુભાઈ પટેલે જણાવ્યું હતું કે, 1975ની કટોકટી માત્ર એક રાજકીય નિર્ણય નહોતો, પરંતુ તે ભારતના સંવિધાન અને લોકશાહીના મૂલ્યો પર સીધો પ્રહાર હતો. રાજ્ય સરકાર દ્વારા કટોકટીના 50 વર્ષ પૂર્ણ થવાના નિમિત્તે મુખ્યમંત્રી ભૂપેન્દ્રભાઈ પટેલના અધ્યક્ષસ્થાને યોજાયેલ કાર્યક્રમનું લાઇવ પ્રસારણ પ્રદર્શીત કરાયું હતું. તેમજ કટોકટી દરમિયાન જેલવાસ ભોગવનારના પરિવારનું સન્માન કરાયું હતું.

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Rajkot : માંગણી પૂર્ણ થતા ગોંડલમાં યોજાનાર દલિત સમાજનું આંદોલન મોકૂફ

 

રાજકોટના ગોંડલમાં દલિત સમાજનું મહાસંમેલન યોજાવાનું હતું. દરમિયાન આજે આ મહાસંમેલનને મહત્વના સમાચાર સામે આવ્યા છે. દલિત સમાજની માંગણી પૂર્ણ થતા આંદોલન મોકૂફ રાખવામાં આવ્યું. દલિત સમાજના આગેવાનો સાથે પોલીસે બેઠક યોજી હતી. જેના બાદ દલિત સમાજની માગણીઓને લઈને લેખિત બાંહેધરી આપતા આંદોલન મોકૂફ રાખવાનો નિર્ણય કરવામાં આવ્યો.

એડવોકેટ દિનેશ પાતર મુદ્દે આંદોલન

ગોંડલમાં દલિત સમાજ દ્વારા 18 તારીખના રોજ મહાસંમેલનનું એલાન કરવામાં આવ્યું હતું. દલિત સમાજના એડવોકેટ દિનેશ પાતર મુદ્દે આ આંદોલનનું એલાન કરાયું હતું. પરંતુ દલિત સમાજની માગણીઓ પૂર્ણ થતા આંદોલન મોકૂફ રખાયું. આ મામલે સંદેશ ન્યૂઝ સાથેની વાતચીતમાં એડવોકેટ દલિત પાતરે આ મામલે વધુ માહિતી આપતા જણાવ્યું કે ગઈકાલે અમારા દલિત સમાજના આગેવાનો સાથે પોલીસે બેઠક યોજી હતી. આ બેઠકમાં અમને અમારી માગણીઓ મામલે લેખિત બાંહેધરી આપવામાં આવી હતી. 

મને સમાજનો સહયોગ મળ્યો

વધુમાં એડવોકેટ દિનેશભાઈ કહ્યું કે મને મારા સમાજ તરફથી જે સહયોગ મળ્યો તે બહુ મોટી વાત છે. મારી પર ખોટા કેસ કરવામાં આવતા ન્યાય મુદ્દે આ આંદોલન છેડાયું હતું. કેટલાક અધિકારીઓ દ્વારા ખોટા કેસ મારી પર દમન કરાયું હતું. આ અન્યાય બદલ અમારા સમાજ દ્વારા અવાજ ઉઠાવવામાં આવ્યો અને 18 તારીખે સંમેલનનો હુંકાર કરાયો હતો. તેનો ખૂબ સારો પ્રતિસાદ મળ્યો. સમાજના આ સહકારથી મને લાગ્યું કે હું એકલો નથી મારી પાછળ મારી સમાજના યુવાનો અને આગેવાનો છે. 

દલિત સમાજનો આંદોલનનો હુંકાર 

મારા પર કરવામાં આવેલ આ દમનને લઈને દલિત સમાજે આંદોલનનો હુંકાર ભરતા સરકાર બેકફૂટ પર આવી અને તેમના રેન્જ અધિકારીઓને આ મામલાનો ઉકેલ લાવવા સૂચન કરાયું. જેના બાદ એસપી સાહેબને સૂચન કરાયું દલિત સમાજના આગેવાનો સાથે બેઠક કરો અને તેમની રજૂઆત સાંભળો. ત્યારબાદ આજે જેતપુર મુકામે ડીવાયએસપી કચેરી ખાતે અમારા સમાજના આગેવાનો અને ગોંડલના ડીવાય એસપી તેમજ જેતપુરના ડીવાય એસ.પી વચ્ચે બેઠક થઈ હતી.

માગણીઓ પૂર્ણ થતા આંદોલન મોકૂફ

આ બેઠકમાં દલિત સમાજના આગેવાનો દ્વારા બે માગ મૂકવામાં આવી હતી કે વકીલ દિનેશભાઈ પાતર પર કરવામાં આવેલ ખોટા કેસ દૂર કરવામાં આવે અને જે અધિકારીઓએ પોતાની સત્તાનો દુરુપયોગ કરી દિનેશભાઈને ખોટા કેસ કરી હેરાન કર્યા છે તે અધિકારીઓ સામે કાયદેસર કાર્યવાહી કરવામા આવે. ગઈકાલની બેઠકમાં અમારા સમાજ દ્વારા કરવામાં આવેલ બંનેમાગમાં લેખતિ બાંહેધારી આપતા આંદોલન મોકૂફ રાખવાનો નિર્ણય લેવામાં આવ્યો.

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Surendranagar: ફરી સસ્તા અનાજના જથ્થાનો કાળો કારોબાર પકડાયો

 

સુરેન્દ્રનગર જિલ્લામાં સસ્તા અનાજની દુકાને વેચાતા ઘઉં-ચોખાના જથ્થાનો કાળો કારોબાર ફરી સામે આવ્યો છે. સુરેન્દ્રનગર મામલતદાર અને જિલ્લા પુરવઠા વિભાગની ટીમે બાતમીને આધારે ફીરદોસ સોસાયટી અને પાંચ હનુમાન વિસ્તારમાંથી બે રિક્ષામાં અનાજનો જથ્થો લઈ જવાતો હોવાનો પર્દાફાશ કર્યો છે. ટીમે ઘઉં-ચોખા બે રિક્ષા સહિત 3.16 લાખનો જથ્થો સીઝ કરી વધુ કાર્યવાહી હાથ ધરી છે.

જિલ્લામાં વસતા ગરીબ અને મધ્યમવર્ગીય પરીવારોને જિલ્લાની 540થી વધુ સસ્તા અનાજની દુકાનેથી અનાજ વિતરણ થાય છે. જેમાં અમુક લોકો આ જથ્થો વેચી નાંખે છે. ત્યારે ગરીબોને મળનાર આ અનાજ ખરીદી તેને ફેકટરીઓમાં વેચવાનો કાળો કારોબાર જિલ્લામાં બેફામ ચાલી રહ્યો છે. થોડા દિવસો પહેલા જ લક્ષ્મીપરામાંથી ઘઉં-ચોખાના કટ્ટા અને બે રિક્ષા મળી રૂ. 3.24 લાખની મત્તા જપ્ત કરાઈ હતી. ત્યારે ફરી સસ્તા અનાજના કાળા કારોબારની વિગતો સામે આવી છે. જેમાં મામલતદાર મયુરભાઈ દવે અને જિલ્લા પુરવઠા એ.જી.ગજ્જરની સંયુકત ટીમે વોચ રાખીને ફીરદોસ સોસાયટીમાંથી રિક્ષા ચાલક સંજય કીશોરભાઈ ઉઘરેજીયા અને પાંચ હનુમાન વિસ્તારમાંથી રિક્ષા ચાલક રાહુલ વિનોદભાઈને ઘઉં-ચોખાના બિનઅધિકૃત જથ્થા સાથે ઝડપી લીધા છે. તંત્રે કુલ રૂ. 3.16 લાખની મત્તા સીઝ કરી હતી. આ શખ્સો ઘરે ઘરેથી સસ્તા અનાજના ઘઉં-ચોખા ખરીદી તેનું ફેકટરીઓમાં વેચાણ કરી રહ્યા હતા.

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Vadodara:ઈટોલા ગામના સરપંચ પદના ઉમેદવારનો માત્ર 2 મતથી વિજય

 

સરભાણ અને તેલોદ મધ્યસત્ર ચુંટણી તેમજ બોડકા, મછાસરાની સામાન્ય ચૂંટણી અને ઇટોલા ગામે પેટા ચૂંટણીના પરિણામો જાહેર થયાં.ઉમેદવારો સાથે મોટી સંખ્યામા ટેકેદારો ઉમટી પડયા હતાં.

પ્રથમ તબક્કામાં ઇટોલા ગામે સરપંચની મતગણતરી હાથ ધરાઈ હતી. જેમાં સરપંચ પદે ફરીદ મહમદ જાદવનો માત્ર 2 મતથી વિજય થયો હતો. જ્યારે નોટામાં 2 મત તેમજ 33 વોટ અમાન્ય નીકળ્યા હતાં. તેલોદ ગામના સરપંચ પદે શીતલબેન જયેશ ઠાકોરનો 335 મતોથી વિજય થયો હતો. જેમને તેમનાં ટેકેદારોએ ફુલહાર પહેરાવી વધાવી લીધાં હતાં. બોડકા ગામે સરપંચના ઉમેદવાર જ્યોત્સનાબેન રાઠોડ 76 મતોથી વિજેતા બન્યા હતાં. મછાસરા ગામે સરપંચના ઉમેદવાર જોહરબેન ઈબ્રાહિમ હસન પટેલ 536 મતથી વિજેતા બન્યા હતાં. મતગણતરી બહાર આતશબાજી કરી હતી. તેમનું ચુંટણી પ્રતિક લીલું મરચું હોઈ ટેકેદારોએ લીલાં મરચા તેમજ ફુલોના હાર પહેરાવી સન્માન કરી ડીજે સાથે વિજય સરઘસ કાઢયું હતું. સરભાણ ગામના સરપંચના ઉમેદવાર 1127 મતોથી વિજેતા બન્યા હતાં.

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Visnagar: ભાન્ડુ નજીક હોટલ પાછળ ત્યજી દેવાયેલ શિશુને 108ની ટીમે નવજીવન બક્ષ્યું

 

વિસનગર તાલુકાના ભાન્ડુ નજીક શંકર વિલા હોટલ પાછળથી ત્યજી દેવાયેલ નવજાત શિશુ મળી આવ્યું હતું.આ અંગેનો કોલ 108ને મળતા ટીમ ત્યાં પહોંચી હતી.તો નવજાત શિશુને સીપીઆર આપી નવજીવન આપ્યું હતું.તો તેને તાત્કાલિક મહેસાણા સિવિલમા સારવાર અર્થે ખસેડાયું હતું.

વિસનગર તાલુકાના ભાન્ડુ ગામ નજીક આવેલ શંકર હોટલ પાછળ નવજાત શિશુ પડયું હોવાનો કોલ 108ને મળતા ભાન્ડુ 108ના ઈએમટી આનંદ પ્રજાપતિ અને પાયલોટ સુરેશ રાવળ તુરંત જ 108 એમ્બ્યુલન્સ સાથે ઘટના સ્થળે પહોંચ્યા હતા.જ્યાં હોટલ પાછળ તાજું જન્મેલું અને ગર્ભનાળ સાથે જોડાયેલ બાળકને તપાસ કરતાં ધબકાર મળ્યા ન હતા.તેથી ટીમે 108 ના તબીબોની સલાહ લઈ બાળકને સીપીઆર આપતા ધબકારા શરૂ થયા હતા.તોબાળકને તુરંત જ 108 મારફ્ત મહેસાણા સિવિલમાં વધુ સારવાર અર્થે ખસેડયું હતું.જ્યાં હાલમાં નવજાત શિશુની તબિયત સ્થિર હોવાની માહિતી પ્રાપ્ત થઈ હતી.

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Apply for Issuance of Caste Certificate Block Level, Bihar

 

Residents of Bihar belonging to SC, ST, or OBC categories can apply for a caste certificate at the block level through the Circle Officer. The certificate serves as proof of caste for availing various government benefits and reservations in education and employment.

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संविधान या संसद, सबसे ऊपर कौन? CJI गवई ने क्लीयर कर दिया | CJI BR Gavai said Constitution is supreme in India

 

संविधान संशोधन कर सकता है संसद

CJI गवई ने अमरावती ने कहा कि संसद के पास संविधान संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती है। उन्होंने कहा कि एक जज को हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा एक कर्तव्य है। हम नागरिकों के अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास केवल शक्ति नहीं है, हम पर एक कर्तव्य भी सौंपा गया है।

किसी भी जज को यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग उनके फैसलों को लेकर लोगों की राय क्या होगी। हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोग क्या कहेंगे, यह हमारी फैसले लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैंने हमेशा अपने निर्णयों और काम को बोलने दिया है। मैं हमेशा हमारे संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के साथ खड़ा रहा। बुलडोजर न्याय के खिलाफ अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आश्रय का अधिकार सर्वोच्च है।

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Axiom-4 Mission: स्पेस में गूंजा ‘जय हिंद’ का नारा, स्पेस से शुभांशु शुक्ला का पहला मैसेज, जानें अंतरिक्ष में कब रखेंगे कदम

1985 में शुरू हुआ CJI गवई का करियर

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ। साल 1985 में उन्होंने अपना कानूनी करियर शुरू किया। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इससे पहले उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजा एस भोंसले के साथ काम किया। गवई ने 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। अगस्त 1992 से 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में नियुक्त हुए।

14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए। 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने। 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बने। 14 मई को शपथ लेकर देश के 52वें CJI बनें। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिए प्रोफाइल के मुताबिक उनके रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर 2025 है।

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह क़िंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में हुए शामिल

 

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