BJP’s bumper victory in Madhya Pradesh.. understand the complete plan

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BJP’s bumper victory in Madhya Pradesh.. understand the complete plan

मध्यप्रदेश में BJP’s bumper victory.. पूरा प्लान समझिए

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में BJP’s bumper victory हुई… पार्टी ने 230 विधानसभा सीटों में से 163 सीटें जीतीं और फिर से सरकार बना रही है.. वहीं कांग्रेस को महज 66 सीटों से संतोष करना पड़ा.. अब सवाल ये हैं कि बीजेपी की वो क्या रणनीति रही जिसने उसे इतनी शानदार जीत दिलाई… तो आज हम आपको बीजेपी की पूरी चुनावी प्लानिंग समझाते हैं… लेकिन उससे पहले आपको एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का बयान याद दिलाते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव मैनेजमेंट से जीते जाते हैं.. लेकिन कांग्रेस वहीं मैनेजमेंट नहीं कर पाई…बीजेपी ने टिकट बांटने से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक समकुछ इतना शानदार किया कि कांग्रेस धराशाई हो गई.. सबसे पहले टिकट बंटवारे से शुरुआत करते हैं …  बीजेपी ने पिछले चुनाव में हारी हुई 39 सीटों पर चुनाव से तीन महीने पहले 17 अगस्त को ही उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी… इसमें वो सीटें शामिल थीं, जो बीजेपी लगातार 3 बार से हार रही थी.. इसके बाद दूसरी लिस्ट में 8 सीटों पर दिग्गजों को मैदान में उतार दिया… इन 8 सीटों में 6 हारी हुई थीं… तीसरी और चौथी लिस्ट में बीजेपी ने मौजूदा और पूर्व विधायकों को टिकट दिया… जिसका असर ये हुआ कि पहली लिस्ट के 39 में से 24 उम्मीदवार जीत गए.. ये भाजपा के लिए सरप्लस सीटें थीं… यानी 3 महीने पहले ही इन पर काम शुरू हो गया था.. बीजेपी के नए-पुराने चेहरों का कॉम्बिनेशन काम कर गया.. और कांग्रेस के कई किले इस रणनीति के तहत ढह गए.. दूसरी वजह गैलेक्सी ऑफ लीडरशिप.. दरअसल बीजेपी के इंटरनल सर्वे की रिपोर्ट में मौजूदा नेतृत्व को लेकर असमंजस के हालात थे… बीजेपी ने 20 साल पुरानी परंपरा तोड़ते हुए कोई एक चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया.. सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा… बीजेपी ने 3 केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों को मैदान में उतारा..  इसके अलावा बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी चुनाव लड़ाया…वहीं प्रचार के शुरुआती दौर में शिवराज को चेहरा बनाने से बीजेपी बचती नजर आई.. जैसे ही लाड़ली बहना का इफैक्ट नजर आया, शिवराज को भी फ्री हैंड दे दिया… बीजेपी के दिग्गजों को मैदान में उतारने का असर दिखा.. नरेंद्र सिंह तोमर के मुरैना जिले में 6 में 3, प्रह्लाद पटेल के नरसिंहपुर जिले में 4 में से 4, फग्गन सिंह कुलस्ते के मंडला जिले में 3 में से 1 और कैलाश विजयवर्गीय के इंदौर में सभी 9 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की…. तीसरी वजह जन आशीर्वाद यात्रा को माना जा सकता है.. बीजेपी ने पहले ही तय कर लिया था कि ये चुनाव माइक्रो मैनेजमेंट पर ही लड़ा जाएगा.. इसलिए अलग-अलग संभागों से 5 जन आशीर्वाद यात्राएं निकाली गईं..  इन यात्राओं ने 230 में से 211 विधानसभा सीटों को कवर किया.. जिसका असर ये हुआ कि राज्य और केंद्र सरकार की योजना जनता तक पहुंची इसके साथ ही सभी दिग्गज ने एक साथ नजर आए जिससे भितरघात का खतरा कम हुआ… आब बात करते हैं बूथ मैनेजमेंट की.. जिस पर बीजेपी का हमेशा ही फोकस रहता है..बीजेपी ने 65 हजार बूथों पर 10-10 कार्यकर्ता चिन्हित किए… इनका सम्मेलन कराया गया.. 17, 18 और 19 अक्टूबर को 12 हजार शक्ति केंद्रों पर, बूथ कार्यकर्ताओं के लिए शक्ति सम्मेलन आयोजित किए गए.. इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश सुनाया गया.. इससे कार्यकर्ताओं को रीचार्ज करने में मदद मिली…बूथ मैनेजमेंट के असर से बीजेपी का वोट परसेंट 48.55 फीसदी रहा.. ये 2018 के मुकाबले करीब 8 फीसदी ज्यादा है.. एक और रणनीति की बात करते हैं और वो है आदिवासी– दलित वर्ग की 82 सीटों पर खास फोकस… पीएम मोदी ने चुनाव अभियान की शुरुआत ही शहडोल से की.. इससे ये दिखाने की कोशिश की कि भाजपा को आदिवासियों की कितनी फिक्र है… वहीं सागर में दलितों का भरोसा बढ़ाने के लिए संत रविदास मंदिर की नींव रखने सागर पहुंचे..इसका असर ये हुआ कि एसटी की कुल 47 में से बीजेपी ने 24 जीतीं.. वहीं दलित वर्ग की 35 सीटों में 26 बीजेपी ने जीती… तो ये बीजेपी का चुनावी मैनेजमेंट रहा जिसकी वजह से इतना शानदार जीत हासिल हुई..और फिर से एमपी में सरकार बनाने में सफल रही…

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