रामायण के किरदार सियासत में भी रहे हिट, ‘सीता’ और ‘रावण’ के बाद क्या ‘राम’ की होगी सियासी जीत?

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रामायण के किरदारों का राजनीतिक सफर-bjp – Meerad Lok Sabha

कौन कितना रहा चुनाव में सफल?

‘सीता’ और ‘रावण’ भी चुनाव जीत चुके हैं

अरुण गोविल को बीजेपी ने मेरठ से दिया है टिकट

दीपिका चिखालिया और अरविंद त्रिवेदी ने 1991 लड़ा था चुनाव

दोनों को मिली थी चुनाव में जीत

क्या ‘राम’ की सियासी वैतरिणी पार होगी ?

देश में लोकसभा चुनाव का माहौल है.. हर तरह चुनावी शोर और सियासी बयानबाजी का दौर चल रहा है.. वहीं पार्टियां अपने अपने प्रत्याशियों पर दांव लगा रही हैं… फिल्मी सितारे भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.. ये ट्रेंड काफी पुराना है.. ऐसे ही ट्रेंड के बारे में आज आपको विस्तार से बताएंगे.. ये भी बताएंगे कि इन सितारों को सियासत में कितना सराहा गया.. इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राम का किरदार निभा चुके हैं अरुण गोविल को मेरठ से उम्मीदवार बनाया है.. इससे पहले भी रामायण के किरदार चुनाव लड़ चुके हैं.. -bjp – Meerad Lok Sabha

उनके बारे में भी विस्तार से बताएंगे.. रामायण सीरियल के कुछ किरदारों ने अपनी लोकप्रियता के दम पर चुनाव जीता है. फिर चाहे वो टीवी की सीता यानी दीपिका चिखालिया और रावण यानी अरविंद त्रिवेदी हों या फिर हनुमान यानी दारा सिंह रहे हों. लेकिन अब वक्त बहुत बदल चुका है और देखना होगा कि इस बार टीवी की श्रीराम यानी अरुण गोविल के लिए मेरठ की सियासी जमीन कैसी रहने वाली है… अब आपको- bjp – Meerad Lok Sabha

साल 1987 के दौर में लिए चलते हैं.. ये वो दौर था जब टीवी को रंगीन हुए कुछ ही साल हुए थे. प्रोड्यूसर और डायरेक्टर रामानंद सागर ने उस दौर में एक ऐसा धारावहिक लॉन्च किया जो कि सुपरहिट हो गया. सुपरहिट का पैमाना ऐसा कि आम लोगों ने उस सीरियल के किरदारों को भगवान मानना शुरू कर दिया. सीरियल भगवान राम पर था. रामानंद सागर की रामायण का एक-एक किरदार लोगों को आज भी याद है. इस टीवी सीरियल में भगवान राम का किरदार अरुण गोविल ने निभाया. न सिर्फ निभाया बल्कि ऐसी ख्याति पाई कि जहां वे जाते लोग उनके पैर छूते. कई घरों में तो लोग उन्हें असली राम समझकर उनका ही फोटो अपने मंदिर में रखते और पूजा करते… 

इसके अलावा सुनील लहरी ने इस सीरियल में श्रीराम के भाई लक्ष्मण का किरदार निभाया था. वहीं भगवान राम की पत्नी सीता का किरदार दीपिका चिखालिया ने निभाया था. इसके अलावा उस दौर में रावण का रोल निभाकर अरविंद त्रिवेदी ने भी खूब लोकप्रियता बटोरी थी. इस रोल से उन्हें इस कदर सफलता मिली कि लोग उन्हें असलियत में रावण समझने लगे थे… आपको इनकी लोकप्रियता कैसी थी ये भी बताते हैं.. धारावहिक खत्म होने के बाद का आलम ऐसा था कि इन किरदारों को फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में ज्यादा काम नहीं मिलता था. वजह थी कि दर्शकों के दिमाग में धारणा ऐसी थी कि वे किसी और किरदार में इन्हें देखना ही नहीं चाहते थे. 

लेकिन बदलते वक्त के साथ सभी कलाकारों ने अपनी अलग-अलग राहें चुनीं…  कुछ किरदारों ने अपनी लोकप्रियता का फायदा उसी दौर में उठाया और राजनीति में हाथ आजमाया. यह दांव सफल हुआ. टीवी की सीता यानी दीपिका चिखालिया और रावण यानी अरविंद त्रिवेदी ने 1991 में ही bjp के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था… अब आपको ये भी बता दें कि कहां से चुनाव लड़ था तो सीता यानि दीपिका चिखालिया गुजरात के वडोदरा से जीतकर संसद पहुंची थीं. तो वहीं रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी ने गुजरात के साबरकांठा की सीट जीती थी. इसके अलावा रामायण में हनुमान का किरदार निभाने वाले दारा सिंह को भी BJP ने 2003 में राज्यसभा भेजा था. उस वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी और तभी वे राज्यसभा के जरिए संसद पहुंचे थे.

हालांकि दारा सिंह और अरविंद त्रिवेदी का अब निधन हो चुका है… वहीं दीपिका चिखालिया महज 25 साल की उम्र में सांसद बनीं थी…जब दीपिका गुजरात से सांसद बनीं, उस वक्त उनकी उम्र महज 25 साल थी. उस वक्त उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता रंजीत सिंह गायकवाड़ को हराया था. 1991 के चुनाव में दीपिका को 49.98 फीसदी वोट मिले थे. उन्होंने रंजीत सिंह गायकवाड को 50 हजार से भी ज्यादा वोटों से हराया था.  बाद में उन्होंने अपनी बेटी की देखभाल के लिए राजनीति छोड़ दी थी. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि चुनाव लड़ने के लिए कई पार्टियों से फोन आने के बावजूद उन्होंने bjp को चुना था.

क्योंकि उनके दादा ने आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए काम किया था… वहीं रावण के किरदार को भी जनता से खूब सराहा था.. और टीवी के रावण को राजा का ताज पहनाया था.. साल 2021 में लंकाध‍िपति ‘लंकेश’ या ‘रावण’ बनकर जनता के दिल में गहरी छाप छोड़ने वाले अरव‍िंद त्रिवेदी का 82 की उम्र में निधन हो गया था. लेकिन आपको बता दें कि स्क्रीन पर रावण का किरदार निभाने वाले अरव‍िंद त्रिवेदी ने जब गुजरात के साबरकांठा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, तब उनके कैंपेन का मुद्दा ‘राम मंद‍िर’ ही था. 90 के दशक की शुरुआत में यह मुद्दा अपने उरूज पर था. नतीजतन इस चुनाव में अरविंद त्रिवेदी की जीत हुई और सबसे दिलचस्प बात ये रही कि 1991 के चुनाव में अरव‍िंद की टक्कर महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी से थी.

एक ओर रामायण के रावण और दूसरी ओर महात्मा गांधी के पोते. दो दिग्गज शख्स‍ियत के बीच जनता ने अरव‍िंद को अपना राजा चुना और चुनाव में ‘रावण’ ने अपनी जीत दर्ज की. अरव‍िंद को एक लाख 68 हजार वोट ज्यादा मिले थे. इसके बाद अगले लोकसभा चुनावों में अरव‍िंद त्रिवेदी ने फिर उसी सीट से चुनाव लड़ा.. लेक‍िन इस बार उनकी किस्मत इतनी मजबूत नहीं थी. 1996 के चुनाव में अरव‍िंद को कांग्रेस की निशा अमरसिंह चौधरी से श‍िकस्त मिली.. इतिहास ने फिर से एक बार खुद को दोहराया है.. ऐसा ही एक दौर यह 2024 का है. जहां कि टीवी पर राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को इस चुनाव में bjp ने मेरठ से उतारा है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि 33 साल पहले जब धारावाहिक रामायण की सीता दीपिका चिखालिया और रावण अरविंद तिवारी ने राजनीति में कदम रखा तो उन्हें जनता का खूब प्यार मिला था..

लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मेरठ की जनता टीवी के राम यानी अरुण गोविल को कितना प्यार देती है. वैसे तो bjp के लिए मेरठ लोकसभा क्षेत्र हमेशा से जिताऊ क्षेत्र रहा है. यहां से bjp लगातार 3 लोकसभा चुनाव जीतती आ रही है. इस बार उन्होंने BJP के मौजूदा सांसद राजेंद्र अग्रवाल की जगह ली है..  अब इस बार जनता राम को चुनती है या नहीं इसका फैसला चुनाव के बाद की हो पाएगा.. ऐसी ही खबरों के लिए आप बने रहिए AIRR NEWS के साथ…

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