पहले उन्होंने अपना गठबंधन तोड़ दिया, और अलग-अलग रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया। फिर अपने नेतृत्व और लोकप्रियता के बल पर लगातार तीन बार राज्य में बहुमत हासिल किया, जबकि सबसे बड़ी पार्टी ने सिर्फ अपना वोट शेयर बढ़ाया, लेकिन सत्ता में आने से दूर रही। आखिर हम किसकी बात कर रहे है ? जानेगे सब कुछ बने रहिये हमारे साथ। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। -BJD and BJP-The Political Game”
बीजेडी और BJP के बीच के रिश्ते काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। दोनों पार्टियों ने 1998 से 2009 तक राज्य और केंद्र में गठबंधन में रहकर राजनीतिक लाभ उठाए, लेकिन उनके बीच में कई मुद्दों पर मतभेद भी रहे। बीजेडी ने अपनी राज्यवादी और धार्मिक सहिष्णु नीति को अपना लिया, जबकि BJP ने अपनी हिंदुत्व और राष्ट्रवादी नीति को अपना लिया। इन दोनों पार्टियों के बीच का सबसे बड़ा टूट-फूट 2008 में कांधमाल दंगों के बाद हुआ, जिसमें BJP के कुछ नेताओं और संगठनों को दोषी पाया गया था। बीजेडी ने इसका विरोध किया, और 2009 के चुनावों से पहले BJP से अलग हो गई। तब से दोनों पार्टियों के बीच का रिश्ता विरोधी बन गया है, और वे राज्य में एक-दूसरे को हराने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
आपको बता दे कि, बीजेडी और BJP के बीच की राजनीतिक विचारधारा में भी काफी अंतर है। बीजेडी ने अपने आप को एक राज्यवादी, सामाजिक न्यायवादी, और धार्मिक सहिष्णु पार्टी के रूप में पेश किया है, जो ओडिशा के विकास, गरीबों के कल्याण, और आदिवासियों और निर्धन वर्गों के अधिकारों के लिए काम करती है। बीजेडी ने अपने नेता नवीन पटनायक की लोकप्रियता, ईमानदारी, और विश्वसनीयता को अपना मुख्य अस्त्र बनाया है, जिसके कारण वह लगातार चार बार राज्य में बहुमत हासिल कर पाई है। बीजेडी ने अपने विरोधियों को भ्रष्टाचार, असफलता, और असंवेदनशीलता का आरोप लगाया है, और अपने विकास कार्यों और जनहित योजनाओं का प्रचार किया है।
इसके उलट BJP ने अपने आप को एक राष्ट्रवादी, हिंदुत्ववादी, और विकासशील पार्टी के रूप में पेश किया है, जो देश की सुरक्षा, समृद्धि, और सम्मान के लिए काम करती है। BJP ने अपने नेता नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता, विश्वसनीयता, और विकास की नीति को अपना मुख्य अस्त्र बनाया है, जिसके कारण वह 2014 और 2019 में केंद्र में बहुमत हासिल कर पाई है। बीजेपी ने अपने विरोधियों को असहमति, अस्थिरता, और अशक्ति का आरोप लगाया है, और अपने राष्ट्रीय स्तर के कार्यों और योजनाओं का प्रचार किया है।
आपको बता दे कि, बीजेडी और BJP के बीच के वोटर बेस में भी कुछ समानता और अंतर है। बीजेडी का वोटर बेस ओडिशा के विभिन्न वर्गों, जातियों, धर्मों, और क्षेत्रों में फैला हुआ है, जिसमें आदिवासी, दलित, ओबीसी, महिला, युवा, और गरीब वोटर शामिल हैं। बीजेडी का वोटर बेस नवीन पटनायक की व्यक्तिगत छवि, उनकी विकास यात्रा, और उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं के कारण बना हुआ है। बीजेडी का वोटर बेस राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगभग समान है।
BJP का वोटर बेस ओडिशा में अभी भी कमजोर है, लेकिन वह धीरे-धीरे बढ़ रहा है। बीजेपी का वोटर बेस नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, उनकी राष्ट्रीय स्तर की नीतियों, और उनके साथी और संगठनों के कारण बना हुआ है। बीजेपी का वोटर बेस राज्य के उच्च वर्ग, उद्योगपति, ब्राह्मण, और हिंदू वोटर में अधिक है। बीजेपी का वोटर बेस राज्य के शहरी क्षेत्रों में अधिक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कम है।
बीजेडी और BJP के बीच गठबंधन की संभावना को प्रभावित करने वाला एक और महत्वपूर्ण कारक है राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति। ओडिशा एक गरीब, पिछड़ा, और उपेक्षित राज्य है, जिसमें बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, अस्वास्थ्य, और अन्य सामाजिक समस्याएं प्रचलित हैं। राज्य की आयुष्मान भारत योजना, किसान सम्मान निधि योजना, और अन्य केंद्रीय योजनाओं का लाभ उठाने के लिए बीजेडी ने अपनी खुद की योजनाएं बनाई हैं, जैसे कि बासुंधरा योजना, कालिया योजना, और अन्य योजनाएं। बीजेडी ने इन योजनाओं के माध्यम से राज्य के गरीब और वंचित वर्गों को आर्थिक सहायता, स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, रोजगार, और अन्य सुविधाएं प्रदान की हैं। बीजेडी ने इन योजनाओं का प्रचार करके अपने वोटर बेस को बढ़ाने की कोशिश की है। बीजेपी ने राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बदलने के लिए अपने राष्ट्रीय स्तर की योजनाओं और कार्यों का प्रचार किया है। BJP ने राज्य को विकास के लिए अधिक निधि, योजना, और परियोजना प्रदान करने का दावा किया है।
वैसे इसी क्रम में बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना को प्रभावित करने वाला एक और महत्वपूर्ण कारक है राष्ट्रीय स्तर पर उनके सहयोगी और विरोधी। बीजेडी ने अपने आप को एक नीति आधारित पार्टी के रूप में पेश किया है, जो किसी भी गठबंधन के लिए अपनी शर्तें रखती है। बीजेडी ने केंद्र में बीजेपी के साथ गठबंधन को तोड़ दिया है, और उनके विरोध में वोट देने का आह्वान किया है। बीजेडी ने अपने राज्य में भी बीजेपी के खिलाफ जनाक्रोश उत्पन्न करने की कोशिश की है, और उन्हें राज्य के विकास को रोकने और राज्य की योजनाओं को अवरुद्ध करने का आरोप लगाया है। बीजेडी ने अपने राज्य में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, और अन्य छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन बनाने का विचार भी नहीं किया है, क्योंकि वह अपने आप को राज्य में अकेला लड़ने के लिए पर्याप्त समर्थ और स्वावलंबी मानती है।
BJP ने अपने आप को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में पेश किया है, जो राज्यों में अपनी पकड़ बनाने के लिए गठबंधन का सहारा लेती है। बीजेपी ने केंद्र में अपने साथी और संगठनों के साथ एक मजबूत गठबंधन बनाया है, जिसमें शिवसेना, जनता दल यूनाइटेड, अकाली दल, और अन्य पार्टियां शामिल हैं। बीजेपी ने अपने राज्य में भी कुछ राजनीतिक पार्टियों और संगठनों के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश की है, जैसे कि बिहार में जनता दल यूनाइटेड, असम में असम गण परिषद, और अन्य पार्टियां। बीजेपी ने अपने राज्य में बीजेडी के खिलाफ जनसमर्थन बढ़ाने के लिए उनके विकास कार्यों और योजनाओं को आलोचना की है, और उन्हें भ्रष्टाचार, अहंकार, और अन्याय का आरोप लगाया है।
ऐसे में एक सवाल सबके मन में होगा कि क्या बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की फिर से कोई संभावना है?
इसके जवाब के लिए हमे ओडिशा की राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, उसका अनुमान लगाना होगा। हम इसके संभावित लाभ और हानि को भी चर्चा कर सकते हैं।
बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना राजनीतिक रूप से बहुत कम है, क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच के रिश्ते, विचारधारा, और लक्ष्य बहुत अलग हैं। बीजेडी ने अपने आप को राज्य की एकमात्र पार्टी के रूप में स्थापित किया है, और बीजेपी को अपना प्रमुख विरोधी मानती है। बीजेडी को अपने वोटर बेस को बनाए रखने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन करने की जरूरत नहीं है, और यह अपनी नीतियों और योजनाओं को लागू करने के लिए अपनी आजादी भी खोना नहीं चाहती है। बीजेडी के साथ गठबंधन करने से बीजेपी को अपनी विचारधारा, नीति, और लक्ष्य में समझौता करना पड़ सकता है, जो उनके राष्ट्रीय स्तर के सहयोगी और विरोधी को भी नाराज कर सकता है। बीजेपी के साथ गठबंधन करने से बीजेडी को अपने वोटर बेस को खोने का खतरा हो सकता है, जो उनके विकास यात्रा, जनकल्याणकारी योजनाओं, और नवीन पटनायक की व्यक्तिगत छवि को अधिक पसंद करते हैं। इसलिए, बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना राजनीतिक रूप से बहुत कम है, और यदि ऐसा होता है, तो यह दोनों पार्टियों के लिए अधिक हानिकारक हो सकता है।
सामाजिक रूप से भी बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना बहुत कम है, क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच के सामाजिक दृष्टिकोण, मूल्य, और लक्ष्य बहुत अलग हैं। बीजेडी ने अपने आप को एक राज्यवादी, सामाजिक न्यायवादी, और धार्मिक सहिष्णु पार्टी के रूप में पेश किया है, जो ओडिशा के विकास, गरीबों के कल्याण, और आदिवासियों और निर्धन वर्गों के अधिकारों के लिए काम करती है। बीजेडी ने अपने राज्य की सांस्कृतिक विरासत, भाषा, और परंपरा को संरक्षित रखने का प्रयास किया है, और अन्य धर्मों और समुदायों के साथ सद्भाव और समानता का पालन किया है।
बीजेपी ने अपने आप को एक राष्ट्रवादी, हिंदुत्ववादी, और विकासशील पार्टी के रूप में पेश किया है, जो देश की सुरक्षा, समृद्धि, और सम्मान के लिए काम करती है। बीजेपी ने अपने राज्य में हिंदू वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अपनी हिंदुत्व और राष्ट्रवादी नीति का प्रचार किया है, और अन्य धर्मों और समुदायों को अपने साथ जोड़ने के लिए अपनी सभ्यता और संस्कृति का प्रचार किया है। इसलिए, बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना सामाजिक रूप से बहुत कम है, और यदि ऐसा होता है, तो यह राज्य के सामाजिक संरचना, समानता, और सद्भाव पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
इसके अलावा बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना अर्थव्यवस्थिक रूप से भी बहुत कम है, क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच के अर्थव्यवस्थिक नीति, योजना, और लक्ष्य बहुत अलग हैं। बीजेडी ने अपने आप को एक विकासवादी, जनहितवादी, और गरीब कल्याणकारी पार्टी के रूप में पेश किया है, जो ओडिशा के आर्थिक विकास, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य क्षेत्रों में काम करती है। बीजेडी ने अपने राज्य के गरीब और वंचित वर्गों को आर्थिक सहायता, सब्सिडी, और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए अपनी खुद की योजनाएं बनाई हैं, जैसे कि बासुंधरा योजना, कालिया योजना, और अन्य योजनाएं। बीजेडी ने अपने राज्य के कृषि, उद्योग, और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीतियों और परियोजनाओं को लागू किया है।
बीजेपी ने अपने आप को एक नवनिर्माणवादी, उद्यमवादी, और आत्मनिर्भरतावादी पार्टी के रूप में पेश किया है, जो देश के आर्थिक विकास, निवेश, व्यापार, और अन्य क्षेत्रों में काम करती है। बीजेपी ने अपने राज्य में अपने राष्ट्रीय स्तर की योजनाओं और कार्यों का प्रचार किया है, जैसे कि आयुष्मान भारत योजना, किसान सम्मान निधि योजना, और अन्य योजनाएं। बीजेपी ने अपने राज्य के उच्च वर्ग, उद्योगपति, और ब्राह्मण वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अपनी आर्थिक नीति का प्रचार किया है, और अन्य वर्गों को अपने साथ जोड़ने के लिए अपनी आर्थिक सुधारों का प्रचार किया है।
इसलिए, बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना अर्थव्यवस्थिक रूप से बहुत कम है, और यदि ऐसा होता है, तो यह राज्य के आर्थिक संरचना, वित्तीय स्थिरता, और विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
वैसे बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना सांस्कृतिक रूप से भी बहुत कम है, क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच के सांस्कृतिक दृष्टिकोण, रीति, और रिवाज बहुत अलग हैं। बीजेडी ने अपने आप को एक ओडिशा-प्रेमी, ओडिशा-गर्वी, और ओडिशा-भक्त पार्टी के रूप में पेश किया है, जो ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान, भाषा, और विरासत को सम्मान और संजीवनी देती है। बीजेडी ने अपने राज्य की लोक कला, साहित्य, और इतिहास को प्रशंसा और प्रोत्साहन दिया है, और अन्य भाषाओं और सांस्कृतिक धाराओं के साथ भी सम्मानपूर्वक व्यवहार किया है।
बीजेपी ने अपने आप को एक भारत-प्रेमी, भारत-गर्वी, और भारत-भक्त पार्टी के रूप में पेश किया है, जो भारत की सांस्कृतिक एकता, भाषा, और विरासत को सम्मान और संरक्षण देती है। बीजेपी ने अपने राज्य में अपने राष्ट्रीय स्तर की नीतियों और कार्यों का प्रचार किया है, जैसे कि राष्ट्र भाषा हिंदी का प्रचार, राष्ट्र धर्म हिंदू धर्म का प्रचार, और राष्ट्र त्योहार और उत्सवों का प्रचार। बीजेपी ने अपने राज्य के ओडिशा की सांस्कृतिक विशेषताओं को भी स्वीकार किया है, लेकिन उन्हें अपने राष्ट्रीय स्तर की सांस्कृतिक नीतियों के अंतर्गत लाने की कोशिश की है।
इसलिए, बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना सांस्कृतिक रूप से बहुत कम है, और यदि ऐसा होता है, तो यह राज्य के सांस्कृतिक स्वरूप, भाषा, और विरासत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की संभावना राजनीतिक, सामाजिक, अर्थव्यवस्थिक, और सांस्कृतिक रूप से बहुत कम है, और यदि ऐसा होता है, तो यह राज्य के विकास, समानता, सद्भाव, और संरक्षण के लिए अधिक हानिकारक हो सकता है। इसलिए, बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन का विचार एक बहुत दूर की बात है, जो शायद कभी भी साकार न हो सके।
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