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लोकसभा चुनाव 2024 का समापन होते ही देशभर में विभिन्न एजेंसियों द्वारा एग्जिट पोल जारी किए गए हैं। इन एग्जिट पोल में बिहार की तस्वीर विशेष रूप से रोचक है। जहां देशभर में एक बार फिर एनडीए की जीत की भविष्यवाणी की जा रही है, वहीं बिहार में एनडीए की सीटों में गिरावट की बात कही जा रही है। बिहार, जो राजनीतिक रूप से हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, इस बार भी चुनावी परिणामों के कारण चर्चा में है।-Bihar Elections 2024
क्या नीतीश कुमार की पकड़ बिहार में कमजोर हो रही है? क्या एनडीए बिहार में अपनी पुरानी चमक खो रही है? इन सवालों के साथ ही यह जानना महत्वपूर्ण है कि बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में क्या बदलाव आ रहे हैं और इसके क्या कारण हो सकते हैं।
अब हम इस घटनाक्रम के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, लेकिन उससे पहले, नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
आज के मुख्य विषय में हम चर्चा करेंगे बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल और उनसे जुड़े तथ्यों के बारे में। आइए जानते हैं कि किस प्रकार एनडीए और इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन रहा और इसके बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के सातों चरणों में मतदान समाप्त हो चुके हैं। बिहार में भी सभी सात चरणों में वोटिंग संपन्न हुई। मतदान के अंतिम चरण के बाद विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी किए गए एग्जिट पोल ने बिहार में एनडीए की सीटों में गिरावट की संभावना जताई है।
मैट्रिज के एग्जिट पोल के अनुसार, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 13 सीटों पर जीत मिलने की संभावना है, जबकि पिछले चुनाव में इसे 16 सीटें मिली थीं। इसका मतलब है कि जदयू को तीन सीटों का नुकसान हो सकता है। वहीं, वोट प्रतिशत में भी गिरावट की संभावना जताई गई है। पिछले चुनाव में जदयू को 22.3 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि इस चुनाव में 21.2 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू के लिए यह चुनाव परिणाम चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जदयू को महज 43 सीटों पर जीत मिली थी, जिससे राजनीति के जानकारों ने जदयू के वोट बैंक में गिरावट का संकेत दिया था।
ऐसे में एनडीए का प्रदर्शन बिहार में कमजोर होता दिखाई दे रहा है। यह गिरावट जदयू के कम होते जनाधार का परिणाम है। एनडीए के भीतर भाजपा की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत है, लेकिन जदयू और अन्य सहयोगी दलों के कमजोर प्रदर्शन ने कुल मिलाकर एनडीए को नुकसान पहुंचाया है।
आपको बता दे कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव से ही नीतीश कुमार की पकड़ कमजोर हो रही है। जदयू के वोट बैंक में गिरावट और सीटों की संख्या में कमी ने इस धारणा को और पुख्ता किया है। नीतीश कुमार की पार्टी का प्रदर्शन इस बार भी कमजोर हो सकता है, जिससे उनके राजनीतिक भविष्य पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
वैसे बिहार में राजनीति हमेशा से जटिल रही है। विभिन्न जातीय और सामुदायिक ध्रुवीकरण के कारण यहां की राजनीति का परिदृश्य अक्सर बदलता रहता है। इस बार भी एग्जिट पोल ने यह संकेत दिया है कि बिहार के मतदाताओं ने एनडीए से कुछ हद तक मुंह मोड़ा है।
हालाँकि एग्जिट पोल के आंकड़े चुनाव परिणामों का पूर्णरूपेण प्रतिबिंब नहीं होते, लेकिन वे एक निश्चित दिशा की ओर संकेत जरूर करते हैं। अगर एग्जिट पोल के अनुमान सही साबित होते हैं, तो एनडीए के लिए यह एक बड़ा झटका होगा और इंडिया गठबंधन के लिए एक अवसर।
आपको बता दे कि बिहार में राजनीतिक संरक्षण और सत्ता के दुरुपयोग का लंबा इतिहास रहा है। कई बार देखा गया है कि राजनीतिक पार्टियां अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए जातीय और सामुदायिक ध्रुवीकरण का सहारा लेती हैं।
नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में कई बार पार्टियों के बीच गठबंधन बदलकर अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित रखने की कोशिश की है। इस बार भी जदयू ने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन अगर एग्जिट पोल के आंकड़े सही साबित होते हैं, तो यह रणनीति भी विफल हो सकती है।
वैसे इस चुनाव का परिणाम बिहार की राजनीति पर गहरा प्रभाव डालेगा। जदयू की सीटों में गिरावट नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकती है। एनडीए के कमजोर प्रदर्शन का असर अगले विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है।
दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन के लिए यह परिणाम सकारात्मक हो सकते हैं। अगर एग्जिट पोल के अनुमान सही साबित होते हैं, तो यह गठबंधन आगामी चुनावों के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर सकता है।
बाकि बिहार में राजनीतिक उलटफेर की घटनाएं नई नहीं हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में भी महागठबंधन ने अप्रत्याशित रूप से भाजपा को पराजित किया था। इसके बाद नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण गठबंधन फिर टूट गया।
तो इस तरह बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल ने यह संकेत दिया है कि राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। नीतीश कुमार की जदयू और एनडीए की सीटों में गिरावट के संकेत से यह स्पष्ट है कि बिहार के मतदाताओं ने इस बार कुछ अलग सोचकर मतदान किया है।
इस चुनाव के परिणाम बिहार की राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं और आने वाले विधानसभा चुनावों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा।
नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।