Who is laying the chessboard on the political ground of Bengal ?

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Bengal’s Political Chessboard

Lower 01 – AIRR NEWS:Strategies for success in Bengal’s Political ArenaBengal’s Political Chessboard

Lower 02 – What impact do current events have on Bengal’s political game?

Lower 02 – AIRR NEWS:Bengal’s Political Chessboard Unveiled

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR NEWS….लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच पश्चिम Bengal की 42 सीटों की लड़ाई बेहद ही दिलचस्प हो चुकी है…चुनाव से पहले जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Bengal में कई ताबड़तोड़ रैलियां कर चुके हैं वहीं ममता दीदी की पूरी टीम भी ग्राउंड पर एक्टिव नज़र आ रही है…ममता बनर्जी के गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला…ये बताता है कि…ना तो दीदी की कोई सियासी मज़बूरी है और ना ही राज्य में बदलते राजनीतिक समीकरण का कोई डर…-Bengal’s Political Chessboard

लेकिन असल में वो कौन से मुद्दे हैं जिनके भरोसे दोनों ही पार्टियां अपनी जीत का दावा पेश कररही हैं…ऐेसे में सवाल उठताहै कि क्या Bengal का चुनाव इस बार मोदी और ममता की नाक और साक का सवाल बन गया है…क्या बीजेपी इस बार दीदी के किले में सेंध लगा पाएगी या फिर दीदी के मैजिक से मोदी चारों खाने चित्त हो जाएंगे…Bengal का बड़ा बाहुबली कौन होगा ये तो वक्त ही तय करेगा लेकिन पिछले कुछ समय से Bengal के बदले राजनीतिक समीकरण तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के लिए सिर दर्द बने हुए हैं…कई घोटालों में पार्टी के तमाम बड़े मंत्रियों और नेताओं की गिरफ्तारी से पार्टी पहले ही बैकफुट पर है…-Bengal’s Political Chessboard

खुद महिला होने के बाद संदेशखाली जैसी घटनाओं के चलते दीदी के महिला सुरक्षा वाले रिकॉर्ड पर भी अब सवाल खड़े होने लगे हैं…भले ही टीएमसी खुलकर ना कहे लेकिन उसे कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के गठबंधन से मुस्लिम वोटों के बिखरने का भी डर सता रहा है…लेकिन फिर भी ममता बनर्जी अपनी दावेदारी को बेहद मज़बूती से पेश कर रही हैं…इसके पीछे उनकी लोकप्रियता, मज़बूत संगठन और मुख्यमंत्री रहते हुए उनके द्वारा चलाई गई कई समाज कल्याण की योजनाओं को माना जा सकता है…

ममता बनर्जी समेत तमाम नेता केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाकर बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं लेकिन बीजेपी भी राज्य में एक के बाद एक हुए भष्ट्राचार का हवाला देकर टीएमसी को घेर रही है…बीजेपी ने इस बार Bengal में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है… इसमें कोई शक नहीं है कि बीजेपी के पास मोदी के अलावा Bengal में कोई बड़ा चेहरा नहीं हैं लेकिन सीएए और संदेशखाली जैसी मुद्दों से भी बीजेपी को काफी उम्मीदें हैं…

सीएए के ज़रिए बीजेपी राज्य की करीब 1 करोड़ मतुआ आबादी को लुभाने का प्रयास कर रही हैं…वहीं संदेशखाली की घटनाओं को आधार बनाकर पार्टी के कई नेता Bengal में महिलाओं की स्थिति का प्रचार करने में लगे हैं…इन सबके बीच Bengal बीजेपी संगठन में बिखराव की खबरें भी आती रही हैं…इसके अलावा स्थानीय निकाय चुनावों में लचर प्रदर्शन और बीजेपी नेताओं की आपसी गुटबाजी ने पार्टी की रातों की नींद उड़ा रखी है…तमाम चुनौतियों के बावजूद भी बीजेपी खुद को Bengal में तृणमूल कांग्रेस से बड़ा दल मानकर चल रही है लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट के सभी दल गठबंधन करके Bengal में चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं…इसी वजह से लगता है कि Bengal की सियासी शतरंज का खेल उलझता ही जा रहा है…अब देखना दिलचस्प होगा कि किसकी चाल से किसका प्यादा, किसका वजीर, किसकी रानी और किसी राजा ढ़ेर होगा…

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