India-Bangladesh Relations: बांग्लादेश की हाईकोर्ट ने भारत के खिलाफ हथियार तस्करी के मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व गृहमंत्री लुफ्तोज्जमां बाबर और अन्य पांच आरोपियों को बुधवार, 18 दिसंबर को बरी कर दिया. बाबर, जो बीएनपी सरकार में मंत्री थे, को 2014 में चटगांव मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. बाबर के वकील का दावा है कि उन पर लगाए गए आरोप राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित थे.
यह मामला 2004 का है, जब बांग्लादेश पुलिस ने हथियारों से भरे 10 ट्रक जब्त किए थे. इन हथियारों को भारतीय उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) को भेजा जाना था.
उल्फा कमांडर परेश बरुआ की सजा में बदलाव
बांग्लादेश हाईकोर्ट ने उल्फा कमांडर परेश बरुआ की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है. परेश बरुआ, जो उल्फा के एक धड़े ULFA-I के प्रमुख हैं, अब भी फरार हैं, और उनके ठिकाने का पता नहीं है.
उल्फा ने 2023 में भारत सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन परेश बरुआ इस समझौते का हिस्सा नहीं बने. नवंबर 2024 में इस मामले की सुनवाई के दौरान आरोपियों की सजा के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू हुई थी.
2014 में हथियार तस्करी में 14 दोषियों को दी गई थी सजा
2014 में बांग्लादेश की एक अदालत ने हथियार तस्करी के मामले में 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी. इन दोषियों में जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी, लुफ्तोज्जमां बाबर, परेश बरुआ, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे. मोतिउर रहमान को 2016 में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए फांसी दी गई थी.
भारत-बांग्लादेश संबंधों में उथल-पुथल
2009 में शेख हसीना की सरकार बनने के बाद बांग्लादेश ने भारत के पूर्वोत्तर में सक्रिय उग्रवादी समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की. हाल ही में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद, बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के संकेत मिले हैं. भारत ने लंबे समय तक बांग्लादेश पर पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों को समर्थन देने का आरोप लगाया था. अब, नई परिस्थितियों के बीच, भारत और बांग्लादेश के संबंधों में संभावित तनाव को लेकर चर्चाएं हो रही हैं.
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