स्वास्थ्य सेवाओं का देशव्यापी विस्तार और सुधार किसी भी सरकार का प्रमुख लक्ष्य होता है। जब भारत सरकार ने आयुष्मान भारत हेल्थ और वेलनेस सेंटर का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर करने का फैसला लिया, तो यह कदम विवादों के घेरे में आ गया। विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम और नागालैंड में, जहां स्थानीय समुदायों और चर्च के ‘भावनाओं’ का हवाला देते हुए इस नाम परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाई गई। इस घटना ने देशभर में एक नई बहस को जन्म दिया कि कैसे एक नाम परिवर्तन सामाजिक और धार्मिक संदर्भों में विभिन्न प्रभाव डाल सकता है। आइए, इस मुद्दे की गहराई में जाएं और समझें कि आखिर इस नाम परिवर्तन ने इतना बड़ा विवाद क्यों खड़ा कर दिया और इसके पीछे के कारण क्या हैं।-Ayushman Arogya Mandir news
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आज हम चर्चा करेंगे आयुष्मान भारत हेल्थ और वेलनेस सेंटर का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर करने के फैसले के बारे में, और इसके खिलाफ मिजोरम और नागालैंड जैसे पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बारे में।
पिछले साल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने प्रमुख आयुष्मान भारत हेल्थ और वेलनेस सेंटरों का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर कर दिया। इस बदलाव के तहत, 1.6 लाख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को नए नाम के साथ-साथ “आरोग्यम परमं धनं” यानि स्वास्थ्य सबसे बड़ी दौलत है का टैगलाइन दिया गया। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना था, ताकि इन केंद्रों को अधिक व्यापक और समग्र रूप से जनता के लिए उपलब्ध कराया जा सके।-Ayushman Arogya Mandir news
हालांकि, मिजोरम और नागालैंड ने इस नाम परिवर्तन पर आपत्ति जताई। मिजोरम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी एस्थर लाल रूआतकीमी ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को लिखे एक पत्र में कहा कि मिजोरम एक क्रिस्चियन राज्य है, जहां 90% से अधिक जनसंख्या ईसाई धर्म को मानती है। उन्होंने चिंता जताई कि इस नाम परिवर्तन से सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों के प्रति जनता की समर्थन में कमी आ सकती है और यह सरकार के खिलाफ भावनाओं को भड़का सकता है।
इसी तरह, नागालैंड ने भी अपने पत्र में इस नाम परिवर्तन को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया और सरकार से अनुरोध किया कि राज्य को इस नाम परिवर्तन से मुक्त रखा जाए।
हालांकि, अभी तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन राज्यों के अनुरोधों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है और दोनों राज्य अब भी पुराने नाम का ही उपयोग कर रहे हैं।
इस नाम परिवर्तन का उद्देश्य आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक व्यापक और समग्र बनाने का था। इसके तहत, उप-स्वास्थ्य केंद्रों (SHC), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों PHC और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों UPHC को आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है।-Ayushman Arogya Mandir news
इन केंद्रों में निःशुल्क निदान सेवाएं यानि FDSI और आवश्यक दवाइयों की निःशुल्क उपलब्धता की सुविधा दी जा रही है। SHC स्तर पर 14 और PHC स्तर पर 63 निदान परीक्षण शामिल हैं, और SHC स्तर पर 105 आवश्यक दवाइयां और PHC स्तर पर 171 दवाइयां मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही हैं।
आपको बता दे कि इस नाम परिवर्तन के पीछे सरकार की मंशा एक व्यापक और समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की स्थापना करना है। इसके बावजूद, यह कदम धार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं से टकराता दिख रहा है। मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों में, जहां ईसाई धर्म प्रमुख है, “मंदिर” शब्द का उपयोग धार्मिक असहमति को जन्म दे सकता है।
यह विवाद इस बात को उजागर करता है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में किसी भी सरकारी निर्णय का व्यापक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव हो सकता है। खासकर जब वह निर्णय धार्मिक संदर्भों से जुड़ा हो।
हालांकि, इस नाम परिवर्तन के पीछे का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई पहचान देना और उन्हें अधिक समग्र बनाना था, लेकिन यह भी जरूरी है कि सरकार ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर निर्णय लेते समय स्थानीय समुदायों की भावनाओं और परंपराओं का भी ध्यान रखे।
भारत में कई बार ऐसा हुआ है जब सरकारी नीतियों और निर्णयों ने सामाजिक और धार्मिक असहमति को जन्म दिया है। उदाहरण के लिए:
कई राज्यों में गौ-रक्षा कानूनों के लागू होने से विभिन्न समुदायों में तनाव पैदा हुआ। यह कानून एक तरफ हिंदू समुदाय के धार्मिक भावनाओं की रक्षा के उद्देश्य से लाया गया, तो दूसरी तरफ इसने मुस्लिम और अन्य मांसाहारी समुदायों में विरोध और असंतोष पैदा किया।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे सरकारी नीतियां सामाजिक असंतोष को जन्म दे सकती हैं। इस कानून को कई मुस्लिम समुदायों ने अपने खिलाफ समझा और इसे धार्मिक भेदभाव माना।
सरकारी भूमि आरक्षण नीतियों में भी कई बार असहमति और विवाद देखे गए हैं, जहां विभिन्न जाति और समुदायों ने इन नीतियों को अपने खिलाफ समझा।
तो इस तरह आयुष्मान भारत हेल्थ और वेलनेस सेंटर का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर करने का निर्णय एक अच्छी मंशा के साथ लिया गया कदम था, लेकिन इसने धार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं को प्रभावित किया। मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों की आपत्तियों ने इस बात को उजागर किया कि किसी भी नीति के कार्यान्वयन में स्थानीय परंपराओं और भावनाओं का सम्मान जरूरी है।
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