Ayodhya’s Ram Mandir and Shankaracharya: A Deep Connection and Controversy

0
69
Ram Mandir

#अयोध्या #राम मंदिर #शंकराचार्य #प्रतिष्ठा समारोह #विवाद #इतिहास #रामायण #विक्रमादित्य #बाबर #बाबरी मस्जिद #विश्व हिंदू परिषद #राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन #लाल कृष्ण आडवाणी #राम रथ यात्रा #सुप्रीम कोर्ट #फैसला #श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट #नरेंद्र मोदी #उद्घाटन #राम राज्य,Ayodhya #Ram Mandir #Shankaracharya #Consecration Ceremony #Controversy #History #Ramayana #Vikramaditya #Babur #Babri Masjid #Vishwa Hindu Parishad #Ram Janmabhoomi Liberation Movement #Lal Krishna Advani #Ram Rath Yatra #Supreme Court #Verdict #Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust #Narendra Modi #Inauguration #Ram Rajya

अयोध्या के Ram Mandir के प्रतिष्ठा समारोह में चार शंकराचार्यों का शामिल नहीं होना पुरे भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये शंकराचार्य कौन हैं और उनका राम मंदिर से क्या संबंध है। इसके अलावा, हम आपको राम मंदिर का इतिहास और विवाद के बारे में भी जानकारी देंगे। तो चलिए शुरू करते हैं। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज

शंकराचार्य हिंदू धर्म के सर्वोच्च धार्मिक गुरु हैं, जो आदि शंकराचार्य के द्वारा स्थापित चार मठों के प्रमुख होते हैं। आदि शंकराचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू दार्शनिक और संत थे, जिन्होंने अद्वैत वेदांत की शिक्षा दी और हिंदू धर्म को पुनर्जागरण किया।  उन्होंने भारत के चार क्षेत्रों में चार मठों की स्थापना की, जो इस भारत में चार जगह पर स्थापित है जिनमे ज्योतिर मठ जिसे जोशीमठ कहते है और ये उत्तराखंड में है। जो उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करता है।  ऐसे ही पूरब में पूरी का गोवर्धन मठ जो ओडिशा में है द्वारका का शारदा मठ, जो गुजरात में पश्चिम का मठ है और श्रींगेरी मठ, जो श्रींगेरी, कर्नाटक में स्थापित है दक्षिण का मठ कहलाता है। 

इन्ही मठों के प्रमुख को शंकराचार्य कहा जाता है और उनका कार्य हिंदू धर्म की रक्षा, संरक्षण और प्रचार करना है। इन मठों की परंपरा गुरु-शिष्य परंपरा के अनुसार चलती है, जिसमें एक शंकराचार्य अपने उत्तराधिकारी को चुनता है। इन मठों का अपना एक विशेष महावाक्य भी होता है, जो अद्वैत वेदांत का सार है।

आपको बता दे कि, शंकराचार्य का राम मंदिर से सीधा संबंध है, क्योंकि वे राम को विष्णु का अवतार मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। शंकराचार्य ने ही राम की जन्मभूमि पर एक मंदिर का निर्माण करवाया था, जो बाद में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ा गया था। शंकराचार्य ने राम मंदिर के लिए अनेक बार आंदोलन भी किया था और उनका समर्थन भी किया था।

अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास और विवाद बहुत ही लंबा और जटिल है। राम मंदिर का इतिहास रामायण काल से शुरू होता है, जब राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। राम के पुत्र कुश ने राम की जन्मभूमि पर पहला मंदिर बनवाया था, जो बाद में विक्रमादित्य ने और भव्य बनाया था। राम मंदिर का विवाद 1528 में शुरू हुआ, जब मुगल बादशाह बाबर ने अपने सेनापति मिर बाकी को राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवाने का आदेश दिया था। इसके बाद से ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच इस जगह के लिए विवाद चलता रहा।

1859 में ब्रिटिश सरकार ने इस विवाद को रोकने के लिए इस जगह को दो भागों में बांट दिया, एक हिंदुओं के लिए और एक मुसलमानों के लिए। लेकिन इस समाधान के बाद भी विवाद जारी रहा। साल 1949 में रात के अंधेरे में कुछ लोगों ने मस्जिद के अंदर राम की मूर्ति रख दी और फिर से मंदिर का दावा किया। इसके बाद सरकार ने मस्जिद को बंद कर दिया और मामला अदालत में चला गया।

1984 में विश्व हिंदू परिषद ने राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन शुरू किया, जिसमें लाखों हिंदुओं ने अयोध्या की ओर जुलूस निकाले और मस्जिद को तोड़ने की मांग की। 1986 में एक फैसले के तहत, सरकार ने मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश दिया और हिंदुओं को मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी। इससे मुसलमानों का विरोध बढ़ गया और उन्होंने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई।

1990 में भारतीय जनता पार्टी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने राम रथ यात्रा शुरू की, जिसमें वे सोमनाथ से अयोध्या तक राम की मूर्ति लेकर गए। इस यात्रा के दौरान कई जगहों पर हिंदु-मुस्लिम दंगे हुए और सैकड़ों लोग मारे गए। यात्रा को उत्तर प्रदेश सरकार ने रोक दिया और आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया।

1992 में 6 दिसंबर को कार सेवकों ने मस्जिद पर हमला कर दिया और उसे ध्वस्त कर दिया। इसके बाद पूरे देश में भयंकर हिंसा फैल गई और हजारों लोग जख्मी हुए और मारे गए। इस घटना को लेकर कई मुकदमे चले और अदालतों ने कई बार फैसला सुनाया।

2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने राम जन्मभूमि के 2.77 एकड़ जमीन को हिंदुओं को देने का आदेश दिया और मुसलमानों को अलग से 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया। इसके बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया, जिसका कार्य है राम मंदिर का निर्माण करना।

राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। इस दिन पूरे देश में राम राज्य का महोत्सव मनाया जाएगा। लेकिन इन सभी शंकराचार्यो ने अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्टा पर अपना विरोध जताया है। 

आशा है कि आपको यह वीडियो पसंद आया होगा। अगर आपको इस विषय पर और कुछ जानना है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। हम आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे। धन्यवाद।

आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER.

Never miss out on the latest news.

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

RATE NOW

LEAVE A REPLY

We cannot recognize your api key. Please make sure to specify it in your website's header.

    null
     
    Please enter your comment!
    Please enter your name here