भारत के इतिहास में एक ऐसा दिन आने वाला है, जब “ Ayodhya-Ram Temple“में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना की जाएगी। यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक घटना है, जिसका इंतजार करोड़ों हिंदुओं को शताब्दियों से था। इस घटना को लेकर विभिन्न वर्गों, संगठनों और व्यक्तियों के बीच विभिन्न मतभेद और विचार हैं। कुछ लोग इसे एक राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक राजनीतिक और साम्प्रदायिक चाल समझते हैं। इस वीडियो में, हम इन सभी विषयों पर बात करेंगे।
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” Ayodhya-Ram Temple” में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना का मुद्दा एक लंबा और जटिल इतिहास रखता है। इसकी शुरुआत 1528 में हुई, जब मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मिर बाकी ने अयोध्या में एक मस्जिद बनवाई, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना गया। हिंदुओं का मानना था कि यह मस्जिद उसी स्थान पर बनाई गई थी, जहां भगवान राम का जन्म हुआ था, और जहां उनका एक प्राचीन मंदिर था। इसलिए, हिंदुओं ने इस मस्जिद को कभी स्वीकार नहीं किया, और उसके विरोध में कई आंदोलन और विवाद चले।-” Ayodhya-Ram Temple”
इस मुद्दे का उच्चतम न्यायालय में भी काफी वाद विवाद चला, लेकिन कोई निर्णय नहीं निकला। इस बीच, 6 दिसंबर 1992 को, विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक रथ यात्रा के दौरान बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया, जिससे देश भर में हिंसा और दंगे फैल गए। इसके बाद, केंद्र सरकार ने उस स्थान को अपने अधिकार में ले लिया।-” Ayodhya-Ram Temple”
हिंदुओं के लिए, राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना एक धार्मिक आवश्यकता और अधिकार है। रामायण के अनुसार, भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, और उन्होंने वहां अपना बचपन बिताया और शासन किया था। इसलिए, हिंदुओं का मानना है कि वह स्थान उनके इष्टदेव का है, और उन्हें वहां उनकी पूजा-अर्चना करने का अधिकार है।
आपको बता दे कि, हाल ही के कुछ वर्षो में राम मंदिर एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जिसका उपयोग कई दलों ने अपने वोट बैंक को बढ़ाने और अपनी राष्ट्रवादी और धार्मिक छवि को सुदृढ़ करने के लिए किया है। विशेष रूप से, भारतीय जनता पार्टी ने राम मंदिर मुद्दे को अपना प्रमुख एजेंडा बनाया है, और इसे अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाया है। बीजेपी का कहना है कि वह हिंदुओं के आस्था का सम्मान करती है, और उन्हें अपने धर्म की आजादी और सम्मान दिलाने के लिए काम करती है। बीजेपी ने राम मंदिर के निर्माण का वादा किया है, और इसे अपने वोटरों को आकर्षित करने का एक तरीका मानती है। इसके अलावा, बीजेपी ने राम मंदिर मुद्दे को एक राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बनाया है, और इसे एक राष्ट्र निर्माण की पहल बताया है।
इस प्रकार, राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना के पीछे के कारणों को हम धार्मिक और राजनीतिक दोनों दृष्टिकोण से समझ सकते हैं।
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