अयोध्या में BJP की हार से हर कोई हैरान, आखिर ये सीट कैसे हार गई बीजेपी ?-ayodhya latest news

HomeBlogअयोध्या में BJP की हार से हर कोई हैरान, आखिर ये सीट...

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

अयोध्या में बीजेपी की मिला हार-ayodhya latest news

जातीय समीकरण नहीं साध पाई बीजेपी

अयोध्या में BJP की हार से हर कोई हैरान

शहरों में हुआ विकास, गांव विकास की राह देख रहे

मुआवजा कम मिलना भी लोगों में नाराजगी की वजह

राम के नाम पर खूब हुई थकी सियासत

लोकसभा चुनाव के रिजल्ट ने इस बार सभी को चौंका दिया है.. खासकर उत्तर प्रदेश से जिस तरह का जनादेश आया है उससे बीजेपी हैरान है..खासकर अयोध्या सीट का हारना कई सवाल खड़े करता है… अयोध्या में बीजेपी की हार से हर कोई हैरान है…  आखिर क्या है इसकी वजह है. आज इस वीडियो में आपको बताएंगे… नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR NEWS…. आयोध्या में 500 सालों के संघर्ष के बाद राम मंदिर बनकर तैयार हुआ है और चार महीने पहले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई थी. बावजूद इसके बीजेपी के हिंदुत्व की प्रयोगशाला अयोध्या में धराशाई हो गई… अखिलेश यादव के दलित चेहरे ने बीजेपी के धुरंधर ठाकुर चेहरे को हराकर दिखा दिया कि अयोध्या पर कमंडल नहीं मंडल भारी है. क्या ये जातीय समीकरणों का चमत्कार है या फिर लोगों को कम मुआवजे का विकास रास नहीं आया!-ayodhya latest news

फैजाबाद सीट की हार ने दिल्ली से लेकर लखनऊ तक और बीजेपी से लेकर संघ परिवार तक सभी को सदमे में डाल दिया है. देश ही नहीं दुनिया भर में अगर बीजेपी की किसी एक सीट के हारने की चर्चा इस वक्त सबसे ज्यादा सुर्खियों में बनी है तो वह है अयोध्या. वही अयोध्या जो बीजेपी के हिंदुत्व के विचारधारा के मूल में है, जिस अयोध्या में 22 जनवरी को नए राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश भर में 2024 के चुनाव का आगाज हुआ, बीजेपी वही अयोध्या हार गई..-ayodhya latest news

पिछले 40 सालों से जिस अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन की बदौलत बीजेपी ने अपनी पूरी पार्टी खड़ी कर ली, वो अयोध्या बीजेपी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कुछ महीनों के भीतर ही हार गई. अभी हार के कारण तलाशे जा रहे हैं, कोई इसे बीजेपी के ओबीसी और दलितों के छिटकने की हार बता रहा है, कोई अखिलेश के सॉलिड जातीय समीकरण साधने को वजह मान रहा है, कोई इसे बीजेपी के भीतर दिल्ली और लखनऊ के तनाव से जोड़कर देख रहा है..-ayodhya latest news

अयोध्या की हार सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि देशभर के बीजेपी समर्थकों और हिंदुत्ववादी सोच के लोगों के लिए एक सदमे जैसा है. यूं तो फैजाबाद समाजवादी पार्टी के सबसे तगड़े समीकरण के सीटों में से एक है, लेकिन इस बार संविधान बदलने का जो माहौल, जो नैरेटिव पिछले कुछ दिनों में तैयार हुआ उसकी पृष्ठभूमि में अयोध्या और उसके सांसद लल्लू सिंह थे, जब बीजेपी ने 400 पार का नारा दिया तो लल्लू सिंह ही वह पहले सांसद थे जिन्होंने अयोध्या में कहा कि 400 सीट बीजेपी को संविधान बदलने के लिए चाहिए और उसके बाद तो संविधान बदल देने का मुद्दा ऐसा जोर पकड़ा कि बीजेपी पूरे चुनाव में इस पर सफाई देती रही और इस नैरेटिव का जवाब देती घूमती रही, जो बीजेपी अयोध्या के बल पर 2024 चुनाव का नैरेटिव गढ़ रही थी इस अयोध्या से निकली संविधान विरोधी आवाज ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी का पूरा खेल बिगाड़ दिया.. हालांकि इस सीट पर कांग्रेस और सपा पहले भी जीत दर्ज कर चुके हैं. बीजेपी कोई पहली बार यह सीट नहीं हारी बल्कि 1984 के बाद से फैजाबाद की सीट पहले भी दो बार समाजवादी पार्टी जीत चुकी है.-ayodhya latest news

कांग्रेस पार्टी भी दो बार इसे जीत चुकी है, लेकिन राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के बाद बीजेपी यह सीट हार जाएगी यह किसी को यकीन नहीं था. 1991 के बाद से बीजेपी अयोध्या में मजबूत हुई, यहां से बीजेपी के बड़े कुर्मी और हिंदूवादी चेहरे विनय कटियार ने तीन बार जीत दर्ज की, जबकि समाजवादी पार्टी के मित्रसेन यादव 1989, 1998 और 2004 में यहां से सांसद चुने गए. जीतने के बाद भी बीजेपी ने अयोध्या में अपने ओबीसी चेहरे विनय कटियार को हटाकर 2004 से लल्लू सिंह को उम्मीदवार बनाना शुरू किया जो 2014 और 2019 में जीते, जब-जब हिंदुत्व सिर चढ़कर बोला या मोदी मैजिक चला तब तक बीजेपी जीती, लेकिन जैसे ही चुनाव जातियों पर आया बीजेपी यहां से चुनाव हार गई… अब अयोध्या का जातीय समीकरण क्या है और क्यों इसे साधने में बीजेपी नाकाम हुई. इस बारे में आपको बताते हैं.. इस हार की सबसे बड़ी वजह यहां के जातीय समीकरण बने.

अयोध्या में जातियों का आंकड़ा समझ लीजिए. अयोध्या में सबसे ज्यादा ओबीसी वोटर हैं जिसमें कुर्मियों और यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है. ओबीसी 22 फीसदी हैं, दलित मतदाता दूसरे नंबर पर आते हैं जिनकी तादाद लगभग 21 फीसदी है और उसमें भी पासी बिरादरी सबसे ज्यादा है, जिस तबके से सपा के जीते हुए उम्मीदवार अवधेश प्रसाद आते हैं. इसके अलावा मुस्लिम भी लगभग 18 फीसदी यहां हैं. ये तीनों मिलकर 50 फीसदी से ज्यादा होते हैं. इस बार ओबीसी वोटरों का एक साथ आना, इसके अलावा दलित वोटरों का इस सामान्य सीट पर दलित कैंडिडेट को जिताने का जुनून और मुस्लिम यादव वोटरों का एकमुश्त सपा का समर्थन, बीजेपी की हार का कारण बना… अयोध्या के लोगों में काफी नाराजगी थी..

क्योंकि शहरों में तो विकास किया गया लेकिन गांववालों की जमीन चली गई.. इसके अलावा अयोध्या के विकास में लोगों की जमीनों का अधिकार ग्रहण और मन मुताबिक मुआवजा न मिलना भी नाराजगी की एक वजह बनकर सामने आई. अयोध्या में लोगों के बीच एक चर्चा रही कि अयोध्या में अगर मंदिर बना, अयोध्या शहर का अगर विकास हो रहा है तो इसका फायदा अयोध्या के सुदूर गांव वालों को नहीं मिल रहा बल्कि बाहर से आने वाले बिजनेस करने वाले लोग ही उठा रहे हैं. जबकि अयोध्या के लोगों को बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में अपनी जमीन में गंवानी पड़ रही है. बीजेपी सिर्फ अयोध्या ही नही हारी बल्कि अयोध्या से सटी सभी सीटें हार गई.

बस्ती, अम्बेडकरनगर, बाराबंकी जैसी सीटें भी बीजेपी हार गई. पूरे तरीके से जातीय गोलबंदी ने बीजेपी को अयोध्या में धराशाई कर दिया. अयोध्या की हार को सिर्फ बीजेपी की हार नहीं बल्कि हिंदुत्व के उनके पूरे नैरेटिव की हार के तौर पर देखा जा रहा है. जिस अयोध्या में विपक्ष के राम मंदिर नहीं जाने का मुद्दा बीजेपी ने अखिलेश और गांधी परिवार के खिलाफ बनाया था, अब विपक्ष अयोध्या की हार को पीएम मोदी और आरएसएस की हार बता रहा है… निश्चित तौर पर ये हार बीजेपी के लिए एक बड़े सबक से कम नहीं होगा.. ऐसी ही सियासी खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ..

TAGS

#lok sabha election result uttar pradesh, #up election updates, #80 lok sabha seats election results, #bjp vs congress, #ayodhya mein bjp ki har, #election poll result 2024#airrnews

RATE NOW
wpChatIcon