लवली के जाने से कांग्रेस को कितना होगा नुकसान ?

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Arvinder Lovely resign

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष Arvinder Lovely resign

लवली के जाने से कांग्रेस को कितना नुकसान ?

गठबंधन के रुझान ऐसे तो परिणाम क्या होगा ?

लोकसभा चुनाव में क्या कांग्रेस को होगा नुकसान ?

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के रुझान सामने आने शुरू हो गए हैं. राजकुमार चौहान के बाद अब दिल्ली कांग्रेस के सबसे बड़े नेता Arvinder Singh Lovelyने भी रिजाइन कर दिया है. उन्हें भी सबसे अधिक पीड़ा इसी बात से है कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन क्यों कर लिया. हालांकि उनकी नाराजगी कई और बातों को लेकर है पर मूल में आम आदमी पार्टी से गठबंधन तो है ही.आप से गठबंधन के मामले में कांग्रेस ने अपने लोकल क्षत्रपों पर भरोसा नहीं किया… कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने बड़ी मेहनत करके दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ माहौल तैयार किया था.-Arvinder Lovely resign

पर उसे कैश करने के पहले ही पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के सामने समर्पण कर दिया. अब कांग्रेस के सामने केवल मोदी का विरोध ही मुद्दा रह गया है. कांग्रेस आलाकमान हमेशा की तरह एक बार फिर लोकल यूनिट पर अपने फैसलों को थोप दिया जिसका हश्र बुरा होना था. आइये आपको बतात हैं कि कांग्रेस आलाकमान का यह फैसला किस तरह दिल्ली में पार्टी की जड़ को कमजोर करने का काम करने वाला है.. आपको बता दें कि चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों पर इसका बड़ा असर होने वाला है..

दिल्ली कांग्रेस नेताओं की लगातार ऐसी खबरें आती रही हैं जिससे यही लगता है कि पार्टी में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर असंतोष है.. पर कोई खुलकर नहीं बोल रहा था इसलिए स्थिति कंट्रोल में थी.. पर राजकुमार चौहान और Arvinder Singh Lovely के ताबड़तोड़ 2 इस्तीफों से निश्चित है कि पार्टी पर असर होना था. इसके साथ ही कांग्रेस के एक और कद्दावर नेता संदीप दीक्षित भी लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे लगता है कि उन्हें भी कई चीजें पसंद नहीं आ रही हैं. जिस तरह कन्हैया कुमार और उदित राज के उम्मीदवारी का विरोध हुआ है वो आंतरिक असंतोष का ही कारण है. जिसका असर निश्चित रूप से चुनाव परिणामों में देखने को मिलेगा

पहले राजनीतिक विश्लेषक ऐसी बातें कह रहे थे कि कांग्रेस आलाकमान के आम आदमी पार्टी के साथ हाथ मिलाने के फैसले से जमीनी स्तर के कार्यकर्ता खुश नहीं हैं.. पर अब जब प्रदेश अध्यक्ष ने खुद ही इस गठबंधन पर सवाल उठाते हुए इस्तीफा दे दिया है तो इसका संदेश दूर तक जाएगा. एक तो पार्टी में दबी असंतोष की आवाजें एक बार फिर से उभरेंगी दूसरे पार्टी कार्यकर्ता बीजेपी के उम्मीदवारों में भविष्य ढूंढेंगे. ऐसे में पार्टी के तीनों लोकसभा उम्मीदवारों के चुनाव अभियान पर असर दिखना स्वाभाविक है… -Arvinder Lovely resign

वहीं अब कांग्रेस की बजाय आम आदमी पार्टी को अधिक नुकसान होगा.. इस्तीफे के बाद राजनीतिक विश्वेषकों का यह भी कहना है कि आम आदमी पार्टी को कांग्रेस से ज्यादा नुकसान होने की आशंका है. दरअसल कांग्रेस नेताओं की नाराजगी पार्टी के हार्डकोर वोटर्स में यह संदेश दे रही है कि आम आदमी पार्टी के साथ जाने से पार्टी के पुराना नेता खुश नहीं है. जाहिर के समर्पित वोटर्स भी जहां कांग्रेस के कैंडिडेट हैं वहां तो वो पार्टी के नाम पर उन्हें वोट दे देंगे. पर जहां आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट हैं वहां कांग्रेस के वोट ट्रांसफर नहीं होने वाले हैं…

शायद यही कारण है कि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने बयान दिया है कि उनका कहना है कि ये कांग्रेस का अंदरूनी मामला है. वो इस मामले को देख रहे हैं. AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने यह भी कहा कि मैं जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि आम आदमी पार्टी से कांग्रेस का गठन कराने का श्रेय Arvinder Singh Lovely को ही जाता है. मैं उनका धन्यवाद करता हूं. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर भी लवली सबसे पहले पहुंचे थे. अब वो क्यों बदल गए पता नहीं..

वहीं एक बात और है कि लवली की नाराजगी से सिख बहुल इलाकों में इंडिया गुट कमजोर होगा.. सिख बहुल तिलक नगर में पार्टी के झंडे लहराकर, सिख विरोधी दंगों से प्रभावित क्षेत्र में पार्टी की वापसी का प्रतीक बनकर, कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को प्रभावित करने के लगभग छह महीने बाद, Arvinder Singh Lovely ने पार्टी के दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. यह उनके राजनीतिक करियर में दूसरी बार था जब वो दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से रिजाइन किए हैं.. कांग्रेस की राज्य इकाई से कुछ लोगों की बातचीत के आधार पर मानना ​​है कि लवली उनके इस्तीफे से सिखों के प्रभुत्व वाले विधानसभा क्षेत्रों में आप-कांग्रेस गठबंधन को नुकसान होने की संभावना है.

एक कांग्रेस पदाधिकारी ने कहा, सिख समुदाय के कई समर्थक, दोनों निष्क्रिय कांग्रेस कार्यकर्ता और नए लोग, जिनके साथ लवली अक्टूबर से जुड़े हुए हैं, उनके द्वारा लगाए गए आरोपों से पार्टी से खुश नहीं होंगे. कहा जा रहा है कि इस प्रकरण का तिलक नगर, हरि नगर, राजौरी गार्डन, लक्ष्मी नगर, सिविल लाइंस और जंगपुरा जैसे विधानसभा क्षेत्रों में AAP-कांग्रेस गठबंधन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो पश्चिम दिल्ली, उत्तर के अंतर्गत आते हैं…. अब ऐसे में एक सवाल ये है कि आखिर गबबंधन कैसे मजबूत हो पाएगा..

बीजेपी से मुकाबला करने के लिए काफी लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तालमेल हुआ था. दोनों पार्टियों के बीच तालमेल हो या न हो इसके लिए कांग्रेस में लंबी चर्चा चली थी. कांग्रेस का एक धड़ा शुरू से ही आम आदमी पार्टी से गठबंधन किए जाने के विरोध में था. गठबंधन का विरोध करने वालों में अरविंद सिंह लवली के साथ ही दिल्ली के पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित जैसे नेता भी थे. पार्टी में एक धड़े का मानना था कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन करके कांग्रेस अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रही है. एक तरफ तो आम आदमी पार्टी ने ही दिल्ली में कांग्रेस के जनाधार को कम किया था.

पिछले 2 सालों में कड़ी मेहनत करके कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आम आदमी पार्टी और उनके नेताओं के खिलाफ जनमानस तैयार कराया है.पार्टी नेताओं का मानना है ऐसे में पार्टी उसी दल के साथ समझौता कर अपने वोटरों की नाराजगी मोल ले रही है. हालांकि, पार्टी आलाकमान ने स्थानीय स्तर के नेताओं की राय को दरकिनार करते हुए राष्ट्रीय स्तर का हवाला देते हुए तालमेल किया था…  -Arvinder Lovely resign

दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन के चलते कार्यकर्ता और नेता पहले ही नाराज थे. गठबंधन के चलते सात में चार सीटें तो पार्टी के हाथ से निकल गईं.कांग्रेस में पार्टी के अंदर Arvinder Singh Lovely, संदीप दीक्षित, अनिल चौधरी, अलका लांबा, राजकुमार चौहान जैसे कई पुराने दिग्गजों को छोड़कर कन्हैया कुमार और उदितराज पर भरोसा करना पार्टी में असंतोष का प्रमुख कारण है.

कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेताओं को दरकिनार करते हुए पार्टी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार, चांदनी चौक से जेपी अग्रवाल और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी से कांग्रेस में आए उदित राज को टिकट दे दिया. जाहिर है कि अगर गठबंधन नहीं होता तो Arvinder Singh Lovely, अलका लांबा, राजकुमार चौहान, संदीप दीक्षित आदि को भी टिकट मिल गया होता..जाहिर है कि पार्टी चुनाव में भले ही हार जाती पर पार्टी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ जो नरेटिव सेट किया था उस पर कायम तो रहती. अब तो न इधर के रहे ना उधर के.

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