दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal’s का राजनीतिक सफर एक रोमांचक और विवादास्पद कहानी है। वह 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में चल रहे भ्रष्टाचार के विरोधी आंदोलन से राष्ट्रीय स्तर पर उभरे, और पारदर्शी शासन के लिए लड़ने का जुनून लिए आम आदमी पार्टी AAP की स्थापना की। उन्होंने दिल्ली में दो बार सत्ता हासिल की, और पंजाब में भी अपनी पकड़ बनाई। लेकिन उनके राजनीतिक सपनों को एक बड़ा झटका लगा, जब उन पर दिल्ली की नई शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगे, और उनके करीबी सहयोगी गिरफ्तार हो गए। इसके साथ ही, उन पर अपने आवास को 45 करोड़ रुपये में सुधारने के आरोप भी लगे, जिससे उनकी आम आदमी की छवि पर धब्बा लगा। Arvind Kejriwal’s Political Journey
इस वीडियो में, हम Arvind Kejriwal’s और उनकी पार्टी AAP के उतार-चढ़ावों का एक विश्लेषण करेंगे, और यह देखेंगे कि वे 2024 के लोकसभा चुनावों में कैसे अपनी भूमिका निभाएंगे।
नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज।
Arvind Kejriwal’s का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार में हुआ। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई की, और फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हो गए। उन्होंने 2001 में सेवा छोड़ दी, और एक सामाजिक कार्यकर्ता बन गए। उन्होंने पारदर्शिता इंटरनेशनल इंडिया और परिवर्तन के साथ काम किया, और राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निवारण आयोग (Lokpal) के लिए लड़ने वाले अन्ना हजारे के आंदोलन में शामिल हुए।
उन्होंने 2012 में आम आदमी पार्टी AAP की स्थापना की, और दिल्ली में राजनीतिक दलों के बीच एक तीसरा विकल्प बनाने का दावा किया। उन्होंने भ्रष्टाचार, बिजली-पानी के मुद्दे, जनलोकपाल बिल, और दिल्ली के राज्य के अधिकारों को लेकर जनता का समर्थन पाया। उन्होंने 2013 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार विजय गोयल को हराया, और दिल्ली में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। उन्होंने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई,
लेकिन Arvind Kejriwal’s की पहली सरकार ने सिर्फ 49 दिनों में इस्तीफा दे दिया, जब उनका जनलोकपाल बिल विधानसभा में पारित नहीं हुआ। उन्होंने फिर से चुनाव लड़ने का फैसला किया, और 2015 में दिल्ली में ऐतिहासिक जीत हासिल की। उन्होंने 70 सीटों में से 67 सीटें जीती, और भाजपा को सिर्फ तीन सीटें मिली। उन्होंने अपनी दूसरी सरकार का शपथ ग्रहण किया, और दिल्ली के विकास के लिए कई योजनाओं को शुरू किया।
उन्होंने बिजली-पानी के बिलों में कटौती की, मुफ्त बस यात्रा और वाई-फाई सुविधा शुरू की, मोहल्ला क्लिनिक और स्कूलों में सुधार किया, और ऑड-इवन योजना के जरिए वायु प्रदूषण को कम करने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी पार्टी को देशभर में फैलाने का भी प्रयास किया, और पंजाब, गोवा, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में चुनाव लड़े। लेकिन उन्हें इन राज्यों में बड़ी सफलता नहीं मिली, और उन्हें सिर्फ पंजाब में 20 सीटें मिलीं।
उनकी सरकार ने केंद्र सरकार और दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) के साथ कई बार टकराव किया, और दिल्ली के राज्य के अधिकारों को लेकर अदालतों में लड़ाई की। उन्होंने अपने मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई को राजनीतिक बदले की साजिश कहा, और केंद्र सरकार को दिल्ली के विकास को रोकने का आरोप लगाया।
2022 में, उन्होंने पंजाब में चुनाव जीता, और भागवंत सिंह मान को मुख्यमंत्री बनाया। यह उनकी पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि वह पंजाब के बाहर का पहला राज्य था, जहां उन्होंने सत्ता हासिल की। उन्होंने अपनी पार्टी को एक राष्ट्रीय दल के रूप में स्थापित करने का दावा किया, और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने आप को एक प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया।
लेकिन 2023 में, उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जो उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया। उनकी सरकार ने दिल्ली में शराब की बिक्री को बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई, जिसमें शराब की दुकानों को नीलामी के जरिए बेचने का प्रावधान था। इस नीति को लागू करने के लिए, उन्होंने एक नया निगम, दिल्ली शराब निगम लिमिटेड (DSCL) बनाया, जिसका नेतृत्व उनके करीबी सहयोगी मनीष सिसोदिया ने किया।
लेकिन इस नीति को लागू करने के दौरान, कई अनियमितताओं और घोटालों का पता चला। एक रिपोर्ट के अनुसार, DSCL ने शराब की दुकानों को नीलामी के जरिए बेचने के लिए एक अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया, जिससे नीलामी की प्रक्रिया में इस धांधली का पता चलने पर, दिल्ली पुलिस ने आर्थिक अपराध शाखा की मदद से मामले की जांच शुरू की, और कई शराब कारोबारियों, डीएससीएल के अधिकारियों, और आम आदमी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार किया। उनमें से एक थे समीर महेंद्रू, जिन्हें शराब के लाइसेंस देने में घूस लेने का आरोप लगा था। उनके बयान से पता चला कि वह मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया था, और उन्हें इसके बदले में 10 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।
इसके बाद, दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई को मामले की जांच के लिए हस्तक्षेप करने का आदेश दिया, और सीबीआई ने मनीष सिसोदिया, समीर महेंद्रू, और अन्य लोगों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की। सीबीआई की एफआईआर के आधार पर, ईडी ने भी मामले में मुकदमा दर्ज किया, और उनके पास की जाएदादों, बैंक खातों, और डिजिटल डिवाइसों को जब्त किया।
ईडी और सीबीआई ने मामले की जांच के दौरान कई आम आदमी पार्टी के नेताओं से पूछताछ की, जिनमें संजय सिंह, राघव चड्ढा, अतिशी मार्लेना, और गोपाल राय शामिल थे। उन्हें इस बात का जवाब देने के लिए कहा गया कि उन्होंने इस घोटाले में किस प्रकार की भूमिका निभाई, और उन्हें इसके लिए कितना लाभ मिला। ईडी और सीबीआई ने उनके घरों और कार्यालयों पर छापेमारी भी की, और कई दस्तावेजों, वीडियो, और ऑडियो क्लिप्स को बरामद किया।
इन सबके बीच, अरविंद केजरीवाल ने अपनी नीति और नेताओं को बचाने के लिए कई बार मीडिया के सामने आए, और अपने आरोपियों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि यह सब केंद्र सरकार की साजिश है, जो उनकी लोकप्रियता को कम करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी नई शराब नीति ने दिल्ली के लोगों को सस्ती और अच्छी शराब उपलब्ध कराई है, और शराब की कालाबाजारी और अवैध ठेकों को खत्म किया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने शराब की बिक्री से राज्य की आय में बढ़ोतरी की है, और उसका उपयोग दिल्ली के विकास में किया है।
उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वे इन आरोपों से भ्रमित न हों, और उनके साथ खड़े रहें। उन्होंने कहा कि वे इन आरोपों का मुकाबला करेंगे, और अपनी बेगुनाही साबित करेंगे। उन्होंने कहा कि वे 2024 के लोकसभा चुनावों में भी अपनी पार्टी को लड़ाएंगे, और देश को एक नई दिशा देंगे।
आपको बता दे कि Arvind Kejriwal’s और उनकी पार्टी AAP का राजनीतिक सफर एक उतार-चढ़ाव भरा रहा है। वे भ्रष्टाचार के विरोधी के रूप में शुरू हुए, लेकिन बाद में खुद भ्रष्टाचार के आरोपी बन गए।
आम आदमी पार्टी और केजरीवाल दिल्ली में तीन बार की सरकार बनाने का कारनामा करने वालो में आते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उनकी उपस्थिति अभी भी कमजोर है। वे पंजाब, गोवा, गुजरात, उत्तराखंड, और अन्य राज्यों में अपना क्षेत्र बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें वहां बीजेपी, कांग्रेस, और अन्य क्षेत्रीय दलों का मुकाबला करना पड़ रहा है।
केजरीवाल अपनी नीतियों और कार्यों के आधार पर लोगों से जुड़ाव का दावा करते हैं, लेकिन उन्हें अक्सर विपक्ष और केंद्र सरकार से टकराव का सामना करना पड़ता है। वे अपने आप को एक विकल्प के रूप में पेश करते हैं, लेकिन उन्हें अपनी पार्टी को एक गठबंधन के रूप में स्थापित करने की चुनौती भी है।
2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी भूमिका बढ़ाने की योजना Arvind Kejriwal’s बना रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने आरोपों से बचने और अपनी इमेज को साफ करने के लिए भी काम करना होगा। वे अपने नेतृत्व, संगठन, और विचारधारा को मजबूत करने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने विरोधियों और प्रतिद्वंद्वियों को भी नजरंदाज नहीं करना चाहिए।
Arvind Kejriwal’s और AAP का भविष्य इन सब बातों पर निर्भर करेगा कि वे कैसे अपने लक्ष्यों को पूरा करते हैं, और कैसे अपने समर्थकों का विश्वास बनाए रखते हैं और अपनी जीत का परचम लहराते है।
तो, आज के लिए इतना ही। मिलते है फिर नई जानकारी के साथ। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज।