“Prosecution Approval Against Arundhati Roy and Dr. Sheikh Shokat Hussain by Delhi’s Lieutenant Governor: A Deep Insight | AIRR News”

HomeBlog “Prosecution Approval Against Arundhati Roy and Dr. Sheikh Shokat Hussain by Delhi’s...

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

Extra : Delhi, Lieutenant Governor, Arundhati Roy, Dr. Sheikh Shokat Hussain, Prosecution Approval, Deep Insight, Freedom of Expression, Government Control, AIRR News, Political Event,दिल्ली, उपराज्यपाल, अरुंधति रॉय, डॉ. शेख शोकत हुसैन, अभियोजन स्वीकृति, गहन दृष्टिकोण, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सरकारी नियंत्रण, AIRR न्यूज़, राजनीतिक घटनाक्रम-Arundhati Roy latest news

साहित्य और सामाजिक सक्रियता के क्षेत्र में अरुंधति रॉय का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। एक प्रसिद्ध लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता, रॉय ने हमेशा समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी है। डॉ. शेख शोकत हुसैन, केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर के पूर्व प्रोफेसर, भी एक प्रमुख शिक्षाविद और सामाजिक विचारक हैं। इन दोनों व्यक्तियों के खिलाफ दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा अभियोजन स्वीकृति का निर्णय एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जिसने राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में हलचल मचा दी है। क्या यह निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार है, या कानून व्यवस्था बनाए रखने की एक आवश्यक कदम? यह सवाल हमारे सामने है।-Arundhati Roy latest news

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

साल 2010 में, दिल्ली के एलटीजी ऑडिटोरियम, कोपरनिकस मार्ग पर “आजादी – द ओनली वे” के बैनर तले एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में अरुंधति रॉय और डॉ. शेख शोकत हुसैन ने भाषण दिए थे। सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित ने इन भाषणों को उत्तेजक बताते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि इन भाषणों में समाज में विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने और सार्वजनिक शांति को भंग करने की कोशिश की गई थी।-Arundhati Roy latest news

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में पहले आईपीसी की धारा 153A, 153B, 504, 505 और यूएपीए की धारा 13 के तहत अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। अक्टूबर 2022 में, उपराज्यपाल ने केवल आईपीसी की धाराओं के तहत अभियोजन स्वीकृति दी थी। हाल ही में, उन्होंने यूएपीए की धारा 45 के तहत भी अभियोजन स्वीकृति प्रदान की है। यूएपीए की धारा 13 गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा का प्रावधान करती है और इसमें सात साल तक की सजा हो सकती है।

आपको बता दे कि अभियोजन स्वीकृति का अर्थ होता है कि अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकारी अनुमति प्राप्त हो गई है। यह स्वीकृति आवश्यक होती है जब मामला संवेदनशील हो और समाज में संभावित वैमनस्य या अशांति का कारण बन सकता हो। आईपीसी की धारा 153A और 153B समाज में विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एकता को खतरे में डालने के आरोपों से संबंधित हैं। धारा 505 का उद्देश्य जानबूझकर अपमान और शांति भंग करने की नीयत से किए गए कार्यों को नियंत्रित करना है।

वैसे अरुंधति रॉय और डॉ. शेख शोकत हुसैन के समर्थक इस मामले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं। उनका मानना है कि इस प्रकार की कार्रवाइयाँ विचारों की स्वतंत्रता को बाधित करती हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हैं। दूसरी ओर, सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों का तर्क है कि समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसे कदम उठाने आवश्यक हैं।

हालाँकि अरुंधति रॉय ने अपने साहित्यिक करियर में कई विवादास्पद मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी है। उनके लेखन और भाषण अक्सर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर तीखी टिप्पणियाँ करते हैं। “द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स” जैसी उनकी कृतियों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। इसी तरह, डॉ. शेख शोकत हुसैन भी एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद हैं, जिनकी टिप्पणियाँ और विचारधारा समाज में चर्चाओं का विषय बनती रही हैं।

ऐसे में इस मामले का प्रभाव न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भी दिखाई देगा। यह घटना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नागरिक अधिकारों और सरकारी नियंत्रण के बीच संतुलन की महत्वपूर्ण बहस को पुनः जीवित कर सकती है। इसके अलावा, इस मामले का राजनीतिक दलों, मानवाधिकार संगठनों और समाज के विभिन्न समूहों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

बाकि इस प्रकार के मामले हमारे देश में पहले भी घटित हो चुके हैं। उदाहरण के लिए, प्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी का मामला, जिनकी पुस्तक “सैटेनिक वर्सेस” को विभिन्न देशों में प्रतिबंधित किया गया था। इसके अलावा, भारतीय इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं जहाँ विचारों की स्वतंत्रता और सरकारी नियंत्रण के बीच संघर्ष देखने को मिला है। जैसे कि एम.एफ. हुसैन की पेंटिंग्स पर विवाद, तसलीमा नसरीन की किताबों पर प्रतिबंध और तमाम अन्य घटनाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि विचारों की अभिव्यक्ति और सरकारी नियंत्रण के बीच संघर्ष एक पुरानी समस्या है।

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

#sheikh #fazza #faz #team #dubai #sheikhhamdan #hamdan #uae #islam #fazzafans #fazzaofficial #crownprinceofdubai #almaktoum #groupfazza #princeofdubai #princehamdan #gram #instagram #fazzaforum #abudhabi #mydubai #lifestyle #quran #royalfamily #royal #sheikhhamdanbinmohammedbinrashidalmaktoum #instagood #love #pakistan #muslim#airrnews

RATE NOW
wpChatIcon