लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयुक्त Arun Goel ने दिया इस्तीफा, विवादों में रही थी नियुक्ति

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लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग को झटका-“Arun Goel”

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस्तीफा किया स्वीकार

विवादों में रही थी अरुण गोयल की नियुक्ति

चुनाव व्यवस्था का पूरा जिम्मा CEC राजीव कुमार के जिम्मे

लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले एक चौंकाने वाले कदम में, चुनाव आयुक्त Arun Goel” ने इस्तीफा दे दिया है. उनका कार्यकाल 2027 तक था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. निर्वाचन आयोग में पहले से ही चुनाव आयुक्त का एक पद खाली था. चुनाव आयुक्त अनुप चंद्र पांडे इस साल फरवरी में सेवानिवृत्ति हुए थे.

“Arun Goel” के इस्तीफे के बाद अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं. बता दें कि भारतीय निर्वाचन आयोग में चीफ इलेक्शन कमिश्नर के अलावा दो इलेक्शन कमिश्नर होते हैं… अब चुनावी व्यवस्था का पूरा जिम्मा मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के कंधों पर आ गया है. चुनावी तैयारियों के लिए कई राज्यों के दौरे पर “Arun Goel” मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ-साथ रहे. अब उन्होंने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय की इस संबंध में शनिवार को जारी एक गजट अधिसूचना में कहा गया, ‘राष्ट्रपति ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, जो 09 मार्च, 2024 से प्रभावी माना जाएगा’… भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से पहले “Arun Goel” केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव थे. उनकी नियुक्ति विवादों में रही थी और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी…

आपको बता दें कि “Arun Goel” 1985 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं. उन्होंने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और इसके अगले ही दिन उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था. शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा था, ‘आखिरकार किस बात की इतनी जल्दबाजी थी, जो वीआरएस लेने के अगले ही दिन “Arun Goel” को इलेक्शन कमिश्नर पद पर नियुक्ति दे दी गई.

कानून मंत्री ने शॉर्टलिस्ट किए गए नामों की सूची में से चार नाम चुने… फाइल 18 नवंबर को विचार के लिए रखी गई और उसी दिन आगे बढ़ा दी गई. यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री ने भी उसी दिन नाम की सिफारिश कर दी. हम कोई टकराव नहीं चाहते, लेकिन यह सबकुछ बहुत जल्दबाजी में किया गया’

वो 15 महीने इस पद पर रहे. सुप्रीम कोर्ट में फाइल तलब होने के अलावा उनके प्रति कोई विवाद, सरकार या फिर मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ किसी मतभेद की कोई सुगबुगाहट नहीं सुनी गई. पिछले चार साल में अशोक लवासा के बाद ये दूसरे निर्वाचन आयुक्त हैं, जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है.

हालांकि, अशोक लवासा के पद पर रहते मुख्य निर्वाचन आयुक्त और साथी निर्वाचन आयुक्त के साथ उनके मतभेदों के किस्से सार्वजनिक थे. अगस्त 2020 में लवासा ने चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्हें एशियन डेवलपमेंट बैंक के उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया. पिछले महीने चर्चा थी कि सरकार निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नए कानून का प्रयोग कर सकती है.

लेकिन प्रक्रिया किन्हीं कारणवश आगे नहीं बढ़ पाई. बता दें कि नए कानून में सीजेआई को निर्वाचन आयुक्तों का चयन करने वाली समिति में नहीं रखा गया है… अब सवाल ये है कि इस्तीफे के बाद पूरा जिम्मा मुख्य चुनाव आयुक्त के कंधे पर आ गया है ..लोकसभा चुनाव के लिए महज कुछ हफ्ते का ही वक्त बचा है ऐसे में थोड़ी दिक्कत तो जरूर होगी..

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