ऐसा लगता है कि वे रामोजी के उत्तराधिकारियों को जवाबदेह ठहराने या तो उन्हें जेल भेजकर या फिर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए भारी जुर्माना भरवाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
शुक्रवार को तेलंगाना उच्च न्यायालय में पेश किए गए हलफनामे में वुंडावल्ली ने तर्क दिया कि मार्गदर्शी फाइनेंसर्स और उसके हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) द्वारा अवैध जमा संग्रह को केवल इसलिए माफ नहीं किया जा सकता कि रामोजी राव का निधन हो गया है।
पिछली आंध्र प्रदेश सरकार ने दायर की थी एसएलपी
उन्होंने बताया कि पिछली आंध्र प्रदेश सरकार ने मार्गदर्शी की अवैध गतिविधियों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी।
हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की मौजूदा राज्य सरकारें वित्तीय संस्थान को बचाने का प्रयास कर रही हैं। वुंडावल्ली ने न्यायालय से इस मामले में आरबीआई को प्रतिवादी के रूप में शामिल करने का आग्रह किया तथा इस बात पर जोर दिया कि मार्गदर्शी के जमा संग्रह की वैधता निर्धारित की जानी चाहिए।
उन्होंने पीठ को याद दिलाया कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले मार्गदर्शी को एक अवैध इकाई घोषित किया था तथा आरबीआई ने पुष्टि की थी कि उसके जमा संग्रह अवैध थे। उन्होंने चेतावनी दी कि अब सख्त कार्रवाई न करने से भविष्य के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम होगी।
पूर्व सांसद ने जोर देकर कहा कि मार्गदर्शी के एचयूएफ सदस्यों को रामोजी राव की वित्तीय अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने मार्गदर्शी द्वारा 28 जनवरी को प्रस्तुत हलफनामे को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि केवल रामोजी राव ही जिम्मेदार थे तथा उनके परिवार के सदस्यों की इसमें कोई संलिप्तता नहीं थी।
न्यायमूर्ति विश्वजीत कोशी तथा कलसिकम सुजाना की तेलंगाना उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। वुंडावल्ली ने आगे तर्क दिया कि मार्गदर्शी फाइनेंसर्स आरबीआई, केंद्र सरकार या राज्य सरकारों से मंजूरी के बिना काम करते थे और मनमाने तरीके से जमा राशि एकत्र करते थे।
उन्होंने दावा किया कि पीडि़त रामोजी राव के अत्यधिक प्रभाव और मीडिया साम्राज्य के कारण उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने में झिझकते थे। यहां तक कि जब शिकायत दर्ज की गई, तब भी उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया।
रामोजी राव के निधन के बाद भी, वुंडावल्ली ने जोर देकर कहा कि उनके वित्तीय कदाचार से लाभ उठाने वाले लोग जवाबदेह बने रहेंगे। उन्होंने तर्क दिया कि अगर कोई पिता बैंक से ऋण लेता है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो भी दायित्व उसके परिवार के सदस्यों पर ही पड़ता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार कार्रवाई करने में विफल रहती है, तो यह और अधिक अवैध वित्तपोषकों को प्रोत्साहित करेगा, जो देश की वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करेगा।