Analyzing the Political Deadlock between Trinamool Congress and Congress in India
भारत में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच राजनीतिक गतिरोध का विश्लेषण
“इंडिया गठबंधन के प्रमुख सदस्य Trinamool Congress और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनावों के लिए सीटों के बांटवारे को लेकर एक दूसरे के आमने सामने है । इस तल्खी का क्या परिणाम होगा? क्या यह भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगा? या क्या यह कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण होगा? आज की इस वीडियो में हम इन सवालों का उत्तर ढूंढ़ने का प्रयास करेंगे। तो बने रहिए हमारे साथ, नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़।”
भारतीय राजनीति में रोज नए नए घटनाक्रम हो रहे है, और एक ताजा मौड़ इंडिया गठबंधन के लिए बुरी खबर की तरह है जहा लोकसभा चुनावों के लिए इंडिया गठबंधन के प्रमुख सदस्य Trinamool Congress और कांग्रेस के बीच सीटों के बटवारे को लेकर गतिरोध आ गया है। आपको बता दे कि कांग्रेस के पश्चिम बंगाल यूनिट के एक सदस्य ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर संभावित गठबंधन के खिलाफ कुछ कारणों की सूची दी है।
INC के कौस्तुभ बागची ने खड़गे को लिखे पत्र में तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन समाप्त करने के लिए कहा है। अपने लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि “अगर कांग्रेस Trinamool Congress के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश करती है, तो हमें तृणमूल नेताओं पर लगे सभी भ्रष्टाचार के मामलो की जिम्मेदारी भी लेनी पड़ेगी, जिसके खिलाफ कांग्रेस ने हमेशा से लड़ाई लड़ी है।”
आगे उन्होंने कहा “देश के बाकी हिस्सों के विपरीत, पश्चिम बंगाल में, राजनीति तृणमूल कांग्रेस के चारों ओर घूमती है। भाजपा ने हाल ही में यहाँ पर अपना मत प्रतिशत बढ़ाया है, इस संदर्भ में, अगर हम तृणमूल के साथ गठबंधन बनाते हैं, तो भाजपा अपने मतों का हिस्सा बढ़ा देगी, जो तृणमूल कांग्रेस का एकमात्र विपक्ष होगा और कांग्रेस के लिए 2026 के विधानसभा चुनावों में वापस आने का कोई भी मौका नहीं होगा,” उन्होंने लिखा।
इसके अलावा कौस्तुभ बागची ने एक और मुद्दा उठाया जिसमें तृणमूल कांग्रेस द्वारा कांग्रेस नेताओं को लगातार कठघरे में लाना शामिल है। उन्होंने कहा, राज्य में पार्टी को इस आरोप ने ज्यादा प्रभावित किया है । यह KCR शासन के तहत तेलंगाना की स्थिति और AAP के तहत दिल्ली और पंजाब की स्थिति के समान है। इसलिए, सामान्य कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक तृणमूल कांग्रेस को एक योग्य और भरोसेमंद सहयोगी नहीं मानते। आपको बता दे कि ममता बनर्जी को बंगाल में एक अन्यायी और क्रूर शासक माना जाता है, जो विरोधी को दबाने के लिए हिंसात्मक उपायों का उपयोग करती है,” उन्होंने कहा।
आपको बता दे कि इसी मुद्दे पर कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी पार्टी को तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन के खिलाफ चेतावनी दी है।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में नौ लोकसभा सीटों की मांग की है। तृणमूल ने दो सीटें प्रस्तावित की हैं।
आपको याद होगा कि पिछले कई सालो से तृणमूल कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते आये है जिनके खिलाफ कांग्रेस ने हमेशा से लड़ाई लड़ी है। यदि कांग्रेस इस पार्टी के साथ गठबंधन करती है, तो उसे इन आरोपों की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। साथ ही वेस्ट बंगाल में भाजपा ने हाल ही में वोट शेयर बढ़ाया है क्योंकि कांग्रेस को तृणमूल कांग्रेस के प्रति बहुत नरम माना जाता है। यदि कांग्रेस इस समय तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करती है, तो भाजपा अपना वोट शेयर बढ़ाएगी, जिससे कांग्रेस को 2026 के विधानसभा चुनावों में वापस आने की कोई उम्मीद नहीं रह जाएगी।
इन सभी कारणों कि वजह से कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन को चुनौती दी है ।
अब ये तो आने वाले समय में साफ़ हो जायेगा कि ये गठबंधन आगे कायम रहता है या नहीं। फ़िलहाल सिर्फ अटकलों का बाजार गर्म है।
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