अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवार निक्की हेली ने हाल ही में एक इंटरव्यू में भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों के बारे में कुछ चौंकाने वाले बयान दिए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत अमेरिका के साथ एक साथी बनना चाहता है, लेकिन अभी तक वह अमेरिकियों के नेतृत्व करने पर भरोसा नहीं करता है। उन्होंने ये भी कहा है कि Bharat ने वर्तमान वैश्विक परिस्थिति में समझदारी से काम किया है और रूस के करीब रहा है, क्योंकि वहां से उसे अपने सैन्य उपकरण मिलते हैं। उन्होंने ये भी दावा किया है कि चीन आर्थिक रूप से अच्छा नहीं कर रहा है और अमेरिका के साथ युद्ध की तैयारी कर रहा है। इस वीडियो में, हम उनके बयानों और नजरिये को देखेंगे कि ये भारत-अमेरिका-रूस ट्रायंगल को कैसे प्रभावित करते हैं। हम ये भी जानेंगे कि भारत और चीन के बीच के आर्थिक Competition में कौन आगे है और कौन पीछे। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।
निक्की हेली के बयानों को दो भागों में बांटा जा सकता है। एक तो भारत और अमेरिका के बीच के सामरिक सहयोग का, और दूसरा चीन के खिलाफ अमेरिका के रुख का।
पहले बात करते है भारत और अमेरिका के सम्बन्धो पर। दोनों देशो के बीच सामरिक सहयोग का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है, क्योंकि दोनों देशों के बीच कई विषयों पर मतभेद हैं। भारत अपनी नीतियों में आत्मनिर्भरता और बहुपक्षीयता को बनाए रखना चाहता है, जबकि अमेरिका अपने साथियों से एकजुटता और वफादारी की उम्मीद करता है। भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को सुधारने का प्रयास कर रहा है, जिनमें रूस, ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं, जबकि अमेरिका इन देशों के साथ अपने रिश्तों को तनावपूर्ण बनाए हुए है। भारत अपने आर्थिक और व्यापारिक हितों को सुरक्षित करने के लिए विश्व व्यापार संगठन और राष्ट्रमंडल जैसे बहुपक्षीय संगठनों का समर्थन करता है।
इन सभी मतभेदों के बावजूद, भारत और अमेरिका के बीच के सामरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। दोनों देशों ने चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने, शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए एक दूसरे का समर्थन किया है। भारत और अमेरिका ने आपसी रक्षा और व्यापार के समझौतों को तेज किया है, जिनमें बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन अग्रीमेंट, कॉम्यूनिकेशन कम्पेटेंस एंड सिक्योरिटी अग्रीमेंट, इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी एनेक्स और लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ अग्रीमेंट शामिल हैं। इन समझौतों के तहत, दोनों देशों के सैनिकों को एक दूसरे के आधारों, संचार, जानकारी और लॉजिस्टिक्स का उपयोग करने की अनुमति मिलती है।
भारत और अमेरिका ने अपने सामरिक सहयोग को और भी मजबूत करने के लिए क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग क्वाड के माध्यम से जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर काम किया है। क्वाड एक अनौपचारिक संगठन है, जिसका उद्देश्य इंडो-प्रशांत क्षेत्र में विश्वव्यापी नियमों के आधार पर व्यवस्था को बढ़ावा देना है। क्वाड ने हाल ही में अपनी पहली शिखर बैठक की, जिसमें चीन के खिलाफ एक साझा रुख बनाया गया और कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, टेक्नोलॉजी, शिक्षा, स्वास्थ्य, आतंकवाद और विकास के मुद्दों पर सहयोग का वादा किया गया।
इस प्रकार, निक्की हेली का दावा कि भारत अमेरिका को नेतृत्व करने पर भरोसा नहीं करता है, वास्तविकता से मेल नहीं खाता है। भारत ने अपने स्वार्थों के अनुसार अपने संबंधों को निभाया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह अमेरिका के साथ एक साथी नहीं है। भारत ने अमेरिका के साथ अपने सामरिक सहयोग को गहराया है और चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर एक दूसरे का साथ दिया है।
वही दूसरी तरफ चीन के खिलाफ अमेरिका के रुख का मुद्दा भी निक्की हेली के बयानों में शामिल है। उन्होंने कहा है कि चीन आर्थिक रूप से अच्छा नहीं कर रहा है और अमेरिका के साथ युद्ध की तैयारी कर रहा है। यह बयान भी अधिकांशतः अतिशयोक्ति और अफवाह पर आधारित माना जा है।
चीन ने कोविड-19 महामारी के बाद अपनी आर्थिक व्यवस्था को तेजी से पुनर्जीवन किया है और 2023 में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई है। चीन ने अपने आंतरिक बाजार को मजबूत किया है और अपने विदेशी व्यापार को बढ़ाया है। चीन ने अपने राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपने राजकीय नियंत्रण को बढ़ाया है और अपने नागरिकों को और अधिक अधिकार और सुविधाएं देने का प्रयास किया है। चीन ने अपनी टेक्नोलॉजी, शिक्षा, विज्ञान, अंतरिक्ष, सैन्य और नौसेना को आधुनिक बनाने के लिए निवेश किया है। चीन ने अपने विश्वव्यापी प्रभाव को बढ़ाने के लिए वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) जैसी पहलों को शुरू किया है।
इसका मतलब यह नहीं है कि चीन अमेरिका के साथ युद्ध करने की तैयारी कर रहा है। चीन ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए अपने सीमा विवादों को हल करने का प्रयास किया है। चीन ने अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ाया है। चीन ने विश्व स्तर पर जिम्मेदारी लेने का भी दावा किया है।
इसका मतलब यह भी नहीं है कि चीन अमेरिका के साथ शांतिपूर्ण रूप से रहना चाहता है। चीन ने अमेरिका के वैश्विक नेतृत्व को चुनौती दी है। चीन ने अमेरिका के साथ व्यापार, टेक्नोलॉजी, मानवाधिकार, तिब्बत, ताइवान, हांगकांग, दक्षिण चीन सागर और कोरिया जैसे मुद्दों पर अपना विरोध जताया है। साथ ही चीन ने अमेरिका के साथी देशों के साथ भी अपने रिश्तों को बिगाड़ने का प्रयास किया है।
इस प्रकार, निक्की हेली का दावा कि चीन आर्थिक रूप से अच्छा नहीं कर रहा है और अमेरिका के साथ युद्ध की तैयारी कर रहा है, अधूरा और भ्रामक है। चीन ने अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए अपनी नीतियों को बदला है। चीन ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए अपने सैन्य और नौसेना को आधुनिक बनाया है। चीन ने अपने विश्वव्यापी प्रभाव को बढ़ाने के लिए अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग किया है। लेकिन चीन ने अमेरिका के साथ अपने तनाव और टकराव को बढ़ाया है। चीन ने अमेरिका के वैश्विक नेतृत्व को चुनौती दी है।
आपको बता दे कि भारत और चीन दोनों ही विश्व के सबसे बड़े आबादी वाले और तेजी से विकास करने वाले देश हैं। दोनों देशों के बीच के आर्थिक मुकाबले का विश्लेषण करने के लिए, हम उनके जीडीपी, व्यापार, निवेश, टेक्नोलॉजी, शिक्षा और विकास के कुछ मापदंडों को देखेंगे।
सबसे पहले हम बात करेंगे जीडीपी की तो चीन विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है, जिसकी जीडीपी 2023 में 15.42 ट्रिलियन डॉलर थी। भारत विश्व की पांचवां सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है, जिसकी जीडीपी 2023 में 3.05 ट्रिलियन डॉलर थी। चीन की जीडीपी भारत की जीडीपी से लगभग पांच गुना ज्यादा है।
वही व्यापार की बात करे तो चीन विश्व की सबसे बड़ा व्यापारिक शक्ति है, जिसका व्यापार 2023 में 5.64 ट्रिलियन डॉलर था। भारत विश्व का छठावां सबसे बड़ी व्यापारिक शक्ति है। भारत का व्यापार 2023 में 1.5 ट्रिलियन डॉलर था। इसके बावजूद, भारत ने अपने व्यापार को विस्तारित करने के लिए कई प्रयास किए हैं, जिसमें नए उद्योगों का समर्थन, निर्यात की प्रोत्साहन योजनाएं, और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कड़ाई से काम करना शामिल है। इन प्रयासों के बावजूद, भारत को अपने व्यापार को और अधिक विस्तारित करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उच्च कर दरें, अनिश्चित राजनीतिक माहौल, और अवश्यकता से अधिक नियामकीय बाधाएं शामिल हैं।
इसके अलावा, भारत और चीन दोनों ही देश अपने आर्थिक और व्यापारिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नई नीतियां और योजनाएं लागू कर रहे हैं। चीन ने अपनी उद्योगिक नीतियों, विदेशी निवेश, और विश्व व्यापार में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए विशेष ध्यान दिया है। वहीं, भारत ने अपने डिजिटल अर्थव्यवस्था, उद्यमशीलता, और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया है।
फिर भी, दोनों देशों को अपने आर्थिक और व्यापारिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चीन को अपने उद्योगों के विकास, प्रदूषण नियंत्रण, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों के साथ समन्वय करने की चुनौती है। वहीं, भारत को अपने निर्यात को बढ़ाने, उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने, और डिजिटल अर्थव्यवस्था को विस्तारित करने में चुनौतियाँ हैं।
इस प्रकार, भारत और चीन दोनों ही अपने आर्थिक और व्यापारिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियां और योजनाएं लागू कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
तो ये थी हमारी आज की खास पेशकश, हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी।
अगली वीडियो में, हम भारत सरकार द्वारा उत्पादन लिंक प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत की गई प्रतिबद्धताओं के बारे में चर्चा करेंगे। हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि क्या वास्तव में 7 लाख नौकरियां पैदा की गई हैं? PLI योजना के लिए आवंटन में हुई वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ा है? और इस योजना के जरिए भारत सरकार ने अपने आर्थिक लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया है?
इन सवालों के उत्तर और अधिक जानकारी के लिए, हमारी अगली वीडियो देखना न भूलें।
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