जेल में बंदAmritpal Singh कर रहा चुनाव लड़ने की तैयारी, ISI लिंक आया सामने

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खालिस्तान समर्थक अमृतपाल संधू फिर चर्चा में-Amritpal Singh news upadte

खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ सकता है संधू

असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है अमृतपाल

राजनीतिक एंट्री पर उठ रहे हैं सवाल

ISI से संबंध को लेकर भी चर्चा में अमृतपाल 

खालिस्तान समर्थक Amritpal Singh संधू एक बार फिर चर्चा में है. अमृतपाल की मां बलविंदर कौर ने पंजाब की खडूर साहिब सीट से बेटे के लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है… अमृतपाल एनएसए के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है और हाल ही में पंजाब सरकार ने उसकी एनएसए कस्टडी को एक साल और बढ़ा दिया है. इस बीच, अमृतपाल के चुनावी मैदान में उतरने की खबरों से सियासत भी गरमा गई है. कट्टरपंथी विचारधारा के साथ चुनावी राजनीति में एंट्री करने के दावे से सवाल उठाए जा रहे हैं. -Amritpal Singh news upadte

हालांकि, इससे परिवार चिंतित नहीं है. क्योंकि अमृतपाल पहले ही कट्टरवाद और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से लिंक होने के आरोपों से विवादों में घिरा रहा है. फिलहाल, खालिस्तानी समर्थक को अब भारतीय संविधान के दायरे में रहकर चुनावी लड़ाई लड़ना होगी..  पंजाब में कुल 13 लोकसभा सीटें हैं. सभी सीटों पर सातवें चरण में 1 जून को मतदान होना है. खडूर साहिब सीट को शिरोमणि अकाली दल का गढ़ माना जाता है. 1992 से इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल का दबदबा देखने को मिलता रहा है. -Amritpal Singh news upadte

हालांकि, 2019 के चुनावों में शिरोमणि अकाली दल को झटका लगा और कांग्रेस उम्मीदवार जसबीर सिंह डिंपा ने जीत हासिल की थी. इस बार चुनाव में शिरोमणि अकाली दल  ने यहां से पूर्व विधायक विरसा सिंह वल्टोगा को उम्मीदवार बनाया है. इस बीच, कांग्रेस ने पूर्व विधायक कुलबीर सिंह जीरा को अपना दावेदार बनाया है… वहीं पंजाब सरकार ने अमृतपाल की एनएसए कस्टडी बढ़ाने का आधार भी बताया है. सरकार ने अमृतपाल को डिब्रूगढ़ की सेंट्रल जेल में कैद के दौरान अवैध गतिविधियों में कथित संलिप्तता का हवाला दिया है. -Amritpal Singh news upadte

सरकार ने कहा कि विध्वंसक घटनाओं को अंजाम देने के कथित उद्देश्य के साथ वो भारत और विदेश में अपने सहयोगियों के साथ संपर्क में था. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, खालिस्तानी संगठन वारिस पंजाब दे के मुखिया Amritpal Singh का पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से संबंध है. अजनाला थाने में बवाल की घटना के बाद वो पंजाब की राजनीति में अचानक चर्चा में आया. उसे अप्रैल 2023 में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था, तब से वो एनएसए के आरोप में असम की सेंट्रल जेल में बंद चल रहा है…

सुरक्षा हलकों में इस बात पर बहस चल रही है कि क्या ऐसी साख वाले व्यक्ति को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए? लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी अपराध के दोषी व्यक्तियों और दो साल या उससे ज्यादा जेल की सजा पाने वाला व्यक्ति संसद या विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकता है और ना उसे सदस्यता के लिए मनोनीत किया जा सकता है. हालांकि, यह अधिनियम विचाराधीन कैदियों को चुनाव में हिस्सा लेने से नहीं रोकता है… जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथियों के चुनाव लड़ने पर कहा, अमृतपाल ISI का एक गुर्गा है जो भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और उसे राजनीतिक सत्ता में आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

मेरा मानना है कि चुनाव आयोग को ऐसे व्यक्तियों को इलेक्शन लड़ने से रोकने के लिए एक सिस्टम पर काम करना चाहिए. उसके ISI से लिंक के संबंध में पर्याप्त सबूत हैं. वो पॉलिटिकल पावर हासिल करने की कोशिश कर रहा है. Amritpal Singh के संदर्भ में कहेंगे कि ISI का एक तिल भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और वो खालिस्तान की एक लॉबी का हिस्सा है…

दूसरी तरफ पंजाब के पूर्व डीजीपी शशिकांत ने कहा, खडूर साहिब सीट हमेशा कट्टरपंथ समर्थक रही है और ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोग अमृतपाल के लिए काम कर रहे हैं. शशिकांत कहते हैं, मुझे नहीं लगता कि इसका कोई असर होने वाला है. गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे लोग भी हो सकते हैं, जो उनका समर्थन कर सकते हैं. सुरक्षा एजेंसियों के चिंतित होने की संभावना है. पुलिस में हमें सबसे निचले स्तर की स्थिति को संभावना के रूप में देखने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. सिमरनजीत सिंह मान जैसे अन्य लोग भी हैं,

जिन्होंने जीत हासिल की है. लेकिन इसका कोई बड़ा असर नहीं होगा. Amritpal Singh एक दशक दुबई में रहने के बाद साल 2022 में पंजाब लौटा था. उस समय अभिनेता और एक्टिविस्ट दीप सिद्धू की हादसे में मौत हो गई थी और उनके संगठन वारिस पंजाब डे को वारिस की तलाश थी. अमृतपाल ने इस संगठन की बागडोर संभाली और आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के नक्शेकदम पर चलने लगा. उसने खालिस्तानी विचारधारा का प्रचार करने के लिए सोशल मीडिया और पंजाब के गुरुद्वारों में भाषण देना शुरू कर दिया. विवादित भाषणों से अचानक चर्चा में आ गया

अमृतपाल की खुफिया और कस्टडी रिपोर्ट से पता चलता है कि उसने ISI गुर्गों के साथ अपने नजदीकी संबंध बनाए रखे. उसके साथ जुड़े पेशेवरों और विदेश स्थित खालिस्तान समर्थकों के बीच बैठकें हुईं. कथित तौर पर ISI द्वारा आयोजित इन बातचीत को अमृतपाल की रिहाई के बाद भारत को अस्थिर करने की एक व्यापक साजिश के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. इसके अलावा, हाल के खुलासे से संकेत मिलता है कि अमृतपाल से जुड़े व्यक्तियों ने पाकिस्तान में ISI वर्कर्स से हथियार मांगे हैं, जो अमृतपाल और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के बीच निरंतर संबंध की तरफ इशारा कर रहे हैं…

वहीं सरकार ने कहा कि इस खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है कि हिरासत से रिहा होने पर अमृतपाल ऐसी गतिविधियों में शामिल हो जाएगा और राज्य की सुरक्षा के लिए चुनौती पैदा कर सकता है. सेंट्रल जेल डिब्रूगढ़ में हिरासत के दौरान ISI के साथ उसने संपर्क किया है. अमृतपाल के कहने पर ISI से निर्देश लेने के लिए उसके पेशेवर साथियों ने पाकिस्तान का दौरा किया. ये पेशेवर इन एनएसए बंदियों के साथ करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं और सभी हिरासत अवधि के दौरान लगातार उनके संपर्क में रहे हैं. यह पता चला है कि जनवरी 2024 में अमृतपाल के समर्थक पाकिस्तान स्थित ISI गुर्गों के संपर्क में हैं और सरकारी कार्रवाई का बदला लेने के लिए हथियारों की तलाश कर रहे हैं…  ऐसी ही और खबरों के लिए जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ….

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