नाटो की एशिया में भी पैर जमाने की तैयारी, खुलकर खेल रहा है अमेरिका

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रूस यूक्रेन जंग के बीच अब बाइडेन और पुतिन आमने सामने आ चुके हैं…महाविध्वंस का मानो ऐलान हो चुका है…विश्वयुद्ध का बिगुल बज चुका है…जिसकी इबारत खुद बाइडेन ने लिखी है…रूस का पड़ोसी देश फिनलैंड पिछले साल ही नाटो का मेंबर बन चुका था…और अब स्वीडन के शामिल होने के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाला ये परिवार और बड़ा हो गया है…जो रूस की पेशानी पर बल ला रहा है…स्वीडन को नाटो की मेंबरशिप मिल चुकी है…नाटो में एंट्री का विरोध कर रहे हंगरी ने अपना वीटो हटा लिया था…तुर्किए से पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी…ऐसे में अब नाटो देशों में एक नए सदस्य की एंट्री हो चुकी है और सदस्यता लेने वाला स्वीडन नाटो का 32वां देश बन चुका है…-America – also in Asia

भले ही अमेरिका के नेतृत्व वाला नाटो परिवार बड़ा हो गया है…ये अब 32 देशों का कुनबा हो गया है जो एक ही सुरक्षा नीति के तहत काम करेंगे…एक दूसरे की सुरक्षा को और मजबूत करेंगे लेकिन अमेरिका इतने पर ही नहीं रुकने वाला…वो इस परिवार को और बड़ा करने की तैयारी कर रहा है…इसमें जापान और कनाडा जैसे देशों को शामिल करने की चाहत पाले बैठा है…जिसके लिए अमेरिका और ब्रिटेन ‘एशियाई नाटो’ का विस्तार करने के लिए दौड़ रहे हैं…-America – also in Asia

नाटो के विस्तार को लेकर क्या है अमेरिका की चाहत…आक्रमण में आज हम इसपर विस्तार से चर्चा करेंगे लेकिन उससे पहले आप ये जान लीजिए कि ‘एशियाई नाटो’ क्या है और AUKUS इसके लिए कैसे काम करेगा…AUKUS ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी है…15 सितंबर 2021 को घोषित इस साझेदारी में अमेरिका और ब्रिटेन परमाणु-संचालित पनडुब्बियों को प्राप्त करने में ऑस्ट्रेलिया की सहायता करेंगे…

इसी AUKUS के तहत अमेरिका ‘एशियाई नाटो’ को मजबूत करना चाहता है…जापान जैसे देश को शामिल करना चाहता है…कनाडा को भी नाटो का हिस्सा बनाना चाहता है…जो दुनिया भर में कई कोनों में छिड़ी जंगी ज्वाला को और भड़काएगा…जो हमेशा से अमेरिका चाहता है…वाशिंगटन कथित तौर पर डोनाल्ड ट्रम्प की सत्ता में संभावित वापसी से पहले AUKUS समझौते में नए सदस्यों को लाना चाहता है इसको लेकर एक बड़ी रिपोर्ट सामने आई है…

कनाडा और जापान साल के अंत तक AUKUS सुरक्षा साझेदारी में अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में शामिल हो सकते हैं…व्हाइट हाउस नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव से पहले यह सौदा करना चाहता है, जिसमें अलगाववादी डोनाल्ड ट्रम्प की कार्यालय में वापसी हो सकती है…ट्रम्प वर्तमान में बाइडेन को चुनौती देने के लिए संभावित रिपब्लिकन उम्मीदवार हैं और अधिकांश चुनावों में सत्ताधारी दल पर मामूली बढ़त रखते हैं…ट्रम्प का अमेरिकी अलगाववाद इंडो-पैसिफिक के लिए खतरा है…और अगर वो जीतते हैं तो बाइडेन के एशियाई-नाटो प्लान पर पानी फिरना तय है…रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि कनाडा और जापान AUKUS समझौते के ‘स्तंभ 2’ में शामिल हो सकते हैं, जिसके तहत वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और हाइपरसोनिक मिसाइलों जैसी उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी विकसित करने पर संस्थापक सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग करेंगे…जो दुश्मन देशों के खिलाफ रणनीति बनाने में काफी मदद करेगा…

अमेरिका और ब्रिटेन परमाणु-संचालित पनडुब्बियों को प्राप्त करने में ऑस्ट्रेलिया की सहायता करेंगे…

क्या ‘एशियाई नाटो’ से भारत की शांति को भी खतरा है? 

 ‘एशियाई नाटो’ से अमेरिका को क्या बड़ा फायदा हो सकका है?

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