बीएसपी के नेता Afzal Ansari, जो उत्तर प्रदेश की गाजीपुर सीट से लोकसभा में चुने गए थे। उन्हें 2007 में एक गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी पाया गया था और उन्हें सात साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद, उन्हें लोकसभा से निकाल दिया गया था।
लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को शर्तें लगाकर निलंबित कर दिया है और उनके अधिकारों को भी वापस कर दिया है। लेकिन, उनके अधिकारों में कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। उन्हें संसद की कार्यवाही में भाग लेने या वोट डालने का अधिकार नहीं है। उन्हें कोई भी वेतन या भत्ते भी नहीं मिलेंगे।
भारत के लोकतंत्र की नींव है संसद। संसद में जनता के प्रतिनिधि चुने जाते हैं, जो उनके हितों की रक्षा और उनकी आवाज को सुनने का काम करते हैं। लेकिन, क्या होता है जब एक सांसद अपराधी सिद्ध हो जाता है? क्या उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है? क्या उसके निर्वाचन क्षेत्र को एक नया प्रतिनिधि मिलता है? क्या उसके अधिकार और जिम्मेदारियां बदल जाती हैं? इन सवालों के जवाब मिलेंगे आपको इस वीडियो में।
नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज।
अफजल अंसारी का नाम उनके भाई मुख्तार अंसारी के साथ जुड़ा हुआ है, जो उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता माने जाते हैं। मुख्तार अंसारी को कई अपराधों में दोषी पाया गया है, जिनमें से कुछ हैं- विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी नंदकिशोर रूंगटा का अपहरण, भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या, बॉम्ब ब्लास्ट और अन्य गुंडागर्दी के मामले। मुख्तार अंसारी को इन मामलों में गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया था और उन्हें कई सालों की सजा सुनाई गई थी।
आपको बता दे कि, अफजल अंसारी भी अपने भाई के साथ इन मामलों में शामिल होने का आरोपी हैं। उन्हें भी 2007 में एक गैंगस्टर एक्ट के मामले में दोषी पाया गया था और उन्हें सात साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद, उन्हें लोकसभा से निकाल दिया गया था। लेकिन, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने की याचिका दायर की और राहुल गांधी के मामले का हवाला देकर अपने निर्वाचन क्षेत्र को प्रतिनिधित्वविहीन न होने की गुहार लगाई।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को अफजल अंसारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी दोषसिद्धि को शर्तें लगाकर निलंबित कर दिया और उनके अधिकारों को भी वापस कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को 30 जून 2024 तक अफजल अंसारी के मामले की सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने का आदेश दिया। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने अफजल अंसारी को कुछ शर्तों के साथ लोकसभा सदस्यता बहाल करने की अनुमति दी। उन्हें संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वोट डालने का अधिकार नहीं है। उन्हें कोई भी वेतन या भत्ते भी नहीं मिलेंगे।
यह फैसला राजनीति में एक नया मोड़ लाया है। इससे कई सवाल उठते हैं, जैसे- क्या एक दोषी सांसद को लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था में जगह मिलनी चाहिए?
क्या इससे संसद की गरिमा पर प्रभाव पड़ता है?
क्या इससे जनता का विश्वास घटता है?
क्या इससे अपराधी नेताओं को बढ़ावा मिलता है?
क्या इससे न्याय की प्रक्रिया में देरी होती है?
क्या इससे अन्य दोषी सांसदों को भी राहत मिल सकती है?
इन सवालों का उत्तर ढूंढने के लिए हमें इस मामले की पृष्ठभूमि, विधान, न्यायालय की तर्क, राजनीतिक प्रतिक्रिया और सामाजिक प्रभाव को विस्तार से जानना होगा।
अफजल अंसारी और उनके भाई मुख्तार अंसारी का नाम उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी पुराना है। दोनों भाई वरिष्ठ नेता और बाहुबली माने जाते हैं। उनके खिलाफ कई अपराधों के मामले दर्ज हैं, जिनमें से कुछ गंभीर भी हैं। उन्हें विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी नंदकिशोर रूंगटा का अपहरण, भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या, बॉम्ब ब्लास्ट और अन्य गुंडागर्दी के मामले में आरोपी हैं।
इन मामलों में से एक मामला 2005 का है, जब भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानंद राय की गाड़ी पर अंसारी बंधुओं के लोगों ने गोलियां बरसाईं और उन्हें और उनके चार साथियों को मौके पर ही मार डाला। इस मामले में अंसारी बंधुओं के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले की सुनवाई गाजीपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही थी।
इसी दौरान, 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने अफजल अंसारी को गाजीपुर सीट से टिकट दिया था। अफजल ने तब केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को हरा कर संसद में जगह बनाई। लेकिन, उनकी खुशी ज्यादा दिन नहीं चली। 29 अप्रैल 2023 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें गैंगस्टर एक्ट के मामले में दोषी पाया और उन्हें चार साल की सजा और एक लाख का जुर्माना सुनाया। इसके बाद, उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई।
अफजल अंसारी ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। उन्होंने अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने और अपनी सांसदी जाना बहाल करने की मांग की। उन्होंने अपनी याचिका में राहुल गांधी के मामले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि को निलंबित कर दिया था। उन्होंने कहा कि अगर उनकी दोषसिद्धि को निलंबित नहीं किया जाता तो उनके निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व खत्म हो जाएगा।
उन्होंने ये भी दावा किया कि उनके खिलाफ लगे आरोप झूठे और राजनीतिक रूप से रचे गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें निर्दोष साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें संसद की विभिन्न समितियों में भाग लेने का अधिकार है और उनकी सांसद निधि का विकास कार्यों में उपयोग करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को अफजल अंसारी की याचिका पर सुनवाई की। उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को ये बताया कि अफजल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराने का कोई वैध आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगे आरोपों का कोई सबूत नहीं है और उन्हें गवाहों के बयानों पर ही दोषी करार दिया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने का एक ही मामला है, जो है राहुल गांधी का मामला।
सिंघवी ने ये भी कहा कि अफजल अंसारी की दोषसिद्धि को निलंबित करने से लोकतंत्र की गरिमा और जनता का विश्वास बना रहेगा। उन्होंने कहा कि अफजल अंसारी ने जनता का वोट प्राप्त करके संसद में जगह बनाई है और उनका निर्वाचन क्षेत्र उनके प्रतिनिधित्व का हक़दार है। उन्होंने कहा कि अफजल अंसारी ने संसद की कई समितियों में भाग लिया है और उनकी सांसद निधि का विकास कार्यों में उपयोग किया है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2:1 के बहुमत से अफजल अंसारी की याचिका को मंजूर कर दिया। बेंच ने कहा कि अफजल अंसारी की दोषसिद्धि को निलंबित करने में कोई आपत्ति नहीं है। बेंच ने ये भी कहा कि अफजल अंसारी को कुछ शर्तों के साथ लोकसभा सदस्यता बहाल करने की अनुमति दी जाए। उन्हें संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वोट डालने का अधिकार नहीं है। उन्हें कोई भी वेतन या भत्ते भी नहीं मिलेंगे।
बेंच ने ये भी कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को 30 जून 2024 तक अफजल अंसारी के मामले की सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने का आदेश दिया। बेंच ने कहा कि अफजल अंसारी को न्याय दिलाने के लिए इस तारीख से पहले कोई देरी नहीं होनी चाहिए।
आपको बता दे कि, ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण और विवादास्पद फैसला है, जिसका राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में कई प्रभाव पड़ सकते हैं। इस फैसले को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है। कुछ लोग इसे लोकतंत्र की जीत का उदाहरण मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे गैंगस्टर एक्ट की दुरुपयोग का परिणाम समझते हैं।
इस फैसले के बाद, अफजल अंसारी का मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में चलेगा, जहां उनकी दोषसिद्धि की चुनौती दी गई है। इस मामले में अगली सुनवाई 30 जून 2024 को होगी। तब तक, अफजल अंसारी को अपनी सांसदी जाना बहाल रहेगी, लेकिन उन्हें कुछ शर्तों का पालन करना होगा।
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