Adani Group, LIC, and Hindenburg Report: The Controversial Investment of 2023 and the First Scandal in the History

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Adani Group, LIC, and Hindenburg Report: The Controversial Investment of 2023 and the First Scandal in the History

अदानी ग्रुप, एलआईसी और हिंडनबर्ग रिपोर्ट: 2023 का विवादास्पद निवेश और इतिहास का पहला घोटाला

क्या 2023  में भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा अडानी ग्रुप में इन्वेस्टमेंट का खुलासा करने वाली  हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने भारतीय इतिहास में हुए भारतीय जीवन बीमा निगम के घोटाले को उजागर किया था या ऐसा घोटाला पहले भी हुआ था ?

क्या उस घोटाले के आरोपियों को सज़ा हुई या सत्ता पक्ष की तरफ से उन्हें बचाया गया ?

2023 में एक खुलासा हुआ Adani Group और LIC के बीच में  हुए निवेश के बारे में जिसने पुरे सत्ता पक्ष और विपक्ष को हिला के रख दिया था आइये जानते है विस्तार से। 

मार्च 2023 में, Adani Group और Life Insurance Corporation of India, यानी LIC, के खिलाफ कुछ आरोप लगाए गए थे। अमेरिका की Hindenburg Research ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें Adani Group को अपने शेयर के मूल्य में हेरफेर करने का आरोप लगाया गया था।

Hindenburg Research की रिपोर्ट के बाद, Adani Group की कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली, जिससे उनकी संपत्ति में काफी कमी आई. इसके बावजूद, Adani Group ने इन आरोपों को खारिज किया और अपनी बेदाग छवि को बरकरार रखने का प्रयास किया। 

बावजूद इसके , तमाम आरोपों के बाद भी LIC ने 2023 की मार्च तिमाही के दौरान Adani Group की चार कंपनियों  जैसे  Adani Green Energy, Adani Total Gas, Adani Enterprises, और Adani Transmission में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई। 

बाकि ये अकेला आरोप नहीं था इसके बाद Organised Crime and Corruption Reporting Project, यानी OCCRP, ने भी रिपोर्ट की थी कि Adani Group के कुछ सार्वजनिक रूप से व्यापार योग्य शेयरों में “अस्पष्ट” मॉरीशस फंड्स के माध्यम से लाखों डॉलर निवेश किए गए थे।

ये फंड्स ने Adani परिवार के व्यापारी साझेदारों की शामिल होने की जानकारी को छिपाने का आरोप लगाया गया था।

इन सभी घटनाओं के बाद,  विपक्षी दलों ने एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की जांच या सुप्रीम कोर्ट द्वारा निगरानी वाली जांच की मांग की थी. इस मामले में अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। 

ये तो आप सभी जानते है लेकिन अब हम आपको बताने वाले है आज़ाद भारत के इतिहास की सबसे पहले धोखागढ़ी की जिसे सुनकर आपको भी लगेगा की ये कहानी तो अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों से मिलती हुई सी लग रही है।  

यक़ीनन मामला बिलकुल एक सा ही है लेकिन एक में सत्ता पक्ष की तरफ से ही आरोप लगे और सरकार द्वारा उन्हें सज़ा भी दी गयी। 

वो साल था 1958  जब संसद में उस समय के सांसद और खुद नेहरू के दामाद ने ही अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था तो अब बताते है क्या था मामला  !

यह घोटाला आजाद भारत का पहला बड़ा वित्तीय घोटाला था, जिसमें एक कोलकाता के एक व्यापारी हरिदास मुंधरा ने सरकारी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को अपनी छह घाटे में चल रही कंपनियों के शेयरों में 1.26 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए दबाव डाला। इस घोटाले को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दामाद और कांग्रेस के सांसद फिरोज गांधी ने संसद में उठाया और इसकी जांच के लिए एक आयोग की नियुक्ति की। इस घोटाले के नतीजे में वित्त मंत्री टी.टी. कृष्णमाचारी ने इस्तीफा दे दिया और मुंधरा को 22 साल की सजा हुई।

आइए इस घोटाले को और अधिक गहराई से समझने के लिए इसके पीछे की कहानी को देखें।

इस घोटाले का प्रारंभ :  हरिदास मुंधरा ने एक बल्ब विक्रेता के रूप में अपना जीवन शुरू किया था, लेकिन दिमाग से तेज हरिदास ने धंधे की बारीकियों को समझते हुए सबसे पहले उसने अपने धंधे को तेजी से बढ़ाया और साथ ही कई सारी छोटी-छोटी कंपनियों के शेयर खरीदकर एक साथ उन्हें बेचकर फिर खुद ही खरीदकर उनकी कीमतों को बढ़ाने और अफवाहों के जरिए बाजार को ठगने में माहिर हो गया।

 उसने इस तरह से अपने व्यापार को 40 मिलियन रुपये (उस समय के अनुसार 10 मिलियन डॉलर) का बना लिया था।

 लेकिन 1950 के मध्य में, उसका व्यापार टूटने लगा, और ज्यादातर कारोबारियों को उसके बारे में पता चलने लगा तो लोगो ने इसके लिए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में उसकी शिकायत की जिसके बाद 1956 में जाँच के बाद उसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने जाली शेयर बेचने के लिए दोषी पाया था। 

घोटाले का अंजाम: इस दोषार्पण के बाद 1957 में, मुंधरा ने एलआईसी को अपनी छह घाटे में चल रही कंपनियों के शेयरों में 1.26 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए मजबूर किया, जिनमें उसने बहुत सारे शेयर रखे थे और उन्हें बाजार में ठगने के लिए उपयोग किया था।

ये कंपनियां थीं: रिचर्डसन क्रुडास, जेसोप्स एंड कंपनी, स्मिथ स्टेनिस्ट्रीट, ओस्लर लैंप्स, एग्नेलो ब्रदर्स और ब्रिटिश इंडिया कॉर्पोरेशन। 

यह निवेश सरकारी दबाव के कारण और एलआईसी की निवेश समिति की परामर्श के बिना किया गया था, जिसे इस फैसले के बाद ही जनता के सामने रखा गया था , बता दे की इस निवेश से एलआईसी ने अधिकांश पैसे खो दिए और LIC को वित्तीय घाटा हुआ जिसका खियाज़ा LIC के पालिसी धारको को हुआ। 

अब बताते है की इस घोटाले का खुलासा कैसे हुआ , इस घोटाले को 1958 में फिरोज गांधी ने उजागर किया, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सांसद थे, और रायबरेली सीट से संसद में प्रतिनिधित्व करते थे। उस समय जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, और फिरोज उनकी बेटी इंदिरा गांधी से शादी शुदा थे। नेहरू, जो शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता थे। 

फिरोज गांधी ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए एलआईसी के अधिकारियों, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और मुंधरा के खातों के बैंक रिकॉर्ड्स की नकल प्रस्तुत की। उन्होंने यह भी दावा किया कि वित्त मंत्री टी.टी. कृष्णमाचारी ने इस घोटाले में भाग लिया था, और उन्होंने उनके इस्तीफे की मांग की। 

नेहरू ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, एक आयोग की नियुक्ति की, जिसे चुनाव आयुक्त और पूर्व मुख्य न्यायाधीष महादेव रंजन चगला ने अध्यक्षित किया। 

चगला आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मुंधरा को घोटाले का मुख्य दोषी पाया, और उसे शेयरों की खरीद और बिक्री के लिए दोषी पाया। 

आयोग ने यह भी पाया कि वित्त मंत्री टी.टी. कृष्णमाचारी ने एलआईसी को इस निवेश के लिए दबाव डाला था, और इसमें उनका खुद का भी वित्तीय लाभ था , इसके बाद आयोग ने उनके इस्तीफे की सिफारिश की थी।  

चगला आयोग की रिपोर्ट के बाद, वित्त मंत्री टी.टी. कृष्णमाचारी ने खुद ही अपना पद छोड़ दिया, और उनकी जगह मोरारजी देसाई ने पदभार संभाला , 

इस घोटाले के लिए मुंधरा को 22 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन वह 1963 में जमानत पर रिहा हो गया। इसके बाद 1970 में लंदन में उनकी मौत हो गई। 

फिरोज गांधी को इस घोटाले को उजागर करने के लिए देश का नायक माना गया था , लेकिन वह 1960 में ही अचानक हार्ट अटैक से मर गए। इस घोटाले ने नेहरू की छवि को भी प्रभावित किया, और उनके शासन के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों को बढ़ाया। 

भारतीय इतिहास में ऐसे घोटाले को एक काले धब्बे के रूप में याद किया जाता है।

आपने यहाँ तक पूरी वीडियो को देखा इसके लिए आपका धन्यवाद् , इस घोटाले से जुडी अगर आपकी भी कोई जानकारी है या हमरी इस रिपोर्ट में कुछ खामिया आपको लगती है तो इस बारे में कमैंट्स सेक्शन में जरूर बताये ताकि आने वाली किसी भी वीडियो में ऐसी गलतिया  न हो या कुछ अतिरिक्त जानकारिया जोड़ी जा सके। 

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 अगली वीडियो में फिर आपसे मिलते है तब तक के लिए जुड़े रहिये AIRR न्यूज़ के साथ। 

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