महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता और राज्य के पूर्व मंत्री आरिफ नासीम खान ने पार्टी उम्मीदवारों के तीसरे, चौथे और पांचवें चरण के प्रचार से खुद को अलग करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि कांग्रेस गठबंधन ने राज्य में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है।-Aarif Khan – Resignation
ऐसे में क्या महाराष्ट्र में मुसलमानों को राजनीति में कमतर आंका जा रहा है?
क्या अन्य राज्यों की तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस भी मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन खो रही है ? और क्या एमवीए गठबंधन मुस्लिमों के साथ भेदभाव कर रहा है? आइये इन सभी सवालो का जवाब ढूंढते है हमारी आज कि खास वीडियो में। नमस्कार, आप देख रहे है AIRR न्यूज़। -Aarif Khan – Resignation
महाराष्ट्र कांग्रेस के भीतर विवाद जारी है, क्योंकि कुछ नेता पार्टी छोड़ रहे हैं और ‘मुस्लिम उदासीनता’ का आरोप लगा रहे हैं। पूर्व मंत्री आरिफ नवाज खान ने महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2024 की अभियान समिति से इस्तीफा दे दिया है और कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना (यूबीटी) गठबंधन पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारने का आरोप लगाया है।
Aarif Khan ने अपने पत्र में लिखा, “मेरे पास मुसलमानों को कोई जवाब नहीं है…” उन्होंने कहा कि राज्य भर से कई मुस्लिम संगठनों, नेताओं और कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि कांग्रेस कम से कम एक मुस्लिम उम्मीदवार को नामित करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने गठबंधन पर “अनुचित निर्णय” लेने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें “मुसलमानों और अन्य मुस्लिम संगठनों का सामना करने में शर्म” आएगी।
आपको बता दे कि महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय की उपेक्षा का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले कांग्रेस नेता बाबा सिद्दीकी ने भी इसी तरह का आरोप लगाते हुए कहा था कि कांग्रेस मुस्लिम नेताओं के साथ “कढ़ी पत्ते” की तरह व्यवहार करती है, केवल स्वाद के लिए।
बाकि Aarif Khan का इस्तीफा महाराष्ट्र कांग्रेस में मुस्लिम समुदाय की कमतर उपस्थिति के खिलाफ विरोध का ताजा उदाहरण है। इससे पहले बाबा सिद्दीकी के इस्तीफे ने मुस्लिम वोटों को लेकर पार्टी के भीतर चिंता जताई थी। इस मामले पर मुस्लिम वोटर काउंसिल ऑफ इंडिया ने खड़गे, शरद पवार और उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है।
वैसे Aarif Khan के इस्तीफे से महाराष्ट्र में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। यह पार्टी के भीतर जारी असंतोष और मुस्लिम मतदाताओं के बीच बढ़ते अलगाव को उजागर करता है। कांग्रेस को मुस्लिम वोटों को वापस जीतने के लिए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा, अन्यथा उसे राज्य में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।
हालाँकि मुस्लिम समुदाय की उपेक्षा का आरोप कांग्रेस की एक पुरानी समस्या रही है। अतीत में, कई मुस्लिम नेताओं ने पार्टी पर उनकी चिंताओं को नजरअंदाज करने और उनके लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं करने का आरोप लगाया है।
महाराष्ट्र में, कांग्रेस का मुस्लिम मतदाताओं के बीच पारंपरिक रूप से मजबूत आधार रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में, पार्टी ने भाजपा और अन्य दलों के सामने अपनी जमीन खो दी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस महाराष्ट्र में केवल एक सीट जीत पाई, जबकि भाजपा ने 23 सीटें जीतीं।
मुस्लिम समुदाय की उपेक्षा के आरोप कांग्रेस को राज्य में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। यदि पार्टी मुस्लिम मतदाताओं को वापस जीतने में विफल रहती है, तो उसे भविष्य के चुनावों में और अधिक नुकसान उठाने का खतरा है।
इसके अलावा, Aarif Khan का इस्तीफा यह भी दर्शाता है कि एमवीए गठबंधन में दरारें पड़ रही हैं। तीनों दल अपने-अपने हितों को लेकर असहमत हैं और इस बात को लेकर तनाव बढ़ रहा है कि आगामी चुनावों में सीटें कैसे साझा की जाएंगी।
यदि एमवीए गठबंधन एकजुट नहीं रहता है, तो इससे कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी सभी को नुकसान पहुंच सकता है। इससे भाजपा को महाराष्ट्र में अपना वर्चस्व और मजबूत करने का मौका मिल सकता है।
बाकि महाराष्ट्र में मुसलमान कुल आबादी का लगभग 12% हैं।
और 2019 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस ने महाराष्ट्र में केवल 17% वोट हासिल किए, जबकि भाजपा को 52% वोट मिले।
इस्सके अलावा हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 65% मुस्लिम मतदाता मानते हैं कि कांग्रेस उनकी चिंताओं को नजरअंदाज करती है।
तो इस तरह हमने जाना कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता Aarif Khan ने कांग्रेस के तीसरे, चौथे और पांचवें चरण के अभियान से खुद को अलग कर लिया है, यह आरोप लगाते हुए कि एमवीए गठबंधन ने राज्य में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को नहीं उतारा है। यह इस्तीफा उस समुदाय के बीच बढ़ते अलगाव को उजागर करता है और कांग्रेस के लिए अपनी राजनीतिक स्थिति बनाए रखने के लिए चिंता का विषय है।
नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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