Aam Aadmi Party: दिल्ली में खोई जमीन वापस पाने के लिए प्लान तैयार, आम आदमी पार्टी शुरू करेगी नया अभियान | Aam Aadmi Party Plan ready launch new campaign to regain lost ground in Delhi Politics and AAP new election strategy

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    वहां आम आदमी पार्टी को या तो हार का सामना करना पड़ा या फिर वोट प्रतिशत बहुत तेजी से घटा है। दिल्ली में दलित वोट चुनावों में निर्णायक माना जाता है। इसलिए अब आम आदमी पार्टी दलितों के बीच फिर से अपनी पकड़ मजबूत बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसी योजना के तहत आम आदमी पार्टी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उन्हें समर्पित एक भव्य कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। जो सभी विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगा।

    2020 की तुलना में इस बार दिल्ली में घटा वोट प्रतिशत

    दरअसल, आम आदमी पार्टी ने 2020 में दिल्ली में एससी आरक्षित सभी 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि इस बार यानी दिल्ली चुनाव 2025 में इनमें से चार सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। ये सीटें भाजपा ने झटक लीं। इसके साथ ही दिल्ली में इस बार जिन सीटों पर दलितों की अच्छी खासी आबादी है।

    उनमें से ज्यादातर सीटों पर आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत भी प्रभावित हुआ है। इसी को लेकर पार्टी एक वैचारिक आउटरीच अभियान शुरू करने की योजना बना रही है। जो डॉ. बीआर अंबेडकर और शहीद भगत सिंह जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों की विरासत पर केंद्रित होगा।

    आम आदमी पार्टी के राज्य संयोजक ने किया ऐलान

    आम आदमी पार्टी के दिल्ली राज्य संयोजक गोपाल राय ने सोमवार को पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद अभियान की घोषणा की। गोपाल राय ने कहा “आप कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को वैचारिक रूप से खुद को मजबूत करना चाहिए और ये कार्यक्रम इसे हासिल करने में मदद करेंगे।

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    दिल्ली चुनाव के बाद यह आम आदमी पार्टी का पहला बड़ा कार्यक्रम होगा, जिसका उद्देश्य दिल्ली इकाई के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को एक साथ लाना है।” गोपाल राय की अध्यक्षता में आयोजित की गई बैठक में मुख्य विंग के पदाधिकारियों, फ्रंटल संगठनों, जिला अध्यक्षों, जिला सचिवों और राज्य सोशल मीडिया इकाई के सदस्यों ने भाग लिया।

    23 मार्च से आम आदमी पार्टी करेगी अभियान की शुरुआत

    आम आदमी पार्टी के दिल्ली राज्य संयोजक गोपाल राय ने बताया “अभियान की शुरुआत 23 मार्च को ‘एक शाम शहीदों के नाम’ कार्यक्रम से होगी। जिसमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को याद किया जाएगा। इसके बाद 14 अप्रैल को बीआर अंबेडकर की जयंती पर एक और कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। पार्टी की योजना इस अभियान को सभी विधानसभा क्षेत्रों में ले जाने की है।” गोपाल राय ने कहा “विभिन्न कार्यक्रमों के ज़रिए हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और समाज सुधारकों के विचार हमारे कार्यकर्ताओं और लोगों दोनों तक पहुंचें।”

    दिल्ली में आम आदमी पार्टी को भारी पड़ी दलितों की नाराजगी

    दरअसल, पिछले कुछ सालों में दिल्ली के दलित मतदाताओं ने चुनावी परिदृश्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है। पहले ये मतदाता कांग्रेस का समर्थन करते थे। बाद में अन्ना आंदोलन के बाद उभरी आम आदमी पार्टी की ओर इनका झुकाव हुआ तो दिल्ली में कांग्रेस का सूफड़ा ही साफ हो गया। इस बार इन्हीं मतदाताओं ने दिल्ली का चुनावी परिदृश्य फिर बदल दिया। इसके चलते मंगोल जैसी सीटों पर भाजपा की जीत के साथ त्रिलोकपुरी, मादीपुर और बवाना में आम आदमी पार्टी के जनाधार में भाजपा ने सेंध लगा दी।

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    इसके अलावा दिल्ली की 36 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 21 सीटें जीत लीं। इन सभी सीटों पर दलित मतदाताओं की संख्या कुल मतदाताओं की 15% से ज्यादा है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने 10 सीटें जीतीं हैं। जहां दलितों की संख्या 20% से ज़्यादा है। इसके अलावा दिल्ली में सात सीटें ऐसी हैं। जहां दलित मतदाताओं की संख्या 25% से ज्यादा है।

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