End of Electoral Bonds: A New Direction for Transparency in Indian Politics | AIRR News 

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सुप्रीम कोर्ट का चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित करना, Politics चंदे में पारदर्शिता की ओर एक कदम-A New Direction for Transparency in Indian Politics news

क्या भारतीय राजनीति में चुनावी चंदे की पारदर्शिता संभव है? क्या सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला Politics दान के क्षेत्र में एक नई शुरुआत करेगा? आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे की वजहें और इसके भारतीय राजनीति पर प्रभावों को। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-A New Direction for Transparency in Indian Politics news 

15 फरवरी, 2024 को, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया। अदालत ने कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है, क्योंकि यह Politics दलों को गुमनाम दान प्राप्त करने की अनुमति देती है। अदालत ने यह भी कहा कि यह योजना Politics दलों को लोगों से योगदान करने के लिए मजबूर करने की अनुमति देती है, और यह “असंवैधानिक, निरापद नहीं” है।

गृह मंत्री अमित शाह का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राजनीति में काले धन के राज को वापस लाएगा। CNN-News18 के ‘राइजिंग भारत समिट’ में बोलते हुए, शाह ने कहा: “सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी नागरिकों पर बाध्यकारी है और मैं चुनावी बांड पर उनके फैसले का सम्मान करता हूँ। लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय है कि बांड ने राजनीति में काले धन को लगभग समाप्त कर दिया था। यही कारण है कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाला पूरा INDIA ब्लॉक बांड के खिलाफ था और वे चाहते थे कि पुरानी प्रणाली एक बार फिर से राजनीति पर शासन करे।”

शाह का यह बयान कि बीजेपी पारदर्शिता में विश्वास करती है, एक महत्वपूर्ण बिंदु है। उन्होंने कहा: “2014 में, बीजेपी को 81 प्रतिशत दान नकद में मिला था जिसमें दाता का नाम नहीं जाना जाता था। 2018 में, यह संख्या घटकर 17 प्रतिशत हो गई। 2023 में, यह केवल 3 प्रतिशत थी। जहां तक गोपनीयता का सवाल है, हमारे पास एक संघीय ढांचा है और हम एक ऐसी स्थिति से बचना चाहते थे जहां एक राज्य सरकार उस व्यक्ति के प्रति प्रतिशोधी हो जाती है जो उन्हें धन नहीं देता है। इसलिए, गोपनीयता खंड को पेश किया गया था। हम पारदर्शिता में विश्वास करते हैं।”

ऐसे में अमित शाह के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी ने चुनावी बांड योजना को एक पारदर्शी प्रणाली के रूप में देखा था, जिससे Politics चंदे में गोपनीयता और निष्पक्षता बनी रहे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस धारणा को चुनौती दी है, यह दर्शाते हुए कि योजना ने वास्तव में Politics दलों को अनाम दान प्राप्त करने की अनुमति दी थी, जिससे Politics चंदे की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से भारतीय राजनीति में चंदे की पारदर्शिता की नई दिशा निर्धारित हो सकती है। यह फैसला Politics दलों को अपने चंदे के स्रोतों को सार्वजनिक करने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे नागरिकों को उनके चुनावी विकल्पों के बारे में अधिक सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

चुनावी बांड योजना के असंवैधानिक घोषित होने से भारतीय राजनीति में एक नई शुरुआत हो सकती है, जहां चंदे की पारदर्शिता और नागरिकों के अधिकारों को प्राथमिकता दी जाएगी। यह फैसला Politics दलों के लिए एक नई चुनौती पेश करता है और उन्हें अपनी वित्तीय प्रथाओं को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए प्रेरित करता है।

हमारी अगली वीडियो में, हम इस फैसले के Politics दलों की रणनीतियों पर प्रभाव और आगामी चुनावों पर इसके संभावित परिणामों की गहराई से चर्चा करेंगे। तो बने रहिए हमारे साथ। नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज।

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