Supreme Court’s Intervention in the Appointment Dispute of Delhi’s Chief Secretary
दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ति विवाद में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
24 नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से कहा कि वे एक साथ बैठकर दिल्ली के मुख्य सचिव के उम्मीदवारों की सूची पर चर्चा करें। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर, 2023 को अगली सुनवाई में केंद्र सरकार को पांच वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सुझाने के लिए कहा गया था, और दिल्ली सरकार को उसी दिन प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया था।
यह निर्णय दिल्ली सरकार के उस दावे के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है, जिसमें कहा गया है कि उनके पास मुख्य अधिकारी का चयन करने का एकमात्र अधिकार है, और केंद्र सरकार की जिद कि, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) अधिनियम २०२३ के बाद ये सारा मामला पूरी तरह से उनके क्षेत्र में है।
केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे इस जटिल मुद्दे को लेकर दिल्ली की सत्ता गरमाई हुई है। जिसके बारे में सबके मन में जिज्ञाषा बानी हुई है की आखिर ये मुद्दा क्या है जिसने अखबारों की सुर्खियों में अपनी जगह बनाई हुई है।
आज की इस वीडियो में हम आपको इसी मुद्दे पर हर अपडेट देंगे जिससे आपके मन में चल रही उथल पुथल को विराम लगेगा
तो चलिए शुरुआत करते है ,
दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ति का विवाद एक बहुत ही जटिल मुद्दा है, जिसमें दिल्ली की शासन व्यवस्था, केंद्र-राज्य संबंध, आईएएस अधिकारियों की भूमिका और न्यायपालिका की भूमिका शामिल हैं।
आपको बता दे की दिल्ली की शासन व्यवस्था अन्य राज्यों से अलग है, क्योंकि दिल्ली एक राजधानी क्षेत्र है, जिसमें केंद्र सरकार का भी अधिकार है। दिल्ली को एक नगर निगम के रूप में शुरू किया गया था, जिसे 1952 में लेजिस्लेटिव असेंबली के साथ बदल दिया गया था। 1966 में, दिल्ली को एक यूनियन टेरिटरी बना दिया गया था, जिसमें एक उपराज्यपाल और एक विधान परिषद थी। 1991 में, दिल्ली को एक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बना दिया गया था, जिसमें एक विधान सभा और एक मुख्यमंत्री था । लेकिन, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला, और कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में केंद्र का प्रभुत्व बना रहा। इन क्षेत्रों में सेवाएं, पुलिस, लैंड और न्यायपालिका शामिल हैं।
दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ति का निर्णय केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है, जबकि दिल्ली सरकार का कहना है कि इसमें उसकी सहमति लेनी चाहिए। इस विवाद की शुरुआत 2015 में हुई, जब दिल्ली सरकार ने शकुंतला गमलिन को अपना मुख्य सचिव नहीं माना, जिसे केंद्र सरकार ने नियुक्त किया था। दिल्ली सरकार ने अपने चयनित मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार को ही मान्यता दी। इसके बाद दोनों सरकारों के बीच कई बार इस मुद्दे पर टकराव हुआ। 2018 में, दिल्ली सरकार ने अनिल बैजल को अपना मुख्य सचिव नहीं माना, जिसे केंद्र सरकार ने नियुक्त किया था। दिल्ली सरकार ने कहा कि बैजल उसके आदेशों का पालन नहीं करता है, और उसने अपने मुख्य सचिव के रूप में परिवेश वर्मा को चुना। इसके बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उसके मंत्रियों ने लगभग एक सप्ताह तक लगातार दिल्ली के एलजी के आवास पर धरना दिया, जिसमें उन्होंने मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए अपनी मांग को रखा। इस धरने के दौरान, दिल्ली सरकार और एलजी के बीच कई बार बातचीत हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इस बीच, दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने केंद्र के द्वारा दिल्ली के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार अधिनियम 2023 के संशोधन को चुनौती दी। इस अधिनियम के तहत, दिल्ली सरकार को “सेवाओं” पर अधिकार से वंचित कर दिया गया है, और इसमें एलजी को दिल्ली सरकार के फैसलों पर प्रभुत्व का अधिकार दिया गया है।
दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ति के इस विवाद ने आईएएस अधिकारियों की भूमिका को भी प्रभावित किया है। दिल्ली सरकार ने अपने चुने हुए मुख्य सचिवों को ही अपने आदेशों का पालन करने के लिए कहा है, जबकि केंद्र ने अपने नियुक्त मुख्य सचिवों को ही अधिकारिक रूप से मान्यता दी है। इससे दिल्ली के आईएएस संघ के सदस्यों को दोनों सरकारों के बीच फंसा हुआ महसूस पाया था , और उन्होंने अपनी आपसी एकता और अखंडता के लिए चिंता को जताया है। दिल्ली के आईएएस संघ ने कहा है कि वे दिल्ली के जनता की सेवा के लिए काम करते हैं, और उन पर किसी भी प्रकार का राजनीतिक दबाव के नहीं रहना चाहिए।
Delhi’s Chief Secretary की नियुक्ति का विवाद न्यायपालिका के सामने भी आया है, जिसने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कई बार हस्तक्षेप किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक समाधान सुझाया है, जिसके तहत दिल्ली एलजी और केंद्र सरकार मुख्य सचिव पद के लिए नामों का एक पैनल प्रस्तावित कर सकते हैं, और दिल्ली सरकार पैनल में से एक नाम चुन सकती है। यह सुझाव दिल्ली सरकार की ओर से दायर एक याचिका में दिया गया था, जिसमें उन्होंने केंद्र के द्वारा दिल्ली के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) अधिनियम 2023 को चुनौती दी थी। इस अधिनियम के तहत, दिल्ली सरकार को “सेवाओं” पर अधिकार से वंचित कर दिया गया है, और इसमें एलजी को दिल्ली सरकार के फैसलों पर अंकुश लगाने का अधिकार दिया गया है।
इस प्रकार, Delhi’s Chief Secretary की नियुक्ति का विवाद एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है, जिसमें दिल्ली की शासन व्यवस्था, केंद्र-राज्य संबंध, आईएएस अधिकारियों की भूमिका और न्यायपालिका की भूमिका शामिल हैं। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए, दोनों सरकारों को एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से बातचीत करनी होगी।
धन्यवाद् !
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