Distribution of Aid Amount During Election Season: A Method of Buying Votes or Issued in Public Interest?
Election Season में सहायता राशि का वितरण: वोट खरीदने का तरीका या जनहित में जारी करने का तरीका?
“क्या आप जानते है कि Election Season में सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली सहायता राशि और उसके वितरण का मुद्दा बहुत ही संवेदनशील होता है। इसे चुनावी उपहार या वोट खरीदने का तरीका माना जाता है, जो लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। “
आखिर क्यों ? Election Season में ये गन्दा खेल खेला जाता है।
ये सब किया जाता है वोटर्स को लुभाने के लिए। लेकिन क्या हो जब इसी मुद्दे पर चुनाव आयोग का रवैया एक मामले में चुप्पी और दूसरे के मामले में नोटिस के रूप में सामने आता है ।
ताज़ा मामलो में एक 15 नवम्बर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के PM किसान सम्मान निधि योजना की 15वीं किस्त, जो 18,000 करोड़ रुपये की थी जिसको देश भर के आठ करोड़ से अधिक किसानों के लिए जारी किया गया था से जुड़ा है।
आपको बता दे कि 15 नवम्बर 2021 से शुरू किये गए ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का आयोजन वीर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित है।
ये दिन खासकर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, ‘बिरसा मुंडा’ की जयंती के रूप में मनाया जाता है। साल 2023 में आयोजन हुए विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यक्रमों, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सामाजिक गतिविधियों के साथ-साथ भगवान बिरसा मुंडा के जन्म स्थान झारखंड के खूंटी के उलिहातु में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए और इन्ही आयोजनों के बीच 15 नम्बर को प्रधानमंत्री ने PM किसान सम्मान निधि के साथ साथ संवेदनशील जनजातीय समूहों के विकास के लिए 24,000 करोड़ रुपये की विकास राशि शामिल थी।
लेकिन, इस PM-किसान योजना के तहत दी गयी राशि पर विपक्ष ने आपत्ति जताई थी , क्योंकि यह पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों के दौरान और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 17 नवम्बर को होने वाले मतदान से ठीक दो दिन पहले की गई थी. इस पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने ट्विटर पर एक पोस्ट में पूछा कि 15वीं किस्त देने में इतनी देरी क्यों हुई. रमेश ने कई पिछली किस्तों, जैसे कि छठी, नौवीं और बारहवीं, का उल्लेख किया, जो अगस्त-नवम्बर अवधि के लिए अगस्त और अक्टूबर में जारी की गई थी।
इस पर चुनाव आयोग ने कोई भी कार्यवाही नहीं की, इसके उलट आयोग ने 25 नवम्बर को तेलंगाना सरकार को अपने कुछ निर्देशों का पालन करने के लिए कहा था। आपको बता दे की चुनाव आयोग ने सोमवार को तेलंगाना सरकार को आदेश दिया है कि वे रबी की रैथु बंधु योजना के तहत मिलने वाली सहायता राशि की किश्त का वितरण तब तक रोक दें जब तक मॉडल आचार संहिता लागू हो। जिसमें नए लाभार्थियों को जोड़ने की अनुमति नहीं थी, कोई प्रचार नहीं करना था और कोई राजनीतिक कार्यकर्ता वितरण में शामिल नहीं होना चाहिए।
आपको बता दे की इसी रविवार को चुनाव आयोग को राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि तेलंगाना के वित्त मंत्री टी. हरीश राव ने “रैथु बंधु योजना के वितरण के बारे में बयान दिए थे, जो मीडिया में व्यापक रूप से सूचित किए गए थे। इस बात को लेकर “चुनाव आयोग ने सोमवार को सीईओ को लिखा कि.”राव जो की बीआरएस पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार हैं और साथ ही पार्टी के स्टार प्रचारक और तेलंगाना के वित्त मंत्री भी हैं, उन्होंने न केवल मॉडल आचार संहिता की धारा VIl में निहित मॉडल आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन किया है, बल्कि उपरोक्त तरीके से योजना के तहत राशि जारी करने का प्रचार करके चुनावी प्रक्रिया में स्तरीय खेल क्षेत्र को भी बाधित किया है। “
“उपरोक्त संदर्भ में मॉडल आचार संहिता के स्पष्ट उल्लंघन और ‘नो ऑब्जेक्शन’ देने के दौरान निर्धारित शर्तों के उल्लंघन के संदर्भ में, आयोग ने निर्देश दिया है कि 25 नवम्बर, 2023 को अपने पत्र के माध्यम से दी गई अनुमति, जिसमें एमसीसी की मुद्रा के दौरान चालू रैथु बंधु योजना के तहत रबी सीजन की किस्त का वितरण की अनुमति दी गई थी, तत्काल प्रभाव से वापस ली जाएगी और तेलंगाना राज्य में मॉडल आचार संहिता के लागू होने तक इस योजना के तहत कोई वितरण नहीं होगा,” चुनाव आयोग ने कहा।
इस प्रकार, चुनाव आयोग के निर्देशों और मॉडल आचार संहिता के प्रावधानों के आलोचनास्पद उल्लंघन के संदर्भ में, यह सवाल उठता है कि क्या चुनावी मौसम में ऐसी सहायता राशियों का वितरण करना उचित है या नहीं। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है की अगर ये अनुचित है तो इस पर मोदी द्वारा दी गयी राशि पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गयी और उचित है तो फिर राव केखिलाफ ये कार्यवाही क्यों ?
इस बात को चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों दोनों को गंभीरता से लेना चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया की गरिमा और निष्पक्षता को बनाए रखा जा सके।
धन्यवाद् !
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