Women’s seat in the election

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Women’s seat in the election

चुनाव में Women’s seat

भारतीय राजनीति में आधी आबादी को पूरा हक अभी भी दूर की कौड़ी है. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने आधी आबादी यानी महिलाओं को टिकट देने में जिस तरह से कंजूसी बरती है, उसे देखकर तो यही लगता है कि नारी शक्ति के दावे अभी चुनावी नारों तक ही सीमित हैं. सूबे की 230 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने लगभग 11 फीसदी टिकट ही महिलाओं को दी है. हालांकि, महिला आरक्षण बिल आने से साल 2029 के लोकसभा चुनाव में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए रिज़र्व हो जाएंगी.17 नवंबर को होने वाले मतदान के पहले चुनाव प्रचार में आधी आबादी का मुद्दा और उनसे जुड़ी योजनाओं का शोर सबसे ज्यादा था. माना जा रहा था कि संसद से महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का बिल पारित होने के बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएंगे. बीजेपी की ‘मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना’ और कांग्रेस की ‘नारी सम्मान योजना’ की ब्रांडिंग बताती है कि इस चुनाव में दोनों ही दलों के लिए महिलाओं के वोट कितने अहम है. लेकिन, वोट के लिए महत्वपूर्ण महिलाएं टिकट हासिल करने के मामले में दोनों ही पार्टियों में हासिये पर रही हैं.यहां बताते चले कि सभी राजनीतिक दलों और निर्दलीय को मिलाकर इस बार सिर्फ 252 महिलाएं चुनाव मैदान में हैं. साल 2018 के चुनावों में 235 महिलाओं को टिकट दिया गया था, जो लगभग 10 प्रतिशत था. इस लिहाज से पांच साल में चुनावों में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ एक फीसदी बढ़ी है.बात कांग्रेस की करें तो, देखा जा सकता है कि उसने 230 विधानसभा सीट के लिए घोषित उम्मीदवारों में सिर्फ 30 महिलाओं को जगह दी है. इस लिहाज से कुल उम्मीदवारों में महिलाओं को सिर्फ 13 फीसदी टिकट मिले हैं. वहीं,सत्तारूढ़ भाजपा की सूची में महिला प्रत्याशियों की संख्या सिर्फ 28 थी, उसमें भी बाद में एक नाम मौसम बिसेन का कट गया. पार्टी ने अंतिम समय में मौसम का टिकट काटकर उनके पिता पुराने धुरंधर गौरीशंकर बिसेन को बालाघाट सीट पर मैदान में उतार दिया. कांग्रेस ने बीजेपी के मुकाबले महिलाओं को तीन टिकट ज्यादा दिया है.

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए पिछले महीने मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया गया था. मतदाता सूची के मुताबिक 29 विधानसभा सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिला वोटर ज्यादा हैं. इसी तरह 7 जिले ऐसे हैं, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के मुकाबले ज्यादा है. दिलचस्प आंकड़ा यह है कि इनमें से 6 जिले आदिवासी बहुल हैं और इनमें गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले यानी बीपीएल राशन कार्ड धारियों की बहुलता है. प्रदेश में कुल 5 करोड़ 61 लाख 36 हजार 229 वोटर हैं. इसमें 2.88 करोड़ पुरुष और 2.72 करोड़ महिला वोटर शामिल हैं.नई लिस्ट में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. अब 1 हजार पुरुषों की तुलना में 945 महिला वोटर हैं, जबकि 2011 में जेंडर रेश्यो 1 हजार पुरुष पर 931 महिलाओं का था. उम्मीदवारों की घोषणा के दौरान बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने टिकटों में महिलाओं की भागीदारी न बढ़ाने को लेकर अपना दुख भी जताया था. अपने एक ट्वीट में उमा भारती ने लिखा, “विधानसभा चुनावों के लिए मध्य प्रदेश की 2 Women’s seat छोड़कर सभी उम्मीदवार घोषित हो गए हैं. सभी को मेरी बधाई एवं शुभकामनाएं. लेकिन मेरी यह बात सच निकली की महिलाओं को और खास कर पिछड़ी जाति की महिलाओं को बिना आरक्षण के सत्ता में उचित भागीदारी संभव नहीं हैं.”

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