UN Security Council के लिए भारत ने पेश की मजबूत दावेदारी, चीन की तिलमिलाहट आई सामने
पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह से भारत ने राजधानी दिल्ली में G20 सम्मेलन का भव्य और सफल आयोजन किया…पूरी दुनिया में जहां इसको लेकर भारत की तारीफ हो रही है वहीं कई मुद्दों पर भारत के प्रयासों का सुपर पावर अमेरिका भी कायल हो गया है…लेकिन पड़ोसी मुल्क चीन तिलमिला उठा है…उसे कतई मंजूर नहीं कि भारत को UN Security Council की स्थाई सदस्यता मिले…क्योंकि चालबाज चीन को भी पता चल गया है कि जिस तरह दुनिया में भारत का परचम लहरा रहा है…वो दिन दूर नहीं जब हिन्दुस्तान सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य होगा…
भारत की अध्यक्षता में दो दिवसीय G20 शिखर सम्मेलन के सबसे अहम फैसले में से एक अफ्रीकी संघ का G20 में शामिल होना था…यानि अब अफ्रीकी यूनियन G20 का स्थाई सदस्य बन चुका है…दूसरा सबसे अहम फैसला नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन पर आम सहमति बनना…यानि ये सम्मेलन G20 के इतिहास का सबसे अहम और अब तक का सबसे बड़ा आयोजन था जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की…
समिट में हिस्सा लेने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों दिल्ली आए थे…वहीं रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन की जगह रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीनी राष्ट्रपति की जगह चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग इस समिट का हिस्सा बने…पुतिन अपनी गिरफ़्तारी के डर से दिल्ली नहीं आए लेकिन जिनपिंग के पास हिन्दुस्तान ना आने का कोई कारण नहीं था बस चीन को ये बात हजम नहीं हो रही थी कि भारत में दुनिया का इतना मान बढ़ रहा है इसलिए जिनपिंग इसके गवाह बनने की हिम्मत नहीं कर पाए…
G20 समिट के समापन के साथ अमेरिका, रूस और फ्रांस सहित दूसरे देशों ने भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक के नतीजों की सराहना की…वहीं समापन सत्र में पीएम मोदी ने अगले G20 सम्मेलन की अध्यक्षता ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा को सौंपी…इसके साथ ही PM मोदी ने UN Security Council सुरक्षा परिषद यानि UNSC के विस्तार और दुनिया की नयी वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए सभी वैश्विक संस्थाओं में सुधारों पर नए सिरे से जोर दिया…
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह जरूरी है कि दुनिया को बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए वैश्विक निकायों और संस्थाओं को आज की वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने चाहिए…उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 51 सदस्यों के साथ हुई थी तो दुनिया अलग थी और अब सदस्य देशों की संख्या लगभग 200 हो गई है…बावजूद इसके UNSC में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं…तब से आज तक दुनिया हर लिहाज से बहुत बदल चुकी है…परिवहन, संचार, स्वास्थ्य, शिक्षा हर क्षेत्र का कायाकल्प हो चुका है…ये नयी वास्तविकताएं हमारी नयी वैश्विक संरचना में प्रतिबिंबित होनी चाहिए…बस PM की इसी बात से चीन चिढ़ गया है…UNSC में भारत की मजबूत दावेदारी उसे रास नहीं आ रही है…जिनपिंग को अपना सिंहासन डोलता हुआ नजर आ रहा है…
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