delhi aiims new breast cancer detection tool now ai and asha workers will work together

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Breast Cancer : ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है. WHO के मुताबिक, साल 2022 में इस कैंसर की वजह से दुनियाभर में 6.70 लाख मौतें हुईं. भारत में भी ब्रेस्ट यानी स्तन कैंसर बड़ा खतरा बना हुआ है. हर साल लाखों महिलाओं को अपना शिकार बना रहा है. ब्रेस्ट कैंसर कभी भी अचानक से नहीं होते हैं.

महिलाओं के शरीर में इनके लक्षण पहले ही नजर आने लगते हैं. लेकिन ज्यादातर महिलाएं इन्हें आम बीमारी समझकर इग्नोर कर देती हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है. हालांकि, अब ब्रेस्ट कैंसर की पहचान आसानी से हो सकेगी. दिल्ली

एम्स (Delhi AIIMS) ने एक ऐसी डिवाइस की खोज की है, जो ब्रेस्ट कैंसर को तुरंत पहचान लेगा. आइए जानते हैं इस नई खोज के बारें में…

ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क फैक्टर्स 

1. हेल्थ एक्सर्ट्स के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर के 85% मामलों में इसका कोई निश्चित कारण नहीं मिला है.

2. प्रेगनेंसी न होना 

3. 30 साल के बाद पहली प्रेगनेंसी होना

4.  तनाव

5. गर्भनिरोधक गोलियां

6.  तंबाकू और अल्कोहल का ज्यादा सेवन

7. फैमिली हिस्ट्री

ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती संकेत

ब्रेस्ट या बगल में गांठ

अंडर आर्म्स में गांठ या दर्द होना

ब्रेस्ट की स्किन में सूजन या लालिया

ब्रेस्ट साइज में बदलाव

ब्रेस्ट या निपल्स में दर्द रहना

निपल्स से ब्लड आना

ब्रेस्ट की स्किन नीचे से सख्त होना

अब तुरंत होगी ब्रेस्ट की पहचान 

दिल्ली एम्स ब्रेस्ट कैंसर की जल्द पहचान के लिए AI टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है. जिसकी मदद से मेमोग्राम जैसे टेस्ट आसानी से हो रहे हैं. ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ताओं की मदद ली जाएगी. ये कार्यकर्ता गांवों, कस्बों में वैक्सीनेशन का काम देखती हैं. वे इन इलाकों में जाकर महिलाओं से ब्रेस्ट कैंसर और इसके लक्षणों पर बातचीत करेंगी. इसके बाद इन महिलाओं का डेटा जमा कर एम्स को जानकारी देंगी. इसी के आधार पर एआई की मदद से ब्रेस्ट कैंसर की जांच की जाएगी. 

ब्रेस्ट कैंसर पहचानने में कैसे काम करेगी AI

दिल्ली एम्स में रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कृतिका ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं की ओर से जो डेटा आएगा, उसकी जांच के लिए एआई दो तरह से मदद करेगा. पहला डेटा पूल और लक्षणों के आधार पर पहचान की जाएगी कि किन महिलाओं को मैमोग्राम की जरूरत है और किन्हें नहीं. दूसरा एआई की मदद से मैमोग्राम होने से कैंसर के छोटे से छोटे लक्षण की भी पहचान हो सकेगी. 

कितनी कारगर दिल्ली एम्स की नई टेक्नोलॉजी

यह एआई मॉडल दिल्ली एम्स, एनसीआई झज्जर और पीजीआई चंडीगढ़ में 5 साल के डेटाबेस स्कैन कर महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान करेगा, जिससे समय पर उसका इलाज हो सकेगा. अभी इस पर काम चल रहा  है, अगर यह सफल रहा तो देश को बड़े स्तर पर इसका फायदा होगा और ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में मदद मिल सकेगी.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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