औरंगजेब की शाही रसोई में गोश्त की जगह बनते थे ये खास शा​काहारी पकवान

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आज भी लोगों में एक आम धारणा है कि मुगल बादशाह गोश्त, चिकन और मछली खाया करते थे। जबकि ठीक इसके विपरीत अकबर, जहांगीर और औरंगजेब आदि मुगल बादशाह साग-सब्जियों को कुछ ज्यादा प्राथमिकता देते थे। इसमें  कोई दो राय नहीं है कि विशाल मुगलिया विरासत को संभालने और शारीरिक ताकत को बनाए रखने के लिए अकबर समय-समय गोश्त खाया करते थे। बावजूद इसके मुगल बादशाह अकबर शुक्रवार, रविवार, महीने की पहली तारीख तथा मार्च और अक्टूबर म​हीने में मांस से परहेज करते थे। बता दें कि उम्र के शुरूआती दौर में वह बेसक मुर्गमुसल्लम का शौकीन था लेकिन मुगलबादशाह बनने के बाद युद्धों में इतना उलझा कि मांस परहेज करना उसकी आदत बन गई।  रुकत-ए-आलमगिरी (औरंगजेब के अपने बेटे को लिखे गए पत्रों की एक किताब) के अनुसार, मुगल बादशाह औरंगजेब को काबुली चना बिरयानी सबसे ज्यादा पंसद थी जिसे चावल, तुलसी, बंगाल चना, सूखे खुबानी, बादाम और दही मिलाकर तैयार किया जाता था। 

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