कांग्रेस के साथ अलायंस पर नहीं बनी बात, AAP ने हरियाणा में उतारे 20 सीटों पर उम्मीदवार, जानिए किसको नुकसान पहुंचाएंगे ये प्रत्याशी?

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AAP fields candidates on 20 seats in Haryana

AAP fields candidates on 20 seats in Haryana हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच अलायंस की बातें चल रही थीं, लेकिन आप की जो मांग थी, उतनी सीटें नहीं मिलने पर समझौता खटाई में पड़ गया और पार्टी ने हरियाणा की 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए।

आम आदमी पार्टी (AAP) ने 9 सितंबर (सोमवार) को आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए 20 निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। यह निर्णय हरियाणा में AAP और कांग्रेस के बीच संभावित अलायंस को जटिल बना सकता है और अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए दो प्रमुख इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों के एक साथ आने की संभावनाओं को समाप्त कर सकता है। 

आम आदमी पार्टी ने जिन 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। उनमें 12 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। नारायणगढ़, असंध, उचाना कलां, समालखा, महम, बादशाहपुर, रोहतक, बादली, बेरी, महेंद्रगढ़, डबवाली और बहादुरगढ़ ये सीटें हैं जहां पर कांग्रेस ने पहले ही अपने प्रत्याशी उतारे हैं.

कांग्रेस ने घोषित किए 41 प्रत्याशियों के नाम

कांग्रेस ने अब तक हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए 41 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसके लिए 5 अक्टूबर को 90 विधायकों का चुनाव होना है. मतों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी.

AAP का प्लान सभी 90 सीटों पर उतारेंगे प्रत्याशी

AAP fields candidates on 20 seats in Haryana AAP हरियाणा के अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने घोषणा के तुरंत बाद कहा कि आम आदमी पार्टी के हरियाणा अध्यक्ष के रूप में, मैं 90 विधानसभा सीटों पर पार्टी के चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा हूं. हमें अभी तक पार्टी हाईकमान से गठबंधन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. अगर शाम तक यह जानकारी नहीं मिलती है, तो हम सभी 90 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर देंगे.

AAP के सीनियर लीडर का कहना है कि इससे यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों दल राज्य में सीट बंटवारे के तहत एक साथ नहीं आ रहे हैं और इसके बजाय पार्टी ने नए विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के लिए संगठनात्मक आधार तैयार करने का विकल्प चुना है, जहां उसे एक ओर अपनी जड़ें जमाने का भरोसा है और दूसरी ओर उन क्षेत्रों में पार्टी को और मजबूत किया जाएगा, जहां पहले से ही उसका कैडर मौजूद है.

दिल्ली और पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में बनाएंगे नेताओं का बफर

पार्टी के सीनियर लीडर ने कहा कि हमारा यह विचार दिल्ली और पंजाब में जिस तरह से हमारे पास नेताओं की फौज खड़ी हो गई है उसी तरह से हरियाणा में भी हमारे पास नेताओं की संख्या काफी अधिक हो जाएगी। दिल्ली और पंजाब दोनों ही राज्यों में पार्टी की सरकारें अच्छी तरह से चल रही हैं। 

हरियाणा में 90 में से 9 सीटें मांग रही थी AAP

AAP शुरू में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे के तहत राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से नौ सीटें मांग रही थी, क्योंकि उसने राज्य की नौ लोकसभा सीटों में से एक – कुरुक्षेत्र पर चुनाव लड़ा था. कहा जाता है कि कांग्रेस AAP को पांच से सात सीटें देने के पक्ष में थी.

BJP को हराने के लिए कांग्रेस के साथ आना चाहती थी AAP

AAP के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी को अलग-थलग करने और हराने के लिए कांग्रेस के साथ आना चाहते हैं, लेकिन अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करना चाहती तो हम क्या कर सकते हैं? सीट बंटवारे पर बातचीत ठप होने के बाद AAP राज्य में 50 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी और उसने घोषणा की कि वह रविवार को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करेगी.

हरियाणा में AAP का खास जनाधार नहीं 

हरियाणा में आम आदमी पार्टी का कांग्रेस के सामने जनाधार काफी कमजोर है, लेकिन इंडिया ब्लॉक का सहयोगी होने की वजह से कांग्रेस कुछ सीटें देने के लिए तैयार थी, लेकिन आम आदमी पार्टी को ज्यादा सीटों की दरकार थी, जिससे यह अलायंस परवान नहीं चढ़ पाया। अब आम आदमी पार्टी ने 20 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। 

कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने पर बढ़ जाता AAP का वोट शेयर

AAP fields candidates on 20 seats in Haryana : अगर आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ समझौता कर लेती तो यह संभव था कि हरियाणा में शायद कांग्रेस की वजह से एक-दो सीटों पर खाता खुल जाता। लेकिन आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए आनन-फानन में प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। लेकिन, इससे कोई खास फायदा होता नहीं दिखाई दे रहा है। 

गौरतलब है कि हरियाणा में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर आम आदमी पार्टी फायदे में रहती, क्योंकि राज्य में बीते 10 साल से भाजपा की सरकार है जिसके खिलाफ जमकर सत्ता विरोधी लहर देखी जा रही है। इसका पूरा फायदा कांग्रेस को मिलता दिखाई दे रहा है। इसलिए कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर आम आदमी पार्टी को पूरा लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन आम आदमी पार्टी ने फैसला लेने में जल्दबाजी कर दी। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों के मैदान में उतरने से कांग्रेस की सेहत पर कोई खास असर होता नहीं दिखाई दे रहा है। 

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