कांग्रेस ने 12 दिन में सैलजा को कैसे मनाया, खड़गे से मिलने पहुंची, जानिए क्या थीं नाराजगी की वजहें

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Congress convinced Selja in 12 days

Congress convinced Selja in 12 days कुमारी सैलजा, हरियाणा कांग्रेस की प्रमुख दलित नेता हैं, जिन्होंने टिकट वितरण में अनदेखी और जातिगत टिप्पणियों के कारण नाराजगी जताई थी। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से बातचीत के बाद, उन्होंने 26 सितंबर से चुनाव प्रचार में शामिल होने का निर्णय लिया। सैलजा का दलित वोट बैंक महत्वपूर्ण है, जिससे कांग्रेस को फायदा हो सकता है। भाजपा उनकी नाराजगी का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। सैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा हाईकमान तय करेगा, जबकि भूपेंद्र हुड्‌डा ने पार्टी के निर्णय प्रक्रिया पर जोर दिया। उनकी सक्रियता चुनाव में महत्वपूर्ण साबित होगी।

कुमारी सैलजा हरियाणा कांग्रेस की एक बड़ी नेता हैं। हाल ही में, उन्होंने अपनी नाराजगी जताई थी, लेकिन अब वे चुनाव प्रचार में शामिल होने जा रही हैं। आइए जानते हैं उनकी नाराजगी के कारण और अब वे क्यों प्रचार कर रही हैं।

टिकट वितरण में अनदेखी

कुमारी सैलजा ने पार्टी से कहा था कि उनके समर्थकों को 30 से 35 सीटें दी जाएं। लेकिन कांग्रेस ने ज्यादातर टिकट भूपेंद्र हुड्‌डा के समर्थकों को दिए। इस कारण सैलजा को केवल 5 सीटें मिलीं। यह बात उन्हें बहुत बुरी लगी।

जातिगत टिप्पणी

कुमारी सैलजा के खिलाफ एक बार जातिगत टिप्पणी की गई थी। यह टिप्पणी उन्हें और उनके समर्थकों को बहुत आहत करने वाली थी। इस पर विरोध भी हुआ था, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई।

गुटबाजी का विवाद

हरियाणा कांग्रेस में दो मुख्य गुट बन गए हैं। एक गुट भूपेंद्र हुड्‌डा का है और दूसरा कुमारी सैलजा का। इन दोनों के बीच तकरार चल रही है, जिससे पार्टी में और भी तनाव बढ़ गया है।

राहुल गांधी का हस्तक्षेप: संदेश का महत्व

कुमारी सैलजा की नाराजगी को कम करने के लिए राहुल गांधी ने उन्हें एक संदेश भेजा। उन्होंने कहा कि सैलजा मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलें। यह मुलाकात उनके लिए महत्वपूर्ण थी।

खड़गे का आश्वासन

खड़गे ने सैलजा को आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री चेहरे पर विचार होगा। इससे सैलजा को एक सकारात्मक संकेत मिला और उन्होंने पार्टी में वापस लौटने का फैसला किया।

प्रचार की शुरुआत: तारीख तय

कुमारी सैलजा ने 26 सितंबर से चुनाव प्रचार शुरू करने का निर्णय लिया है। इस दिन राहुल गांधी उनके समर्थकों के साथ असंध जाएंगे। यह कदम सैलजा का मान रखने के लिए उठाया जा रहा है।

दलितों में महत्वपूर्ण प्रभाव

सैलजा का चुनाव प्रचार में भाग लेना बहुत महत्वपूर्ण है। उनका दलित समुदाय में अच्छा प्रभाव है, और हरियाणा में 21% दलित वोट हैं। इसलिए, उनका सक्रिय होना कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा।

भाजपा की रणनीति: नाराजगी का फायदा

भाजपा कुमारी सैलजा की नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। वे जानते हैं कि सैलजा का दलित वोट बैंक कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भाजपा इस मुद्दे को चुनाव में उठाने की योजना बना रही है।

अमित शाह का बयान

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य भाजपा नेता लगातार इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। उनका उद्देश्य सैलजा की नाराजगी को चुनाव में एक मुद्दा बनाना है।

सैलजा का बयान

कुमारी सैलजा ने कहा है कि उनके पास अभी भी मुख्यमंत्री बनने का मौका है। उन्होंने बताया कि पार्टी में सीएम का चेहरा हाईकमान ही तय करता है। यह बात उनके समर्थकों के लिए आशा की किरण हो सकती है।

टिकट वितरण पर सैलजा की राय

सैलजा ने टिकट वितरण पर कहा कि यह पार्टी का फैसला है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह पार्टी के साथ हैं, लेकिन अपनी स्थिति को भी स्पष्ट किया।

हुड्‌डा का बयान

भूपेंद्र हुड्‌डा ने कहा है कि कांग्रेस में सीएम का चुनाव एक प्रक्रिया के तहत किया जाता है। उन्होंने जोर दिया कि पार्टी ही टिकट बांटती है और यह सभी के लिए बेहतर होता है।

कुमारी सैलजा अब चुनाव प्रचार में शामिल हो रही हैं। उनकी नाराजगी के बावजूद, उनका समर्थन कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होगा। भाजपा इस स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। आगामी चुनाव में सैलजा की भागीदारी का बड़ा महत्व होगा, खासकर दलित वोटरों के लिए।

इस प्रकार, कुमारी सैलजा की कहानी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाती है, जहां एक नेता अपनी नाराजगी को पीछे छोड़कर पार्टी के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लेती है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां इस स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश कर रही हैं। 

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