Summary: दो राज्यों में चुनावों की घोषणा होने और दो राज्यों में तारीखों के ऐलान को लेकर इस समय सियासत काफी गरम है। इसी में उत्तर प्रदेश में उपचुनाव भी होने हैं तो उत्तर प्रदेश कैसे इससे अछूता रह सकता है। -SP Congress Alliance
लोकसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा सीटें जीतकर समाजवादी पार्टी (SP) राष्ट्रीय स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई और वर्तमान में अन्य राज्यों में भी पैठ बनाने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रही है।-SP Congress Alliance
हालांकि, अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी की ये महत्वाकांक्षाएं 37 सांसदों के दम पर एक मुश्किल खड़ी कर सकती है, क्योंकि पार्टी 10 विधानसभा उपचुनावों के लिए इंडिया अलायंस की सहयोगी कांग्रेस के साथ समझौता करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि उनके ज़्यादातर विधायक लोकसभा सांसद बन गए हैं। 2022 में सपा ने इनमें से पांच सीटें जीतीं, भाजपा ने तीन और दो सीटें भाजपा के मौजूदा सहयोगियों ने जीतीं। चुनाव की तारीखों की घोषणा अभी नहीं की गई है।-SP Congress Alliance
कांग्रेस को लगता है कि इस राज्य में उसे फिर से खड़ा होने का मौका मिल सकता है, जहां लोकसभा चुनाव से पहले तक वह सिमटती जा रही थी। वहीं, सपा को उम्मीद है कि वह हरियाणा में भी कुछ सीटें जीत सकती है, जहां 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं।
राजनीति के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस उपचुनाव वाली सीटों को बराबर-बराबर बांटना चाहती है, जबकि सपा सिर्फ खैर और गाजियाबाद की सीट की पेशकश कर रही है। दो साल पहले भाजपा ने इन दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी। खैर में अनूप प्रधान और गाजियाबाद में अतुल गर्ग ने जीत दर्ज की थी।
अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस 2022 में एनडीए द्वारा जीती गई अन्य सीटों पर भी कब्जा चाहती है। फूलपुर में भाजपा ने जीत दर्ज की, मंझवा में निषाद पार्टी ने जीत दर्ज की और मीरापुर में केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने जीत दर्ज की।
सपा का कहना है कि फूलपुर में उसके पास बेहतर मौका है, लेकिन कांग्रेस को भरोसा है कि वह इस क्षेत्र से अपना पुराना नाता फिर से स्थापित कर लेगी, जिसका प्रतिनिधित्व कभी पंडित जवाहरलाल नेहरू और विजय लक्ष्मी पंडित जैसे नेता करते थे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बताया कि हमने पांच सीटों पर चुनाव लड़ने की सिफारिश की है, जो भाजपा और उसके सहयोगियों के पास हैं। बाकी का फैसला पार्टी नेतृत्व को करना है। पार्टी ने जमीनी हकीकत में बदलाव की ओर भी इशारा किया।
कांग्रेस के एक दूसरे नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में बहुत कुछ बदल गया है। हम दलित और ओबीसी वोटों का एक वर्ग वापस लाने में सफल रहे हैं, जो यूपी की राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण हैं और यहां तक कि अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम) भी हमारी ओर देख रहे हैं। भाजपा और सहयोगियों के पास जो सीटें थीं, उन्हें मांगना अनुचित मांग नहीं है।
पार्टी ने जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए इन 10 निर्वाचन क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए अपने समन्वयकों को पहले ही मैदान में भेज दिया है।
सपा के सूत्रों ने कहा कि पार्टी हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन में सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और यूपी में उपचुनाव पार्टी के साथ सौदेबाजी का एक तरीका था। पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि पार्टी यूपी में कांग्रेस को सीटें तभी देगी, जब उसे अन्य राज्यों में बड़ी हिस्सेदारी मिलेगी।
लखनऊ में बुधवार को जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव से आधी-आधी सीटों के बंटवारे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि आधा-आधा तो एक बिस्किट ही हो सकता है। दूसरे राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने की सपा की योजना के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश यादव ने कहा कि सपा का जो सपना है उसके लिए हम धीरे-धीरे काम कर रहे हैं कि सपा कैसे राष्ट्रीय पार्टी बने।
गौरतलब है कि अभी दो राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान का राजनीतिक दलों को बेसब्री से इंतजार है. इन दोनों राज्यों में चुनावों का ऐलान होते ही सियासत और ही गरम हो जाएगी। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के दो विधायक पहले से ही हैं और समाजवादी पार्टी देशभर में इंडिया अलायंस का हिस्सा है तो यह बात जाहिर है कि सपा महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी अपने हिस्से की सीटें मांग सकती है। महाराष्ट्र में सपा विधायक अबू आसिम आजमी पहले ही इस बात के संकेत दे चुके हैं हमारे नेता को अलायंस से कम से कम 12 सीटों की मांग करनी चाहिए। जिन सीटों पर मुस्लिमों की आबादी ज्यादा है वहां पर अबू आसिम आजमी की निगाहें लगी हुई हैं और अलायंस के साथ मिलकर लड़ने पर शायद पार्टी को कई सीटों पर जीत भी मिल जाए। हालांकि, महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी का वजूद महज दो-तीन सीटों पर ही है। इतना जरूर है कि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ने से वोट प्रतिशत बढ़ सकता है जिससे सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनने में मदद मिल सकती है।
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