सीबीआई टीम आरजी कर अस्पताल पहुंची, और सबूत की तलाश में | कोलकाता डॉक्टर रेप मर्डर केस

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इस मामले को सीबीआई को सौंपने से पहले कोलकाता पुलिस ने संजय रॉय नामक आरोपी को गिरफ्तार किया था, लेकिन अब यह प्रश्न उठता है कि संजय रॉय लगभग एक महीने से उस डॉक्टर का पीछा कर रहा था, जो इस वारदात का शिकार बनी।-Kolkata Doctor Rape-Murder Case update

Kolkata Junior Doctor Murder Rape Case :

क्या आरजी कर रेप और मर्डर केस का आरोपी संजय रॉय पिछले एक महीने से वारदात की शिकार डॉक्टर का पीछा कर रहा था? क्या इस मामले में कोई अन्य व्यक्ति भी है जो संजय रॉय के साथ इस भयानक अपराध में शामिल है? सबूतों को नष्ट करने की चर्चाओं के बीच, सीबीआई वर्तमान में इन प्रश्नों के उत्तर की खोज में है। क्योंकि उसे विश्वास है कि इन सवालों की गहराई में जाने के बिना इस चौंकाने वाले और भयावह मामले की जांच पूरी नहीं हो सकती।-Kolkata Doctor Rape-Murder Case update

CBI के सामने बड़े सवाल?
क्या संजय रॉय, जो ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का आरोपी है, लगभग एक महीने से डॉक्टर का पीछा कर रहा था? क्या उसने इस अपराध को अंजाम देने के लिए पूरी योजना बनाई थी और 8 अगस्त को सही समय देखकर हमला किया? क्या इस घटना में संजय के अलावा अन्य लोग भी ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या में शामिल थे?-Kolkata Doctor Rape-Murder Case update

कई दिनों से डॉक्टर का पीछा कर रहा था संजय?
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई की जांच मुख्यतः इसी प्रश्न के चारों ओर केंद्रित है। यद्यपि इस मामले को सीबीआई को सौंपने से पूर्व कोलकाता पुलिस ने संजय रॉय नामक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था, अब यह प्रश्न उठता है कि संजय रॉय लगभग एक महीने से उस डॉक्टर का पीछा कर रहा था, जो इस घटना का शिकार बनी।



वारदात में शामिल हो सकते हैं और भी लोग
इस स्थिति में सीबीआई आरजी कर मेडिकल कॉलेज और उसके आस-पास के क्षेत्रों में स्थापित सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच कर रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या संजय रॉय वास्तव में उस डॉक्टर का पीछा कर रहा था या नहीं। इसके अतिरिक्त, एक प्रश्न अब भी अनसुलझा है कि क्या इस घटना को संजय ने अकेले अंजाम दिया या उसके साथ कोई अन्य व्यक्ति भी शामिल था।

फॉरेंसिक जांच में मिले सबूत

वास्तव में, पीड़ित डॉक्टर की शव से फॉरेंसिक विशेषज्ञों को 151 ग्राम वीर्य प्राप्त हुआ है, जो यह संकेत करता है कि इस घटना में एक से अधिक व्यक्ति शामिल हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, उस प्रशिक्षु डॉक्टर पर बलात्कार के दौरान जिस प्रकार से अत्याचार किया गया और उसके शरीर को जिस हद तक क्षति पहुंचाई गई, वह भी किसी एक व्यक्ति का कार्य प्रतीत नहीं होता। इस स्थिति में यह प्रश्न उठता है कि यदि इस घटना में कोई और शामिल है, तो वह व्यक्ति कौन हो सकता है।

चार डॉक्टरों से पूछताछ

 इस दौरान, सीबीआई ने गुरुवार को चार चिकित्सकों से पूछताछ की। इनमें चेस्ट मेडिसीन विभाग के प्रमुख डॉ. अरुणाभ दत्ता चौधरी, अस्पताल के पूर्व अधिकारी डॉ. संजय वशिष्ठ और फॉरेंसिक मेडिसीन की डॉ. पॉली समद्दार शामिल हैं। स्पष्ट है कि सीबीआई इस मामले के सभी पहलुओं की गहराई से जांच करना चाहती थी। सवाल अस्पताल प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी उठता है।
बढ़ता ही जा रहा है जांच का दायरा
यह प्रश्न उठता है कि यदि यह मामला हत्या का है, तो अस्पताल ने परिवार वालों को इसे आत्महत्या का मामला क्यों बताया? जबकि अस्पताल में एक डॉक्टर की हत्या हुई और पुलिस ने इसे अनैतिक मृत्यु मानकर जांच शुरू की, ऐसा क्यों हुआ? इसके अलावा, क्या घटना के बाद जानबूझकर सबूतों को नष्ट करने का प्रयास किया गया? स्पष्ट है कि सीबीआई की जांच का दायरा वर्तमान में लगातार बढ़ रहा है।
प्राइवेट पार्ट में 151 ग्राम लिक्विड
अखिल भारतीय सरकारी डॉक्टर संघ के अतिरिक्त महासचिव डॉ. सुवर्ण गोस्वामी ने ट्रेनी डॉक्टर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए यह दावा किया है कि यह मामला रेप का नहीं, बल्कि गैंग रेप का है। उनके अनुसार, रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि जूनियर डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट से 151 ग्राम तरल पदार्थ प्राप्त हुआ है। उनका कहना है कि यह तरल पदार्थ मुख्यतः सीमंस है, हालांकि इसमें थोड़ी मात्रा में म्यूकस या अन्य कुछ तत्व भी हो सकते हैं।
रेप या गैंगरेप?
डॉ. सुवर्ण गोस्वामी के अनुसार, जूनियर डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट से 151 ग्राम तरल पदार्थ का मिलना इस बात का संकेत है कि उसके साथ एक से अधिक व्यक्तियों ने बलात्कार किया है। इस प्रकार, यह मामला गैंगरेप का प्रतीत होता है। उन्होंने बताया कि सामान्यतः एक व्यक्ति का सीमन्स लगभग पांच ग्राम होता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सकता कि यह मामला बलात्कार का है या गैंगरेप का, जब तक कि डीएनए रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती। डीएनए परीक्षण के माध्यम से ही यह निर्धारित किया जा सकेगा कि जूनियर डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट से प्राप्त सीमन्स किसी एक व्यक्ति के हैं या एक से अधिक व्यक्तियों के।
सबूतों को मिटाने की साजिश
डॉ. सुवर्ण गोस्वामी ने जूनियर डॉक्टर के शरीर पर पाए गए घावों का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस प्रकार और जिस ताकत से जूनियर डॉक्टर पर हमला किया गया, वह किसी एक व्यक्ति का कार्य प्रतीत नहीं होता। इस बीच, जब मामला सीबीआई को सौंपा गया, तो आंदोलन कर रहे डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि कोलकाता पुलिस ने महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने की योजना बनाई थी। उनका आरोप है कि जिस अस्पताल की तीसरी मंजिल के सेमिनार हॉल में जूनियर डॉक्टर पर हमला हुआ, उस मंजिल को पुलिस ने सील नहीं किया। इसके बजाय, उसी मंजिल और सेमिनार हॉल के निकट तोड़फोड़ और मरम्मत का कार्य आरंभ कर दिया गया।
पुलिस ने सील नहीं किया था मौका-ए-वारदात
आरजी कर अस्पताल की तीसरी मंजिल पर एक सेमिनार हॉल स्थित है, जहां नौ अगस्त की सुबह चेस्ट डिपार्टमेंट के प्रशिक्षु जूनियर डॉक्टर का शव पाया गया था। प्राप्त तस्वीरों से यह स्पष्ट होता है कि कोलकाता पुलिस ने उस सेमिनार हॉल को सील नहीं किया, जबकि इस प्रकार के मामलों में यह अत्यंत आवश्यक होता है। सेमिनार हॉल में गद्दे, टेबल, बेंच, मशीनें, और लकड़ी तथा प्लास्टिक की लाल कुर्सियां भी उन तस्वीरों में दिखाई दे रही हैं।
हाई कोर्ट का फरमान
 कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में, सीबीआई ने मामले की जांच अपने अधीन ले ली है। आरोपी संजय रॉय को कोलकाता पुलिस ने अपनी हिरासत से मुक्त कर सीबीआई को सौंप दिया है। इसके अतिरिक्त, कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को इस मामले में सख्त चेतावनी दी है। अदालत ने आरजी कर अस्पताल को तत्काल बंद करने का आदेश भी जारी किया है।
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