Kartarpur Corridor: A New Turn in Punjab Politics | AIRR News Special”

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नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। –Punjab Politic update

Kartarpur कॉरिडोर, जो गुरु नानक देव जी के अंतिम 16 वर्षों के निवास स्थान को जोड़ता है, न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि एक राजनीतिक चर्चा का विषय भी रहा है। 1947 के विभाजन के बाद यह पाकिस्तान का हिस्सा बन गया और दशकों तक भारतीय श्रद्धालुओं के लिए इसके दर्शन करना एक चुनौती बनी रही। 2019 में दोनों देशों के बीच बिना वीजा के आवाजाही की सहमति बनी, जिससे लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह संभव हो पाया।-Punjab Politic update

पंजाब में सिख वोटरों का एक बड़ा अनुपात है और उनका समर्थन किसी भी राजनीतिक दल के लिए जीत का पर्याय हो सकता है। बीजेपी, जो पहले अकाली दल के साथ गठबंधन में थी, अब अकेले चुनाव लड़ रही है और सिख वोटरों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपना रही है।-Punjab Politic update

इसी कड़ी में पीएम मोदी ने पटियाला की रैली में Kartarpur कॉरिडोर का उल्लेख करते हुए इसे एक ऐतिहासिक चूक बताया और इसे 1971 के युद्ध के संदर्भ में रखा। उनका यह बयान न केवल सिख वोटरों को संबोधित करता है बल्कि कांग्रेस पर एक राजनीतिक हमला भी है।

आपको बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटियाला रैली ने न केवल पंजाब की राजनीति में बल्कि भारतीय राजनीति में भी एक नई चर्चा को जन्म दिया है। उनके भाषण में Kartarpur साहिब के मुद्दे को उठाना और 1971 के युद्ध के संदर्भ में इसे रखना, एक ऐसा कदम है जिसने सिख समुदाय के भावनाओं को छूने की कोशिश की है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर वे 1971 में सत्ता में होते, तो पाकिस्तानी सैनिकों की रिहाई से पहले Kartarpur साहिब को भारत का हिस्सा बना लेते।-Punjab Politic update

हालाँकि 1971 के युद्ध के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ था, जिसमें दोनों देशों ने युद्ध की समाप्ति और शांतिपूर्ण संबंधों की स्थापना पर सहमति जताई थी। इस समझौते में भारत ने पाकिस्तानी क्षेत्र को वापस कर दिया था, जिसे युद्ध के दौरान अपने कब्जे में लिया था, हालांकि कुछ सामरिक क्षेत्रों को भारत ने अपने पास रखा था।

फिलहाल भाजपा ने पंजाब में अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए सिख समुदाय, विशेषकर जट सिखों को आकर्षित करने की कोशिश की है। इसके अलावा, पार्टी ने अपनी छवि को एक हिंदूवादी पार्टी से बदलकर एक समावेशी पार्टी के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है, जो सभी समुदायों, खासकर जट सिखों को सम्मिलित करती है।

वर्तमान राजनितिक परिवेश में और लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों में कुछ विरोधाभासी बयान भी सामने आए हैं। उनके भाषणों की विषयवस्तु और तथ्यों की सत्यता पर सवाल उठाए गए हैं।  इससे राजनीतिक विरोधियों और आलोचकों को उनके खिलाफ बोलने का मौका मिला है।

वैसे यह घटनाक्रम दिखाता है कि कैसे राजनीतिक दल धार्मिक स्थलों और इतिहास को अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करते हैं। यह भी दर्शाता है कि चुनावी राजनीति में वोटरों के धार्मिक और भावनात्मक पहलुओं को किस प्रकार से शामिल किया जाता है।

नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

 “PM Modi’s Masterstroke in Punjab Election Strategy | AIRR News Exclusive”

         “1971 War and the Tale of Kartarpur: Pages from History | AIRR News”

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आज हम बात करेंगे उस घटनाक्रम की जिसने न केवल भारतीय राजनीति में बल्कि सिख समुदाय के दिलों में भी एक विशेष स्थान बनाया है। क्या है Kartarpur कॉरिडोर का महत्व? क्यों पीएम मोदी ने 1971 के युद्ध के संदर्भ में इसे उठाया? और क्या है इसका पंजाब की राजनीति पर प्रभाव? आइए जानते हैं।

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