“Indian Railways: A Deep Dive into Safety Concerns and Administrative Challenges | AIRR News”

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भारतीय रेलवेज , जो देश की जीवनरेखा कही जाती है, हाल के दिनों में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यह वह माध्यम है जिससे करोडो लोग हर दिन यात्रा करते हैं, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो – उच्च, मध्यम या निम्न। परंतु हाल ही में हुए कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना ने रेलवे की सुरक्षा और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस पार्टी ने इस दुर्घटना के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की है, आरोप लगाते हुए कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में विफलता पाई है। –Indian Railway Safety news

कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjuna खड़गे ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि रेल मंत्री कैमरों की चकाचौंध में केवल दिखावा करते हैं और असल मुद्दों की ओर ध्यान नहीं देते। उन्होंने सरकार से सात महत्वपूर्ण सवाल पूछे हैं, जिनमें से एक सवाल यह है कि 3 लाख से अधिक रेलवे पद खाली क्यों हैं और उन्हें पिछले 10 वर्षों में भरा क्यों नहीं गया?-Indian Railway Safety news

इस घटनाक्रम से कई सवाल उठते हैं की भारतीय रेल की सुरक्षा की स्थिति क्या है? सरकार ने रेल में सुधार के लिए क्या कदम उठाए हैं? और क्या वाकई में हो रही दुर्घटनाओं के लिए रेल मंत्री जिम्मेदार हैं या यह एक व्यापक प्रशासनिक विफलता है?

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-Indian Railway Safety news 

कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना ने भारतीय रेलवे की सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस पार्टी ने इस घटना के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की है, आरोप लगाते हुए कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में विफलता पाई है।

इसपर कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjuna खड़गे ने कहा, “जब भी कोई ट्रेन दुर्घटना होती है, मोदी सरकार के रेल मंत्री कैमरों की चकाचौंध में मौके पर पहुंच जाते हैं और ऐसा दिखाते हैं जैसे सब कुछ ठीक है।” उन्होंने मोदी सरकार से पूछा कि रेल मंत्री या प्रधानमंत्री मोदी किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए? खड़गे ने सरकार से सात महत्वपूर्ण सवाल पूछे, जिनमें से एक सवाल यह था कि ‘कवच’ एंटी-ट्रेन कोलिजन सिस्टम को क्यों नहीं जोड़ा गया, जबकि बालासोर जैसी बड़ी दुर्घटना के बाद इसकी आवश्यकता थी।

उन्होंने यह भी पूछा कि रेलवे में करीब 3 लाख पद खाली क्यों हैं और उन्हें पिछले 10 वर्षों में भरा क्यों नहीं गया? 2017 से 2021 के बीच रेल दुर्घटनाओं में 1,00,000 लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? रेलवे बोर्ड ने खुद माना है कि लोको पायलटों के लंबे कार्य घंटों के कारण दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है, तो पदों को क्यों नहीं भरा गया?

इनके अलावा कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “रेल शायद सबसे पसंदीदा परिवहन माध्यम है, खासकर मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए, क्योंकि यह सबसे सस्ता परिवहन साधन है।” उन्होंने बालासोर ट्रेन दुर्घटना और सोमवार की दुर्घटना की तस्वीरें दिखाईं और पूछा कि इस अवधि के बीच क्या बदला है।

श्रीनेत ने कहा कि 2014 से 2023 के बीच 1,117 रेल दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसका मतलब है कि हर तीन दिन में एक दुर्घटना होती है। इन दुर्घटनाओं में जान और माल की हानि हुई है। उन्होंने सवाल किया, “इसकी नैतिक जिम्मेदारी कौन लेगा?” उन्होंने कहा कि हमने पहले देखा है कि रेल मंत्री नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देते हैं, लेकिन यहां हमारे पास एक मंत्री है जो संकट और त्रासदी के समय भी रील बनाने का मौका नहीं चूकता।

वही श्रीनेत ने आरोप लगाया कि अश्विनी वैष्णव का प्राथमिकता यह नहीं है कि वे रेलवे को सुरक्षित बनाएं, बल्कि उनका उद्देश्य केवल अपने प्रचार में है। उन्होंने कहा, “वे दार्जिलिंग गए और दुर्घटना स्थल पर बिना हेलमेट के बाइक पर सवार होकर गए ताकि वे बेहतर तरीके से वीडियो में कैद हो सकें। क्या यही उनकी प्राथमिकता है?”

अब कांग्रेस ने मांग की है कि अश्विनी वैष्णव अपने पद से इस्तीफा दें। श्रीनेत ने कहा, “बिना किसी संदेह के, अश्विनी वैष्णव को अपने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।” उन्होंने कहा कि रेलवे भारत की जीवनरेखा है, लेकिन आज हर यात्री के मन में यह संदेह है कि वे अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचेंगे या उनकी मृत देह। 

आपको बता दे कि भारतीय रेलवे , जिसकी स्थापना 1853 में हुई थी, दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्कों में से एक है। यह न केवल यातायात का एक प्रमुख साधन है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है। परंतु, हाल के वर्षों में रेलवे की सुरक्षा और प्रशासन पर सवाल उठते रहे हैं। 

क्योंकि रेल दुर्घटनाएं भारतीय रेलवे के इतिहास का एक दुखद पहलू हैं। 2016 में, कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से 150 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। 2017 में, उत्तर प्रदेश के खुर्जा में कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से 23 लोगों की जान गई थी। 

हालाँकि  इससे पहले शरद यादव, लालू प्रसाद यादव और नितीश कुमार जैसे नेताओं ने रेलवे मंत्रालय संभाला और सुधार के प्रयास किए। लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में रेलवे ने लाभ अर्जित किया, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से सुधार नहीं हो पाया। 

वैसे रेलवे की प्रशासनिक विफलताओं में प्रमुख कारणों में से एक पदों की कमी है। 3 लाख से अधिक पद खाली होने के कारण रेलवे कर्मचारियों पर अत्यधिक दबाव है, जो दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बनता है। 

इसके अलावा ‘कवच’ प्रणाली एक एंटी-कोलिजन डिवाइस है, जिसे ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन, इस प्रणाली का व्यापक रूप से लागू न होना भी एक बड़ी समस्या है। 

जिसकी कमी से हुई 2023 में बालासोर की ट्रेन दुर्घटना ने रेलवे की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए। इस दुर्घटना में कई लोगों की जान गई और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। 

ऐसे ही 2016 में कानपुर के पास हुई दुर्घटना में 150 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। यह दुर्घटना रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था की कमी को उजागर करती है। 

तो इस तरह भारतीय रेलवे की सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था को सुधारने की अत्यंत आवश्यकता है। सरकार को न केवल पदों को भरना चाहिए, बल्कि सुरक्षा प्रणालियों को भी लागू करना चाहिए। अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग कांग्रेस की राजनीति का हिस्सा हो सकती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि रेलवे में सुधार की आवश्यकता है। 

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

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