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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के बस्ती में एक जनसभा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केशरी के साथ हुए कथित अपमान का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि केशरी को 1998 में कांग्रेस भवन के बाथरूम में कैद कर दिया गया था जब सोनिया गांधी ने पदभार संभाला था। क्या वाकई में ऐसा हुआ था? क्या कांग्रेस पार्टी अपने ही नेताओं के साथ ऐसा व्यवहार करती है? आइये उनके इस बयान को विस्तार से समझते है। –Sitaram Kesri latest news
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
मोदी ने कहा कि 1998 में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केशरी, जो बिहार के एक पिछड़े वर्ग से आते थे, को कांग्रेस भवन में बाथरूम में कैद कर दिया गया था जब सोनिया गांधी ने पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभाला था।-Sitaram Kesri latest news
मोदी ने कहा, “यह वही कांग्रेस है जो अपने ही पार्टी संविधान का पालन नहीं करती। सीताराम केशरी को निकाल दिया गया और उन्हें सड़कों पर फेंक दिया गया और कुछ ही देर में मैडम सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।”
आपको बता दे कि प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान में कई महत्वपूर्ण तथ्य और घटनाएं शामिल हैं।
पहला, 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केशरी को कथित रूप से कांग्रेस भवन में बाथरूम में कैद कर दिया गया था जब सोनिया गांधी ने पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभाला था।
दूसरा, मोदी ने कहा कि केशरी को सड़कों पर फेंक दिया गया था और कुछ ही देर में सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।
तीसरा, मोदी ने कहा कि केशरी बिहार के एक पिछड़े वर्ग से आते थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए यह चिंता का विषय था।
इन तथ्यों और घटनाओं का विश्लेषण करते हुए, यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर राजनीतिक ताकतकशी और नेतृत्व परिवर्तन मामलों में गैर-लोकतांत्रिक और अनैतिक तरीके अपनाए गए।
वैसे इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी के अंदर होने वाली इस तरह की अन्य घटनाओं को भी देखा गया है जैसे
1969 में इंदिरा गांधी द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बाहर करना।
वही 1999 में शेरमन अलीगढ़ी को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाना।
ये सभी उदाहरण कथित तौर पर कांग्रेस पार्टी में होने वाली गैर-लोकतांत्रिक और अनैतिक गतिविधियों को दर्शाते हैं।
तो इस तरह हमने प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से स्पष्ट होता है कि कथित तौर पर कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक ताकतकशी और नेतृत्व परिवर्तन मामलों में गैर-लोकतांत्रिक और अनैतिक तरीके अपनाए जाते रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को कभी-कभी अपमानित और बाहर किया जाता रहा है।
यह घटना भारतीय लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि राजनीतिक दलों में होने वाली ऐसी गैर-लोकतांत्रिक गतिविधियां लोगों के विश्वास को कम करती हैं।
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