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भारत में लोकसभा चुनाव एक विशाल और जटिल प्रक्रिया है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक उत्सव कहा जा सकता है। इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान, चुनाव आयोग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें सबसे प्रमुख थी तीव्र गर्मी की लहरें। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने यह स्वीकार किया कि इस बार की चुनाव प्रक्रिया में सबसे बड़ी सीख यह रही कि चुनावी प्रक्रिया को गर्मियों से पहले समाप्त करना चाहिए। सात चरणों में फैले इस चुनाव में अप्रैल और मई के महीने में देश के अधिकांश राज्यों ने तीव्र गर्मी की लहरों का सामना किया, जिससे चुनाव आयोग को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। –India election 2024
इस घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े किए हैं: क्या चुनाव आयोग ने सही समय पर चुनाव कराने के लिए पर्याप्त कदम उठाए थे? क्या तीव्र गर्मी की लहरों ने मतदान प्रतिशत पर असर डाला? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या भविष्य में चुनावी प्रक्रियाओं में बदलाव की आवश्यकता है?-India election 2024
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आज हम चर्चा करेंगे लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान चुनाव आयोग द्वारा सामना की गई चुनौतियों और इससे मिली सीख के बारे में। इस बार के चुनाव ने कई नए कीर्तिमान स्थापित किए, लेकिन इसके साथ ही कई समस्याएं भी सामने आईं।
लोकसभा चुनाव 2024 का आयोजन सात चरणों में हुआ, जो जून तक चले। इस दौरान अधिकांश भारतीय राज्यों में तीव्र गर्मी की लहरें चल रही थीं, जिससे मतदाताओं और चुनाव कर्मियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। चुनाव आयोग को इन समस्याओं का सामना करने के लिए कठोर कदम उठाने पड़े।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव के बाद एक साक्षात्कार में कहा कि चुनाव प्रक्रिया को गर्मियों से पहले समाप्त करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इस बार भारत ने 642 मिलियन वोटर्स के साथ दुनिया में सबसे ज्यादा मतदान करने का रिकॉर्ड बनाया है। यह संख्या G7 देशों के मतदाताओं की संख्या का 1.5 गुना और यूरोपीय संघ के 27 देशों के मतदाताओं की संख्या का 2.5 गुना है।
राजीव कुमार ने चुनावी कर्मियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके कठोर परिश्रम की वजह से इस बार पुनर्मतदान की संख्या में काफी कमी आई। लोकसभा चुनाव 2024 में केवल 39 पुनर्मतदान हुए, जबकि 2019 में 540 पुनर्मतदान हुए थे। इनमें से 25 पुनर्मतदान केवल दो राज्यों में ही हुए थे।
जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में, अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पहली बार संसदीय चुनाव हुए। इस चुनाव में पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हुआ, जिससे यह राज्य भी चुनावी इतिहास में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर सका।
1. चुनाव आयोग की चुनौतियाँ और समाधान
भारत के चुनाव आयोग को इस बार कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें से सबसे बड़ी थी तीव्र गर्मी की लहरें। इस समस्या का समाधान भविष्य में चुनाव प्रक्रिया को गर्मियों से पहले समाप्त करने का निर्णय है। इससे न केवल मतदाताओं की सुविधा बढ़ेगी बल्कि चुनाव कर्मियों की सेहत और सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
2. मतदान प्रतिशत और नई उपलब्धियाँ
इस बार के चुनाव में भारत ने 642 मिलियन मतदाताओं के साथ एक नया रिकॉर्ड बनाया। यह दर्शाता है कि भारतीय लोकतंत्र कितनी बड़ी संख्या में लोगों को शामिल कर रहा है। यह उपलब्धि इस तथ्य को भी रेखांकित करती है कि भारतीय चुनाव प्रक्रिया विश्व में सबसे बड़ी और जटिल है।
3. पुनर्मतदान की कमी
पुनर्मतदान की संख्या में कमी इस बात का प्रमाण है कि चुनाव आयोग की तैयारी और चुनावी कर्मियों का परिश्रम सफल रहा। 2019 में 540 पुनर्मतदान की तुलना में 2024 में केवल 39 पुनर्मतदान हुए। इससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी बढ़ी है।
4. जम्मू और कश्मीर में उच्च मतदान
जम्मू और कश्मीर में उच्च मतदान प्रतिशत एक सकारात्मक संकेत है। यह दिखाता है कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद भी राज्य के लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उत्साहित हैं। यह न केवल राज्य की सुरक्षा स्थिति को बेहतर बनाने का संकेत है बल्कि वहां के लोगों के लोकतंत्र में विश्वास को भी दर्शाता है।
5. अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा
चुनाव प्रक्रिया की सटीकता और पारदर्शिता को देखने के लिए 23 देशों के पर्यवेक्षक भारत आए थे। उन्होंने भारतीय चुनावी चमत्कार को देखकर प्रशंसा की और इसे अद्वितीय और बेमिसाल बताया। यह भारत के चुनाव आयोग की सफलता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने का प्रमाण है।
बाकि भारतीय चुनाव प्रक्रिया की जटिलता और चुनौतीपूर्ण स्थितियों को समझने के लिए हमें पिछले चुनावों की भी समीक्षा करनी चाहिए। 2019 में भी चुनाव आयोग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, जिसमें ईवीएम मशीनों की खराबी, मतदाता सूची में गड़बड़ी, और कई स्थानों पर हिंसा शामिल थी। लेकिन चुनाव आयोग ने समय-समय पर सुधार करते हुए अपनी प्रक्रियाओं को और बेहतर बनाया है।
तो इस तरह लोकसभा चुनाव 2024 ने भारतीय लोकतंत्र के सामने कई चुनौतियों को रखा, लेकिन चुनाव आयोग ने इनका सफलता पूर्वक सामना किया। तीव्र गर्मी की लहरों के बावजूद, चुनाव आयोग ने 642 मिलियन मतदाताओं के साथ नया रिकॉर्ड स्थापित किया और पुनर्मतदान की संख्या में भी कमी लाई। जम्मू और कश्मीर में उच्च मतदान ने भी एक सकारात्मक संकेत दिया है।
भविष्य में, चुनाव प्रक्रिया को और भी सशक्त और सुरक्षित बनाने के लिए चुनाव आयोग को समय-समय पर सुधार करते रहना होगा। इसके साथ ही, चुनावी समय को गर्मियों से पहले समाप्त करने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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