Jammu and Kashmir के पुंछ जिले में भारतीय वायु सेना (IAF) के एक काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में घायल हुए चारों सैनिकों में से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है, जबकि बाकी तीन की हालत स्थिर है। हमले की जगह पर अतिरिक्त IAF और सेना के जवानों को तैनात किया गया है, जिसमें एक वायु सेना के जवान की मौत हो गई थी। लेकिन क्या आप जानते है कि हमले में शामिल आतंकवादी कौन हैं?-Jammu and Kashmir news
इस हमले का मकसद क्या था?
और क्या सरकार आतंकवाद से निपटने में सफल है?
आइये इन सभी सवालो का जवाब जानते है।
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
शनिवार शाम करीब 6.15 बजे पुंछ के सुरांकोट क्षेत्र के सनाई टॉप की ओर जा रहे IAF काफिले पर हुए हमले में IAF गरुड़ स्पेशल फोर्सेस के जवान घटनास्थल पर तैनात थे, जबकि सेना की अतिरिक्त फ़ौजें पुंछ के जरा वाली गली (JWG) पहुंच चुकी थी। -Jammu and Kashmi news
सुरक्षा अधिकारियों ने कहा है कि शनिवार के हमले में शामिल आतंकवादियों को ट्रैक करने के लिए सेना और Jammu and Kashmir पुलिस द्वारा एक व्यापक तलाशी और घेराबंदी अभियान चलाया जा रहा है।-Jammu and Kashmir news
आपको बता दे कि इस मामले में पाकिस्तान समर्थक आतंकवादियों कि भूमिका बताई जा रही है। बाकि भारत और पाकिस्तान के बिच विवाद आज़ादी के बाद से सुरु हो गया था जहा 1947 मेंJammu and Kashmir पर भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ।
इसके बाद लगातार ये संघर्ष चलता आ रहा है जैसे
1989 में Jammu and Kashmir में उग्रवाद शुरू हुआ।
1999 में कारगिल युद्ध हुआ।
2001 में संसद पर आतंकवादी हमला हुआ।
2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले हुए।
2016 में उरी में आतंकवादी हमला हुआ।
2019 में पुलवामा में आतंकवादी हमला हुआ।
और हाल ही में पुंछ में IAF काफिले पर आतंकवादी हमला हुआ, जिसने भारत पाकिस्तान के सम्बन्धो को फिर से चिंताजनक बना दिया है।
बाकि ये भी सच है कि Jammu and Kashmir में आतंकवाद एक गंभीर समस्या है जिसका कोई आसान समाधान नहीं है। सरकार ने आतंकवाद से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं, लेकिन ये उपाय हमेशा प्रभावी नहीं रहे हैं।
आतंकवाद से निपटने में सरकार की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों की उपलब्धता है। पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह और समर्थन प्रदान करता रहा है, जिससे भारत के लिए आतंकवाद से निपटना मुश्किल हो जाता है।
सरकार को आतंकवाद से निपटने के लिए अधिक प्रभावी रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है। इसमें आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करना, आतंकवाद के वित्तपोषण को अवरुद्ध करना और आतंकवाद के मूल कारणों को दूर करना शामिल हो सकता है।
अगर बात करे Jammu and Kashmir में आतंकवाद के कई मूल कारणों कि तो पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह और समर्थन प्रदान करता रहा है, जिससे भारत के लिए आतंकवाद से निपटना मुश्किल हो जाता है। वही Jammu and Kashmir के कुछ हिस्सों में भारत के शासन के खिलाफ स्थानीय असंतोष है। यह असंतोष आतंकवाद को भड़काने में मदद करता है। और सबसे अहम् Jammu and Kashmir में गरीबी और बेरोजगारी उच्च है। यह आतंकवादियों के लिए भर्ती का एक प्रमुख स्रोत है।
हालाँकि भारत सरकार ने Jammu and Kashmir में आतंकवाद से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे सरकार ने Jammu and Kashmir में आतंकवादियों के खिलाफ कई सैन्य अभियान चलाए हैं। तथा सरकार ने आतंकवाद से निपटने के लिए कई कानून बनाए हैं, जैसे कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) और सरकार ने Jammu and Kashmir में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि आधारभूत संरचना परियोजनाओं में निवेश करना।
इसके अलावा 1948 में, संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव दिया। हालांकि, भारत और पाकिस्तान दोनों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।
वही 1972 में, भारत और पाकिस्तान ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत, दोनों देशों ने कश्मीर मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने पर सहमति व्यक्त की।
साथ ही 1999 में, भारत और पाकिस्तान ने लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए। घोषणा में, दोनों देशों ने कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल करने पर सहमति व्यक्त की।
इसके अलावा 2004 में, भारत और पाकिस्तान ने समग्र संवाद प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया के तहत, दोनों देशों ने कश्मीर मुद्दे सहित कई मुद्दों पर बातचीत की।-Jammu and Kashmir news
हालांकि, इन सभी प्रयासों के बावजूद, भारत और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को हल करने में असफल रहे हैं। कश्मीर मुद्दा आज भी दोनों देशों के बीच एक प्रमुख विवाद का विषय बना हुआ है।
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